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मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 9

24 मई 2022

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दिन सोमवार
9/5/2022

  छठी शताब्दी ईसा पूर्व की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त परिचय    भाग 9

उत्तर वैदिक काल के बाद भारतीय समाज में राजनीतिक और धार्मिक परिवर्तन हुए जिसके कारण भारतीय राजनीति और समाज को नई दिशा मिली महाकाव्य काल तक आते आते राज्यों का विस्तार होने लगा था इस समय जातियों के नाम पर जन और जनपद का उल्लेख मिलता है अब राज्य की कल्पना जातीय न रहकर भौगोलिक स्थिति में पहुंच गई थी छठी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्पूर्ण उत्तर भारत छोटे छोटे राज्यों में विभक्त था उस समय भारत में राजतंत्रात्मक और गणतंत्रातम दोनों प्रकार के राज्य विद्यमान थे राजतंत्रात्मक राज्यों की संख्या 16 थी
जिन्हें 16 महाजनपद कहा जाता था वह 16 महाजनपद थे अंग,मगध, काशी,कोशल,वज्जि,मल्ल,चेदि, वत्स,कुरू,पांचाल, मत्स्य,सूरसेन, अवन्ति,अश्मक, गांधार,कम्बोज

इसी प्रकार गणराज्यों की संख्या 10 थी इन राज्यों का उल्लेख हमें तत्कालीन जैन, बौद्ध साहित्य , विदेशी यात्रियों के विवरण और से प्राप्त होता है दुर्भाग्य से उस समय के भारतीय इतिहासकारों ने इस पर कोई प्रकाश नहीं डाला है।
राजतंत्रात्मक राज्यों में राजा का शासन था और गणतंत्रातम राज प्रजा के द्वारा चुने गए सभापति के द्वारा संचालित होता था राजतंत्रात्मक राज्य अधिक शक्तिशाली थे पर गण राज्यों में भी लिच्छवी गण राज्य इतना शक्तिशाली था की छठी शताब्दी ईसा पूर्व का कोई भी राजा उसे पराजित नहीं कर सका लिच्छवी गण राज्य को अपने साथ मिलाने के लिए उन्हें वैवाहिक संबंध स्थापित करना पड़ता था।

राजतंत्रात्मक राज्यों की शक्तियां जब बढ़ने लगी तो धीरे धीरे 16 महाजनपद चार महाजनपद में विभक्त हो गए
पहला मगध जिसका शासक बिम्बिसार था जिसकी राजधानी राजगृह थी आगे चलकर इसका पुत्र अजातशत्रु राजा बना अजातशत्रु ने अपने पिता की हत्या करके सिंहासन प्राप्त किया था बाद में इसे अपने कृत्य पर पश्चाताप हुआ और इसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।

दूसरा राज्य था अवन्ती आज का आधुनिक मध्य मालवा, मध्य प्रदेश बरार के समीपवर्ती क्षेत्र यहां का राजा था प्रद्योत जिसका पूरा नाम था चंद्रप्रद्योत बौद्ध साहित्य में प्रद्योत को विस्तार वादी नीति का समर्थक कहा गया है वत्स के राजा उदयन से निरंतर प्रद्योत का युद्ध होता रहता था प्रद्योत की एक पुत्री थी वासवदत्ता जो वत्स नरेश उदयन से प्रेम करने लगी थी इसका उल्लेख मैंने अपने लेख वासवदत्ता में किया है आप उसे पढ़कर इनके प्रेम की कहानी जान सकते हैं चंड प्रद्योत और उदयन के मध्य घोर शत्रुता थी फिर भी वासवदत्ता ने भागकर उदयन से विवाह किया था।

तीसरा राज्य था वत्स जो आज के आधुनिक इलाहाबाद से 38 किलोमीटर दूर स्थित था वत्स की राजधानी थी कौशांबी उदयन ने वासवदत्ता का अपहरण करके उस से विवाह किया था इस कथा का उल्लेख मैंने स्वप्न वासवदत्ता में किया है।

चौथा राज्य था कोशल आधुनिक अवध का क्षेत्र कोशल दो भागों में विभक्त था उत्तरी कोशल जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी और दूसरा दक्षिणी कोशल जिसकी राजधानी कुशावती थी यहां का राजा प्रेसेनजित था प्रेसेनजित की बुआ का विवाह बिम्बिसार से हुआ था बाद में प्रेसेनजित ने अपनी पुत्री का विवाह अजातशत्रु से कर दिया था।

पहले  16 महाजनपद चार में विभक्त हुए और आगे चलकर मगध राज्य ने अन्य तीनों राज्यों को मगध में अंगीकृत कर लिया परंतु गणराज्यों का अस्तित्व अभी भी विद्यमान था लेकिन आपसी फूट के कारण वह पतन की ओर अग्रसर हो चले थे परंतु गणराज्यों का अस्तित्व गुप्त काल तक विद्यमान था क्योंकि चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया था उसके बाद गणराज्यों का अस्तित्व समाप्त हो गया।

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जहां राजनीतिक क्रांति हुई वहीं दूसरी तरफ धार्मिक क्रांति भी प्रारंभ हो चुकी थी इसी समय जैन धर्म और बौद्ध धर्म का उदय हुआ हम यह भी कह सकते हैं की राजनीतिक क्रांति ने ही धार्मिक क्रांति को जन्म दिया क्योंकि अब राजतंत्र निरंकुश होने लगे थे उन्होंने अपनी नैतिकता का त्याग कर दिया था दूसरी तरह समाज में ब्राह्मणों और क्षत्रियों का बोलबाला था याज्ञिक कर्मकाण्ड जटिल होने लगे थे समाज में जाति प्रथा की जटिलता के कारण समाज का एक वर्ग श्रमजीवियों पर सामाजिक अत्याचार प्रारम्भ हो गए थे राजा अपने साम्राज्य विस्तार की नीतियों में व्यस्त थे उन्हें समाज की गतिविधियों पर ध्यान देने का समय ही नहीं था जिस वर्ग को सामाजिक नीतियों को व्यवस्थित करने का उत्तरदायित्व दिया गया था वह भी निरंकुश होने लगे थे क्योंकि जब राजा अपनी प्रजा से विमुख होने लगता है उस के सुख दुःख को नहीं समझता तो राज्य के पदाधिकारियों का व्यवहार भी निरंकुश हो जाता है।
अतः हम कह सकते हैं की छठी शताब्दी ईसा पूर्व भारतीय इतिहास में एक क्रांतिकारी युग के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यहीं से भारत में एक छत्र या अखंड राज्य की स्थापना की नींव पड़नी शुरू हो गई थी।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
9/5/2022

 


Papiya

Papiya

शानदार

24 मई 2022

Kanchan Shukla

Kanchan Shukla

29 मई 2022

धन्यवाद आपका तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए देर से धन्यवाद ज्ञापित कर रही हूं

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रचनाएँ
दैनदिंनी मई
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मैं अपनी डायरी में इतिहास के कुछ पन्नों को उकेरने की कोशिश कर रही हूं मैं इसमें कितना सफल हुई हूं यह निर्णय शब्द इन के पाठक गण ही करेंगे।
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