नई दिल्ली : मानव संसाधन मंत्रालय देश भर में शिक्षकों के लिए नेशनल टीचर्स पोर्टल विकसित करने और फ़र्ज़ी शिक्षकों को पकड़ने के लिए कार्यक्रम तैयार कर रहा है। इसके लिए देशभर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के पंद्रह लाख शिक्षकों में से 60 प्रतिशत यानी लगभग 9 लाख के प्रोफ़ाइल तैयार कर लिए गए है। शिक्षकों से अपने धर्म, जाति, फ़ोन नंबर और आधार कार्ड की जानकारी देने के लिए कहा गया है।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक जिन शिक्षकों ने अभी तक जानकारी नहीं दी है उनके पास एक महीने का समय और है। मानव संसाधन में अतिरिक्त सचिव आर सुब्रमण्यम का कहना है कि ''हम जानते हैं कि बहुत सारे फर्जी अध्यापक है''। ऐसे कई शिक्षक हैं जो एक से ज्यादा गैर सरकारी इंस्टिट्यूट में काम कर रहे हैं। आधार कार्ड जैसी व्यक्तिगत जानकारी से ऐसे शिक्षकों का पता लगाने में मदद मिलेगी।”
यह स्वीकार करते हुए कि धर्म और जाति की व्यक्तिगत जानकारी लेने से फर्जीवाड़े का कोई संबंध नही हैं, सुब्रमण्यम ने कहा, “यह जानकारी लेना पहले से ही सर्वे प्रक्रिया का हिस्सा रहा है।” उन्होंने कहा, “सीधे तौर पर टीचर से सभी जानकारी मिलने से इंस्टिट्यूट पर काम का बोझ भी कम होगा, साथ ही गलती की संभवाना भी घट जाएगी।”
खबर के अनुसार यह पहली बार है जब शिक्षकों की व्यक्तिगत जानकारी भी मांगी गई है। पिछले साल तक सभी शैक्षणिक संस्थानों को अपने स्टाफ का सामान्य व संख्यात्मक डेटा देना होता था, जैसे- पद, सेक्शन, लिंग, कैटेगरी (जनरल/एससी/एसटी/ओबीसी), धर्म (मुस्लिम/अन्य अल्पसंख्यक) और विकलांगता आदि।
लेकिन साल 2016-2017 के लिए वर्तमान डेटा कलेक्शन फॉर्मेट के साथ नया टीचर इंफोर्मेशन फॉर्मेट भी जोड़ दिया गया है। इस डेटा को Gurujan नाम के एक टीचर पोर्टल (gurujan.gov.in) पर डाला जाएगा।