नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने नोटबंदी के मुद्दे को लेकर मंगलवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक और प्रेस कॉन्फ्रेंस में वह तबीयत नासाज़ होने की वजह से नहीं पहुंच सकीं। सोनिया की जगह राहुल ने बैठक की कमान संभाली। ममता ने मोदी की तुलना मशहूर खलनायक ‘गब्बर’ से करते हुए कहा, ”हम कुछ कह नहीं सकते। अगर आप कहते हैं तो लोग कहते हैं मत करो, नहीं तो गब्बर आ जाएगा। ये क्या है? ममता ने कहा कि अगर लोग सरकार से इतना डरे हुए हैं, तो गब्बर सिंह की तरह व्यवहार करने वाली सरकार को कौन वोट देगा?” ममता ने 50 दिन के पीएम के वादे पर भी तंज कसते हुए पूछा कि ‘अगर 50 दिन बाद भी चीजें सही नहीं होती तो क्या पीएम मोदी जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देंगे?’
कैशलेस के नाम पर सरकार बेसलेस और फेसलेस हो गई
पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘मोदीजी ने कहा कि अच्छे दिन आएंगे, क्या यही अच्छे दिन हैं?’ ममता बनर्जी ने कहा कि ‘नोटबंदी बहुत बड़ा घोटाला है, आजादी के बाद सबसे बड़ा। नोटबंदी से देश 20 साल पीछे चला गया है।’ ममता ने नरेंद्र मोदी सरकार पर तानाशाही करने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘यह (मोदी) निडर सरकार है, वे किसी के बारे में कुछ नहीं सोचते। उनका जो मन आता है वही करते हैं, संघीय ढांचा पूरी तरह नष्ट कर दिया है। यह आपातकाल नहीं है, यह महा-आपातकाल है।’ ममता ने कहा कि , ”कैशलेस के नाम पर मोदी गवर्नमेंट बेसलेस हो गया, टोटल फेसलेस हो गया।”
टोटल फेल है नोटबंदी
कांग्रेस आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया था जिसमें कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, जेडीएस, जेएमएम, एआईयूडीएफ के सदस्यों ने हिस्सा लिया। जबकि बसपा, सपा, एनसीपी, सीपीआई, जेडीयू, सीपीएम जैसे प्रमुख विपक्षी दलों के प्रतिनिधि गायब रहे। राहुल गांधी ने कहा कि ’30 दिसंबर आने वाला है और हालात वहीं हैं। नोटबंदी का उद्देश्य पूरी तरह फेल हो गया है। पीएम को देश को जवाब देना चाहिए कि नोटबंदी का असली मकसद क्या था और जो इससे प्रभावित हुए हैं, वह उनके लिए क्या करेंगे?’