गोड्डा : झारखंड में ECL की राजमहल कोल परियोजना के ललमटिया स्थित भोड़ाय साइट में गुरुवार नसज रात खदान धंसने से 40 लोग 300 फीट खाई में दब गये. यही नहीं यहां काम पर लगाये गये करीब 35 डंपर और चार पे-लोडर भी धंस गये. मलवे में 35 हाइवा व बोलवो गाड़ी के भी दबे होने की सूचना है. इस हादसे में ललमटिया की डीप माइनिंग में 300 फीट का गड्ढा ऊपर से भर कर समतल मैदान बन गया है. आशंका जतायी जा रही है कि खाई में दबे अधिकतर लोगों की मौत हो गयी है.
खदान में फंसे लोगों को सही सलामत निकालने का प्रयास
हालांकि अभी तक मृतकों की संख्या के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. घटना की सूचना फैलते ही आसपास के इलाकों में हाहाकार मच गया. बड़ी संख्या में ग्रामीण घटनास्थल पर राहत कार्य के लिए जुट गये हैं. ECL के सभी पदाधिकारी व एसडीपीओ आर मिश्रा के साथ बड़ी संख्या में पुलिस बल खदान के पास पहुंचे हैं. राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है. सभी को सही सलामत निकालने का प्रयास किया जा रहा है.
बिजली न रहने से राहत कार्य में बाधा
हालांकि बिजली नहीं रहने के कारण राहत कार्य में बाधा आ रही है. बताया जाता है कि बिजली के सारे खंभे जमींदोज हो गये हैं. इससे बिजली कट गयी है. घटनास्थल के आसपास चारों ओर अंधेरा पसरा हुआ है. नीचे दबे लोगों के परिजनों के चीख-पुकार से माहौल गमगीन हो गया है.
पासपड़ोस गांव के हैं सभी मजदूर
खनन कार्य में ललमटिया के आसपास के भादो टोला, भोराईं, नीमा व ललभुटवा आदि गांव के मजदूर व कर्मचारी लगे थे. इस खदान को इसीएल ने महालक्ष्मी खनन कंपनी को लीज पर दे रखा था. वहीं सुखदेव एंड कंपनी का भी सामान लगा है. गुरुवार को काम के दौरान ही अचानक ही खदान धंस गयी. इस घटना से वहां के कर्मचारियों व मजदूरों में जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है. हालांकि एक ओवर मैन हेमनारायण यादव को जख्मी हालत में वहां से निकाला गया है. उसका इलाज अस्पताल में किया जा रहा है. केंदुआ गांव का चालक शहादत अंसारी ने फोन पर बताया है कि खदान में जहां मलवा गिरा है, वहां 300 फीट गहरी खाई है.
पहले भी हो चुकी है दुर्घटना
करीब छह माह पहले इसी खदान में एक ड्रील मशीन डूब गयी थी. कंपनी ने उस घटना से सबक नहीं लिया और पूर्व की तरह काम चालू रखा. घटना के बाद से वहां के मजदूर आक्रोशित हैं.
सालों पुरानी है भोड़ाय साइट
इसीएल राजमहल परियोजना की ललमटिया की भोड़ाय साइट में पिछले 10 सालों से खुदाई का काम चल रहा था. इस कारण इसे डीप माइनिंग के नाम से जाना जाता है. खदान में पहले ही काफी खनन कार्य हो चुका था. चारों ओर से खदान धंसने लगी थी. बता दें कि दो दिन पहले इसीएल के सीएमडी आरआर मिश्रा राजमहल परियोजना को निरीक्षण करने आये थे. उन्होंने भोड़ाय साइट का भी निरीक्षण किया था. यहां से अधिक उत्खनन का निर्देश दिया था. साथ ही भोड़ाय गांव को भी हटाने का निर्देश दिया था. इधर, प्रबंधन तेजी से खनन कार्य में जुटा ही था कि खदान धंस गयी.