अनूप श्रीवास्तव
नई दिल्ली : उम्र के नाम पर पार्टी के सभी पदों से मुक़्त कर मार्गदर्शक मंडली में रखे गए बीजेपी की बुज़ुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी अब प्लान वापसी पर काम कर रहे हैं। केरल के कोझीकोड़ में 23 सितंबर को होने वाली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मार्गदर्शक मंडली को भंग करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है, सूत्रों की मानें तो पार्टी के वरिष्ठ नेता इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं कि पार्टी में 75 साल से ऊपर के नेताओं को कोई पद नहीं दिया जाता। उनका कहना है कि यह फार्मूला सब पर लागू होना चाहिए. दरअसल कुछ समय पहले मोदी सरकार ने 75 के ऊपर हो चुके कलराज मिश्र को आगामी यूपी चुनाव के मद्देनज़र केंद्रीय मंत्री बनाया है।
क़रीबी सूत्रों की माने तो यह प्रस्ताव कोई ओर नहीं बल्कि शाह के अध्यक्ष बनने के बाद हाशिये पर गए भाजपा के दिग्गज रहे लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी द्वारा लाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को लेकर आडवाणी और जोशी के बीच मुलाक़ातों का दौर भी शुरु हो चुका है। बता दें कि बीजेपी अपने रणनीतिक फॉर्मूले के तहत पार्टी में 75 साल से ऊपर हो चुके नेताओं को सरकार और पार्टी के पदों से मुक्त किया है।
बीजेपी में कई बार हो चुकी है इस नियम की अवहेलना
खुद केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा था कि वह पार्टी के 75 वर्ष के फार्मुले से अनजान हैं, न तो उन्हें इस के बारे में कुछ पता है और न हीं अमित शाह ने उन्हें इस बारे में बताया। कलराज मिश्र ने कहा, कि "यह सब मीडिया ने गढ़ा है." गौरतलब है कि गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के इस्तीफे पर भी बीजेपी ने इस नियम का वास्ता दिया था लेकिन आनंदीबेन पटेल ने कहा कि वह स्वास्थ के कारणों से इस्तीफ़ा दे रही हैं। इसके पहले मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों ने पद छोड़ दिया था, क्योंकि उन्होंने 75 वर्ष की उम्र पार कर ली थी. इनमें लोक निर्माण मंत्री सरताज सिंह (76) और गृहमंत्री बाबूलाल गौर (86) शामिल थे. नज़मा हेपतुल्ला (76) ने भी मंत्रिमंडल से इस नियम के कारण इस्तीफ़ा दे दिया था, लेकिन उन्हें मणिपुर का राज्यपाल बना दिया गया.
आडवाणी जोशी ने शुरु की मार्गदर्शक मंडल को भंग करने की कवायद
दरअसल दोनों ही नेता पार्टी और सरकार दोनों में ही किसी भी पद पर नहीं है और पार्टी के सारे फ़ैसले संसदीय बोर्ड में ही किेए जाते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी, प्रधानमंत्री मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह मार्गदर्शक मंडल का हिस्सा है। पार्टी के दोनों ही सीनियर नेता अपनी अनदेखी को लेकर परेशान हैं, न तो उन्हें सरकार में कोई पद दिया गया और न हीं उन्हें पार्टी में कोई महत्वपूर्ण पद मिला. जिससे दोनो ही काफी आहत हैं। दोनों ही नेता मार्गदर्शक मंडल को भंग करने की मांग कर सकते हैं या फ़िर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मुहर लगवाकर भाजपा के संविधान में जगह देने की मांग कर सकते हैं। दरअसल दोनों ही नेता यह कहकर मार्गदर्शक मंडल को भंग करना चाहते हैं कि न तो पार्टी के संविधान में इस मार्गदर्शक मंडल का कोई प्रावधान नहीं है और न हीं कभी मार्गदर्शक मंडल की एक भी बैठक आयोजित की गई तो इस मंडल का न तो कोई सरोकार है और न ही कोई आधार।
अमित शाह की बादशाहत को चुनौती
यह पूरी कवायद शाह की बादशाहत को चुनौती देने के लिए की जा रही है, इस प्रस्ताव का मुख्य मक़सद पार्टी के वर्तमान नेतृत्व को चुनौती देने की रणनीति का हिस्सा है। क्योंकि मौजूदा वक़्त में बीजेपी मोदी और शाह के इर्द-गिर्द ही सिमटती नज़र आ रही है जिससे परेशान होकर पार्टी के सीनियर नेता इस प्रस्ताव को लाने की तैयारी में हैं। मार्ग दर्शक मंडल का यह प्रस्ताव अमित शाह की लिए कड़ी चुनौती की तरह है । अमित शाह इसे क़ुबूल करें या इनकार दोनों ही स्थितियों में शाह और मोदी दोनों फजीहत होना तय है। लंबे समय से हाशिये पर पड़े आडवाणी और जोशी सरीखे बुज़ुर्ग नेता वर्तमान में पार्टी के कई फैसलों से असहमत भी दिखे।