नई दिल्ली: ओड़िसा में इंसानियत एक बार फिर शर्मसार हुई। शुक्रवार को ओडिशा में एक मजबूर पिता को अपनी सात साल की बेटी का शव लिए छह किलोमीटर तक पैदल चलने को मजबूर होना पड़ा, क्योंकि एंबुलेंस के ड्राइवर ने उसे रास्ते में उतार दिया। सात साल की बरसा खोमडू को मिथाली अस्पताल से मलकानगिरी अस्पताल ले जाया जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। जब एंबुलेंस के ड्राइवर को इस बात का पता चला तो एंबुलेंस से उतर जाने को कहा।
लोगों की सूचना पर बाद में हुई गाड़ी की व्यवस्था
ड्राइवर की इस हरकत पर एक दुखी पिता कुछ नहीं कह पाया और चुपचाप उतरकर पैदल चलने लगा। जब स्थानीय लोगों ने खेमुडू और उसकी पत्नी को बेटी का शव लेकर पैदल चलते देखा तो कई लोगों ने उसके बारे में पूछा। इसके बाद गांव वालों ने स्थानीय बीडीओ और चिकित्सा अधिकारियों से संपर्क किया जिसके बाद दूसरी गाड़ी का इंतजाम कराया गया।
कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
मलकानगिरी के जिला कलेक्टर के सुदर्शन चक्रवर्ती ने मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) उदय शंकर मिश्रा को मामले की जांच करने को कहा है। सीडीएमओ ने मलकानगिरी पुलिस थाने में ड्राइवर के साथ ही एंबुलेंस में मौजूद फार्मासिस्ट और अटेंडेंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
चक्रवर्ती ने पत्रकारों से कहा, यह पूरी तरह से गैरकानूनी है और ड्राइवर की तरफ से आपराधिक लापरवाही की गई है। मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने लड़की के माता-पिता को तत्काल वित्तीय सहायता मुहैया कराई है। जब सीडीएमओ उदय मिश्रा से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस कृत्य को 'अमानवीय' करार देते हुए कहा, 'जैसे ही मुझे घटना का पता चला, मैंने तुरंत ही दूसरी गाड़ी भेजी जिसने लड़की के परिवार वालों को उनके गांव पहुंचाया।
इससे पहले भी हुई ऐसी घटना
ऐसा नहीं है कि ये कोई पहला मौका है जब ओड़िसा में ऐसा हुआ हो इससे पहले भी 24 अगस्त कालाहांडी जिले के भवानीपटना के निवासी दाना मांझी को अपनी पत्नी का शव कंधे पर उठाए 10 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा था क्योंकि कालाहांडी जिला अस्पताल की तरफ से कथित रूप से शव वाहन देने से इनकार कर दिया गया था।