दिल्ली : मनोहर पार्रिकर के शपथग्रहण पर रोक नही, SC ने 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है. इससे पहले कोर्ट ने कांग्रेस को फटकार, SC ने कहा संख्या है तो गर्वनर के सामने क्यों नहीं गए? कांग्रेस की ओर से दाखिल इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि यदि आपके पास विधायकों की पर्याप्त संख्या थी तो आपको समर्थन करने वाले विधायकों का हलफनामा पेश करना था लेकिन आपकी ओर से ऐसा नहीं किया गया.
अदालत ने कहा कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना विधायकों की संख्या से जुड़ा हुआ है. आपने राज्यपाल के समक्ष या अपनी याचिका में इस बात का कभी जिक्र नहीं किया कि आपके पास जरूरी समर्थन है.
इस मामले में अदालत तुरंत शक्ति परीक्षण कराने का आदेश दे सकती है. कोर्ट ने दोनों पार्टियों को प्रोटेम स्पीकर का नाम देने को कहा है. कोर्ट ने दोटूक कहा कि यदि आपके पास बहुमत था तो आपको राज्यपाल के आवास के बाहर धरना देकर अपने विधायकों की संख्या के बारे में बताना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया.
दूसरी ओर, कांग्रेस की ओर से कहा गया कि राज्यपाल को कांग्रेस विधायक दल के नेता को फोन पर 'संख्या' के बारे में बात करनी चाहिए थी और राज्यपाल का फैसला अवैध है. पार्टी ने कहा कि उसके पास सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या है और आज सदन में शक्ति परीक्षण करा लें.
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने गोवा के राज्यपाल की ओर से मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री नियुक्त किए जाने के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर के आवास पर शनिवार शाम याचिका दायर की गई . इस सिलसिले में विशेष पीठ का गठन किया गया था क्योंकि शीर्ष अदालत होली पर एक सप्ताह के अवकाश पर है.
गोवा कांग्रेस विधायक दल के नेता चंद्रकांत कवलेकर की ओर से दायर इस याचिका में मांग की गई थी कि पर्रिकर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर रोक लगाई जाए. याचिका में मांग की गई है कि पर्रिकर को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के राज्यपाल के फैसले को रद्द किया जाए.
गौरतलब है कि पर्रिकर ने रक्षा मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना इस्तीफा सौंपा. पीएमओ ने उसके इस्तीफे को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा. राष्ट्रपति की इस पर मुहर के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली को रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है.