नई दिल्ली: राजस्थान के पाली में एक ऐसा गणपति मंदिर है जो देशभर में कुंआरे लड़के-लड़कियों की शादी कराने के लिए विख्यात है। यहां पर कुंआरे युवक-युवतियां की मन्नत जल्द पूरी होती है। ऐसा बताया जाता है कि यहां जोधपुर दरबार जसवंत सिंह के समय में संत मस्तगिरी ने तपस्या की थी। उनकी तपस्या और योग सिद्ध के चमत्कार से जोधपुर से गणपति की प्रतिमा यहां लाई गई।
क्या कहते हैं पुजारी
मंदिर के पुजारी गजेंद्र पुरी बताते हैं कि रिद्धि-सिद्धि गणपति मंदिर सदियों पुराना मंदिर है। इस प्रतिमा की विशेषता यह है कि रिद्धि-सिद्धि सहित यह आठ फीट की है। उनका दावा है कि पूरे राजस्थान में ऐसी प्रतिमा कहीं नहीं है। संगमरमर के पत्थर पर काबुली कारीगरों ने इसे तराशा है। जोधपुर दरबार जसवंत सिंह के के समय से ही इस मंदिर को गुरुद्वारे के रूप में नाम मिला।
ली थी जीवित समाधि
इस मन्दिर के प्रथम महंत मोतिगिरी को योग सिद्धि की महारथ हासित थी। ऐसा बताया जाता है कि वे तपस्वी व चमत्कारी भी थे जो यहां उन्होंने जीवित समाधि ली थी। आज भी उनके चमत्कारों को लोग याद करते हैं। श्रद्धालु यहां उनकी समाधि स्थल पर जरूर हाजरी लगाते हैं और उनकी हट मुराद पूरी भी होती है।