नई दिल्ली: मोदी सरकार को तीन साल पूरे होने जा रहे है और देश के ज्यादातर आर्थिक आंकड़े दिखा रहे हैं कि सरकार के तीन साल में आर्थिक स्थिति में सुधार तो हुआ है. यह आंकड़ों से एक बात साफ है कि केन्द्र सरकार के बीते तीन साल के फैसलों ने आज उसे ये आर्थिक आंकड़े दिए हैं. इन आंकड़ों का सीधा असर अगले 2 साल तक अर्थव्यवस्था पर दिखाई देगा. आर्थिक जानकारों के मुताबिक इन आंकड़ों से ही मार्च 2019 के आंकड़े भी प्रभावित होंगे. इतना ही नहीं बल्कि पीएम मोदी जिस तरह से एक एक कर चुनावी जीत की ओर आगे बढ़ रहे हैं उससे देख लग यही रहा है कि विपक्ष शून्य होता जा रहा है और आने वाले वक़्त में यह लोकतंत्र के लिए खतरा भी है लेकिन विपक्ष इसके लिए खुद ज़िम्मेदार नज़र आता है.
'अपना घर' का सपना भी होगा सच
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मौजूदा समय में 9 फीसदी से कम ब्याज पर होम लोन दे रही है. उम्मीद है कि अगले दो साल तक रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी लाने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को सस्ता घर मुहैया कराने के लिए इस ब्याजदर को और घटाया जाएगा. केन्द्र सरकार गरीब तबके के लिए प्रभावी होम लोन 4 फीसदी करना चाहती है(लगभग 4 फीसदी का ब्याज डॉयरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के तहत गरीब आदमी को देकर.) लिहाजा, 2019 में चुनावों से ठीक पहले देश में आम आदमी के लिए ब्याज दर 7 से 8 फीसदी के बीच रहने की संभावना है.
देश की जीडीपी दौड़ेगी (डबल डिजिट ग्रोथ)
जहां मार्च 2014 में देश की जीडीपी ग्रोथ 6.60 फीसदी थी वहीं मार्च 2017 में ये 7.10 के स्तर पर है. वित्त वर्ष 2018 के लिए विश्व बैंक और आईएमएफ का दावा है कि जीडीपी ग्रोथ रेट 7.6 से अधिक रहेगी. लिजाहा 2019 में चुनावों के पहले देश की जीडीपी में 1-2 फीसदी की बढ़त देखने को मिल सकती है जिससे भारत दुनिया में सबसे तेज भागने वाली अर्थव्यवस्था के तमगे को बरकरार रखेगी. वहीं वैश्विक ट्रेड के अन्य सेक्टर में अच्छी पर्फॉर्मेंस के चलते 2019 में डबल डिजिट ग्रोथ के लक्ष्य को भी पूरा किया जा सकता है. यानी 2019 में चुनावों से ठीक पहले देश की जीडीपी 8-10 फीसदी के दायरे में रह सकती है.
जीएसटी और नोटबंदी से आएंगे 'अच्छे दिन'
दुनियाभर की रेटिंग एजेंसी समेत रिजर्व बैंक का दावा है कि भारत में आर्थिक सुधारों (जिसमें जुलाई से लागू होने वाला जीएसटी शामिल है) के चलते जीडीपी ग्रोथ रेट 1-2 फीसदी बढ़ सकती है. वहीं वित मंत्री समेत आर्थिक मामलों के जानकार दावा कर चुके हैं कि नोटबंदी से छोटी अवधि में नुकसान के बाद बड़ी अवधि में फायदा होगा. लिहाजा, नोटबंदी से कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगा लगाने की कवायद के चलते भी जीडीपी की रफ्तार तेज हो सकती है. लिहाजा, 2019 में चुनावों के वक्त जीडीपी
सेंसेक्स और निफ्टी
मौजूदा समय में भारतीय शेयर बाजार लगातार बुलंदियों को छू रहा है. मार्च 2014 के 22 हजार के स्तर से भागते हुए तीन साल में सेंसेक्स 8 हजार अंकों की उछाल के साथ तीस हजारी हो चुका है. इस स्तर के बाद बाजार के जानकारों का मानना है कि फ्रांस में चुनाव के नतीजों से ब्रेक्जिट की स्थिति मजबूत होने का असर भारतीय बाजार पर पड़ेगा और मध्यम और दीर्घ अवधि तक बाजार मजबूती कायम रख सकेगा. वहीं देश में जीएसटी लागू होने और अच्छे मानसून की संभावनाओं से एग्री सेक्टर की कंपनियां भी अगले 1-2 साल तक मजबूती के साथ बाजार में कारोबार करती देखी जाएंगी. वहीं आने वाले दिनों में विदेशी निवेश खींचने में सफल रहने पर भारतीय शेयर बाजार मार्च 2019 तक और बुलंदियों को छू सकता है. हालांकि शेयर बाजार में अपने निहित रिस्क होते हैं लेकिन राजनीति क-आर्थिक स्थिति का पॉजिटिव असर बाजार को मजबूत रखेगा.