कांकेर /रायपुर : जिस देश में कोई अभागा अपने कंधे पर अपने पिता को इलाज कराने के लिए 8 किलोमिटर अस्पताल ले जाए और मौत के बाद शव को खाट पर रख कर 8 किलोमीटर तक पैदल वापस आ जाए ...और रास्ते में हज़ारों हज़ार आँखें उसकी बेबसी बस देखती रहें ...कोई प्रतिक्रिया न हो, कोई सहारा देने के लिए आगे न बढ़े ...तो ऐसे देश, ऐसे प्रदेश को लूटना , जीतना और उस पर राज करना कितना आसान हो सकता है.
छत्तीसगढ़ के कोयलीबेडा़ जीले के मर्दा गांव की झकझोरने वाली तस्वीरें देखकर विचलीत हो जाएगें. गांव का एक गरीब अपने कंधे पर लाश को रखकर चलता जा रहा है साथ में परिवार वाले चल रह है वह रुक -रुक कर रो रहे हैं पिता की मौत देकर .. परिवारवालो की लाचारी देखकर ... गांव वालो जो अस्पाताल से 8 किलोमीटर दूर अपने गांव , पिता के शव को कंधे पर लेकर चलता जा रहा हैं एम्बुलेंस के लिए पैसे नहीं हैं . सरकारी मदद तक उसकी पहुंच नहीं है . रास्ते पर खडें हज़ारों राहगीर उसके लिए बेरहम चश्मदीद से ज्यादा कुछ नही हैं. ये कैसा समाज है. ये कैसा प्रान्त है. और ये प्रान्त मेरे ही देश का प्रदेश है. इसलिए जवाबदेही मेरी भी है. गुनाहगार मै भी हूँ. आप भी हैं.
गांव के 35 साल के जानसिंग पिता सुकालूराम को टीबी था. कोयलीबेड़ा यहां से आठ किलोमीटर दूर है, जहां अस्पताल है. परिवार वाले खटिया में मरीज को बांधकर किसी तरह अस्पताल लेकर आए. परिजनों के मुताबिक काफी मुश्किल हुई. अस्पताल.पहुंचते तक उसकी तबीयत और खराब हो गई और शुक्रवार को दोपहर 12 बजे उसकी मौत हो गई. परिवारवाले रोते-बिलखते रहे और अस्पताल के लोग शव को ले जाने कहते रहे. उन्होंने बताया कि ले जाने का कोई साधन मुहैया करा दें, तो अस्पताल प्रबंधन ने कहा- जैसे लाए थे, वैसे ले जाओ. यहां कोई सुविधा नहीं. आखिरकार परिजनों ने शव को फिर खाट से बांधा और उसी तरह वापस गांव लेकर गए.