दिन सोमवार
2/5/2022
सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास उनका सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन भाग 2
भारत की सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है हम कह सकते हैं की यह सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता है सुमेरियन, बेबीलोनिया की सभ्यता से भी प्राचीन सिंधु सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं क्योंकि हड़प्पा नामक स्थान पर यह सभ्यता पाई गई थी हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सिंधु सभ्यता के प्रमुख केन्द्र थे सिंधु सभ्यता के मुख्य केन्द्र सिर्फ़ हड़प्पा और मोहनजोदड़ो ही नहीं थे कालीबंगा,लोथल,धौलावीरा के अतिरिक्त लगभग 200 केंद्र खुदाई में मिले हैं सिंधु सभ्यता आज से लगभग 8000 वर्ष पहले विकसित हुई थी यह एक उच्च कोटि की नगरीय सभ्यता थी इस सभ्यता की सबसे पहले खोज सर जान मार्शल जी ने 1861 ईस्वी में की थी उन्होंने उसकी सूचना पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दिया था पर इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया उसके बाद 1921-22 में जान मार्शल के साथ मिलकर दयाराम साहनी ने हड़प्पा सभ्यता की खोज की थी।
सिंधु सभ्यता को देखकर सभी अचंभित रह गए आज हम स्वयं को बहुत विकसित मानते हैं जबकि आज से 8000 साल पहले भारत में एक उच्च कोटि की विकसित सभ्यता थी सिंधु सभ्यता का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष उसकी नगर योजना है ऐसी विकसित नगर योजना अन्यत्र कहीं प्राप्त नहीं होती आज हम मानते हैं की हम बहुत उन्नतिशील हो गए हैं पर हमारी नगरीय योजना आज भी उतनी विकसित नहीं है यदि वर्षा का समय आता है तो नगरों में जगह जगह जल भराव दिखाई देता है क्योंकि वहां पानी के निकास का कोई साधन नहीं है जगह जगह गंदगियों का ढेर है हम कहीं भी अपने घरों का कूड़ा फेंकते रहते हैं इससे तरह तरह की बीमारियों को बढ़ावा मिलता है।
आज से हजारों साल पहले भारत में एक ऐसी सभ्यता विकसित हुई थी जिसकी नगर योजना अद्वितीय थी वह भी एक नगरीय सभ्यता ही थी मकान पक्की ईंटों से निर्मित थे इस नगर योजना की सबसे बड़ी विशेषता यह भी की यहां पानी के निकासी का प्रयाप्त साधन था पूरे घर का फर्श जहां मिट्टी का था वहीं बाथरूम पक्की ईंटों का बना हुआ मिला है घरों से निकला पानी घर के बाहर बहुत बड़े घड़े में इकट्ठा होता था उससे होता हुआ वह बाहर बनी पक्की नालियों में जाता था यह मुख्य नालियां लगभग 10 से 12 फीट गहरी थीं और वह बड़े बड़े पत्थरों से ढंकी हुई होती थीं।बाहर मुख्य सड़कों पर थोड़ी थोड़ी दूरी पर कूडादान बना हुआ था जो बहुत विशाल होता था लोग इसी में कूड़ा फेंकते थे मुख्य सड़क अर्थात राजपथ की चोड़ाई 30 मीटर तक की मिली है वहां की सबसे पतली गली 10 फीट चौड़ी थी। सड़कों और गलियों में दोनों तरफ़ पत्थर से ढ़कीं नालियां बनी हुई थी।
जिसका पानी शहर से बाहर जाकर गिरता था।
मोहनजोदड़ो में जो स्नानागार मिला है उस कुएं में नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं वहां स्नान के बाद कपड़े बदलने की व्यवस्था भी थी मोहनजोदड़ो का स्नानागार भी पक्की ईंटों से निर्मित था।
हड़प्पा में जो विशाल अन्नागार मिला है वह नदी के किनारे पर बना हुआ था वहीं अनाजों को लाकर रखा जाता था इतना विशाल अन्नागार अन्यत्र किसी भी सभ्यता में दिखाई नहीं देता यह अन्नागार नगर के अनाजों को संग्रहित करने के उद्देश्य से बनवाया गया था यह नदी के किनारे निर्मित था जिससे यहां से दूसरे देशों में निर्यात करने में भी सुविधा होती रही होगी उस समय सिंधु सभ्यता का व्यापार सुमेरिया, से होता था क्योंकि समेरियन मुद्राएं सिंधु सभ्यता में पाई गई हैं आज इतना ही इसके आगे का इतिहास कल लिखूंगी••••
क्रमशः
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
2/5/2022