लखनऊ : उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार अपना दामन साफ़ कर आगामी चुनावों में जाना चाहती हैं। इसी कवायद में यूपी सरकार में कोयला और खनन मंत्री गायत्री प्रजापति और पंचायती राज मंत्री को राजकिशोर बर्खास्त कर दिया है। गायत्री प्रजापति के खिलाफ 8 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध खनन मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट ने सात हफ्तों के भीतर इस मामले में रिपोर्ट भी मांगी थी। लेकिन इस मामले रिपोर्ट आने से पहले ही अखिलेश यादव ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।
इस पूरे मामले में लड़ाई लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर का कहना है कि अखिलेश यादव और मुलायम सिंह ने अंतिम समय तक प्रजापति को बचाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने पिछले कुछ दिनों में इस बात की पूरी कोशिश की कि मामले की सीबीआई जाँच न हो। नूतन ठाकुर का कहना है कि गायत्री प्रजापति को हटाने से सरकार पर लगे दाग कम नहीं होंगे, अगर सरकार सच में इसको लेकर गंभीर है तो वह सीबीआई जाँच में पूरा सहयोग करे। नूतन ने कहा कि वह आगे भी सीबीआई को इस मामले में अहम् सबूत देंगी। बता दें कि गायत्री प्रजापति मुलायम सिंह के बेहद करीबी माने जाते हैं।
मुलायम की पत्नी और बेटे भी फंस रहे थे गायत्री के साथ - बीजेपी के यूपी प्रवक्ता आईपी सिंह का कहना है कि इस पूरे मामले में मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना सिंह बेटे प्रतीक यादव भी फंसते नजर आ रहे थे। गौरतलब है कि इस मामले में आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव का ऑडियो टेप सार्वजनिक किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि जसराना में गायत्री प्रजापति ने उनपर हमला करवाया था। इसके बदले में आईपीएस अमिताभ ठाकुर को बर्खास्त भी किया गया।
गायत्री प्रजापति को 2013 में कोयला मंत्री बनाया गया था, जिसके बाद उनकी संपत्ति में लगातार बढ़ोत्तरी होती रही। आज उनके पास बीएमडब्ल्यू, जैसी तमाम महंगी गाड़ियों समेत काफी संपत्ति है। 2012 में गायत्री प्रजापति के पास 1.81 करोड़ रुपए थे।
सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर ने जो शिकायत लोकायुक्त को दी है उसमें उन्होंने कहा है कि गायत्री प्रजापति के पास 942.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है। 8 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध खनन मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। कोर्ट ने सात हफ्तों के भीतर इस मामले में रिपोर्ट भी मांगी थी।