नई दिल्ली : योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दें या इस बूढ़ी माँ को। पर जमीनी सच ये है कि जमाने बाद यूपी पुलिस का चरित्र बदलता दिख रहा है। जिस पुलिस को देश की भ्रष्ट पुलिस में सबसे पहले गिना जाता रहा है वहां आज इसी माँ का लाल सुलखान सिंह डीजीपी की कु्र्सी पर बैठाया गया है। वो सुलखान सिंह जिनकी ईमानदारी को पूरे आईपीएस कैडर में बेजोड कहा गया हैं।
जिस प्रदेश में थाने और चौकी नीलाम होते हों। जिस प्रदेश में नोएडा, गाजियाबाद या कानपुर जैसे जिलों के कप्तान सरकार की काली कमाई के पूत हों वहां आज तीन कमरे की सम्पति वाला एक ईमानदार पुलिस अधिकारी डीजी बना है। सादगी के लिए पहचाने जाने वाले सुलखान जिन्हे बैचमेट 'योगी' कहकर बुलाते हैं वो अक्सर भोग विलास की जगह भोजन पर चना और लई खाते हैं।
उन्नाव में जब मुलायम में उन्हें ईमानदारी की सजा देते हुए तीन दिन के लिए ट्रेनिंग कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त किया तो उनके पास दो कमरे थे, जिसमे डीजी सुलखान रहते थे। उनकी ईमानदारी की वजह से भ्रष्ट दीवान, दरोगा, थानेदार और कप्तान हिले हुए थे।
1980 बैच के आईपीएस रहे सुलखान ने भी साफ़ कह दिया था कि दरोगा हो या डीआईजी आप ईमानदारी से काम करोगे तो हर मुसीबत में मैं आपके साथ खड़ा हूँ लेकिन अगर एक पैसे की भी शिकायत मिली तो किसी भी कीमत पर छोडूंगा नहीं।
डीजीपी सुलखान सिंह का घर
सुलखान सिंह यूपी में बाँदा के जौहरपुर गाँव के रहने वाले हैं। गाँव के घर पर भले ही आज आईपीएस सुलखान लिखा हो लेकिन घर बेहद साधारण सा है। डीजीपी सुलखान की माँ करुइया देवी आज भी गाँव में रहती है और चूल्हे में खाना बनाती है। देखकर कोई भी यह अंदाजा नहीं लगा सकता कि यह यूपी के डीजीपी सुलखान की माँ है। बताती है सुलखान के चार भाई हैं और उनमे से सुलखान डीजीपी बन गया है। जैसे ही यह खबर गाँव पहुंची कि गाँव के लाल को डीजीपी जैसी अहम जिम्मेदारी दी गई है गाँव में खुशियां मनाई जाने लगी।
डीजीपी सुलखान सिंह
सुलखान के सबसे छोटे भाई रजनीश गांव में रहकर खेती का काम देखते हैं। डीजीपी सुलखान के एक बेटा व दो बेटियां हैं। गाँव वाले बताते हैं कि जब भी वह गांव आते थे तो उनकी सादगी देखती ही बनती थी। सुबह की दिनचर्या योगा से शुरू होती। मां ने बताया कि बेटे से कहा है कि जल्द ही वह गांव आ जाए।