shabd-logo

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई भाग 3

22 मई 2022

33 बार देखा गया 33

दिन मंगलवार
3/5/2022

सिंधु सभ्यता के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का परिचय  भाग 3

सखी कल मैंने तुमसे सिंधु सभ्यता की नगर योजना के विषय में चर्चा की थी वह तो बहुत संक्षिप्त परिचय है पर अगर इसका विस्तार से परिचय दिया जाए तो एक महागाथा हो जाएगी इसलिए मैंने थोड़ा ही परिचय दिया तुम कह सकती हो की मैंने तुम्हें यह बताने की कोशिश की है की हम भारतीय आज से हजारों साल पहले आज से ज्यादा सभ्य और सुसंस्कृत जीवनशैली के साथ अपना जीवन व्यतीत करते थे तुमने कल सुना की सिंधु सभ्यता में पानी की निकासी, गालियों की व्यवस्था कूड़ा फेंकने की व्यवस्था का कितना विकसित और उच्च कोटि की व्यवस्था थी आज हम इतने विकसित होकर भी उतनी विकसित सुनियोजित तरीके से अपने नगरों का निर्माण नहीं करते आज मैं तुमसे सिंधु सभ्यता की सामाजिक , सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन के विषय पर चर्चा करूंगी।

  सिंधु सभ्यता मातृसत्तात्मक थी जहां स्त्रियों के नाम से परिवार का परिचय मिलता था उस समय स्त्रियों को बहुत ज्यादा सम्मान प्राप्त था इसका परिचय हमें उस समय के पुरातात्विक सर्वेक्षण से पता चलता है स्त्रियां पर्दा नहीं करती थीं वह परिवार के हर मामले में अपनी राय देने के लिए स्वतंत्र थीं उस समय एक पत्नी व्रत का पालन किया जाता था कुछ व्यापारियों और राज परिवारों को छोड़कर लोगों का रहनसहन वैभवशाली था समाज में ऊंच नीच अमीरी ग़रीबी का कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता क्योंकि वहां जो मकान मिलें हैं वह बड़े और छोटे हैं पर उनकी बनावट और सुख सुविधा में कोई ज्यादा अंतर नहीं दिखाई दे रहा है पुरातात्विक अवशेषों से इसकी पुष्टि होती है समाज चार वर्गों में विभाजित था वर्गों में वर्णों में नहीं
पहला वर्ग विद्वानों का था जिसमें ज्योतिषी, वैद्य तथा पुरोहितों का था

दूसरा वर्ग योद्धाओं और प्रशासनिक अधिकारियों का था

तीसरा वर्ग व्यवसायियों का था जिसमें उद्योगपति एवं व्यापारियों आते थे

चौथा वर्ग श्रमजीवियों का था, जिसमें किसान, मछुआरों, मजदूरी करने वालों का था
लेकिन चौथे वर्ग का जीवन कहीं से भी दयनीय नहीं था हां उच्च पदाधिकारियों व्यवसासियों, और विद्वानों का रहन सहन ज्यादा सुख सुविधा सम्पन्न था पर अन्य वर्गों का जीवन भी स्तरीय था

  वहां के लोग सूती, और ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे स्त्री पुरुष के वस्त्रों में ज्यादा अंतर नहीं था शरीर के ऊपरी भाग को ढकने के लिए पुरूष वर्ग शाल की तरह वस्त्र का प्रयोग करते थे और नीचे आज की धोती जैसा वस्त्र धारण करते थे। स्त्रियां अपने ऊपरी वस्त्र को पीछे बांधती थीं और नीचे धोती जैसा वस्त्र धारण करती थीं स्त्री पुरुष दोनों ही सौंदर्य प्रिय थे पुरुष लम्बे बाल रखतें थे उनके बाल खुले होते थे और पीठ पर रहते थे स्त्रियां कलात्मक जूडे बना कर अपने बालों को संवारती थीं जूड़े में मोर पंख लगे सुन्दर बालों के आभूषण को धारण करती थीं स्त्रियां श्रृंगार भी करतीं थीं उत्खनन में पाउडर सिंदूर,काजल जूड़ा पिन जूडे में लगाने वाले आभूषण जो हाथी दांत के बने थे मिले हैं वहां से श्रृंगार दान भी मिला है जो धातु और हाथी दांत का बना होता था शीशे पर नक्काशी भी हाथी दांत और धातु से की जाती थी स्त्रियां नृत्य और संगीत को पसंद करती थीं उत्खनन में नर्तकियों की मूर्तियां मिली हैं वाद्ययंत्र भी मिले हैं जैसे ढोलक, डमरू, और तबला स्त्री पुरुष दोनों नृत्य और संगीत के प्रेमी थे।

  वहां के लोगों का आर्थिक जीवन भी उन्नतिशील था कृषि, व्यापार और पशुपालन वहां होते थे कृषि बहुतायत मात्रा में होती थी नदियों के कारण सिंचाई का साधन उपलब्ध था हड़प्पा से मिला अन्नागार इसका सबसे बड़ा प्रमाण है वहां के लोगों का रहनसहन उनकी आर्थिक संपन्नता का परिचायक है।

  सिंधु सभ्यता का धार्मिक जीवन भी अपना विशेष महत्व रखता है वहां प्रकृति  पूजा के साथ साथ मूर्ति पूजा भी  होती थी शिव की प्रतिमाएं मिली हैं जिसमें वह ध्यान मुद्रा में हैं त्रिशूल, श्रृंगी,बैल की प्रतिमाएं मिली हैं यह सब शैव धर्म को दर्शाता है कहने का तात्पर्य यह है कि, वहां के लोगों में शिव लोक प्रिय देवता थे वहां मातृदेवियों की पूजा होती थी सप्तमातृकाओं की मूर्तियां मिली हैं देवियों की मूर्ति के पीछे वृक्षों को दिखाया गया है उसमें पीपल,नीम प्रमुख थे धार्मिक अनुष्ठानों का उल्लेख भी मिलता है ऐसे अवसरों पर स्त्री पुरुष एक साथ नृत्य करते थे सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है की सिंधु सभ्यता में मंदिर का कोई भी अवशेष प्राप्त नहीं हुआ है इससे ऐसा प्रतीत होता है की यह लोग अपने इष्टदेव शिव को मंदिरों में नहीं खुले स्थान पर स्थापित करते थे क्योंकि हमारा यही मानना है की शिव पर्वत पर निवास करते हैं किसी मंदिर या महल में नहीं वहां नदियों पशुओं के साथ साथ सूर्य, चंद्रमा,नाग बैल की पूजा होती थी श्रृंगी को वहां बहुत पवित्र समझा जाता था लोग इसको सिर पर धारण करते थे।

  सखी तुम सोच रही होगी कि, मैं यह सब तुम्हें क्यों बता रहीं हूं यह तो सभी को पता है पर यह सब मैं इसलिए बता रहीं हूं की सिंधु सभ्यता के लोग कितने बुद्धिमान थे जहां वह लोग नगरों में रहते थे वहीं दूसरी ओर प्रकृति को कोई नुक़सान नहीं पहुंचाते थे उनका संरक्षण करते थे वह मूर्ति पूजा के साथ साथ प्रकृति की भी पूजा करते थे क्योंकि प्रकृति ही हमें जीवन देती है। उनमें धार्मिक कट्टरता नहीं थी स्त्री पुरुष को समान अधिकार था वह पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती थीं उन पर किसी तरह का कोई प्रबंध नहीं था समाज में ऊंच नीच का भेदभावपूर्ण वातावरण नहीं था अपने जीवन में सभी संतुष्ट थे थोड़ा बहुत अन्तर तो हर समाज में होता है पर वह अंतर किसी के जीवन को प्रभावित नहीं करता।
हमें आज सिंधु सभ्यता से कुछ सिखना चाहिए की समाज में जो असामान्यता का वातावरण है वह हमने स्वयं बनाया है स्त्री पुरुष में भेदभाव उन पर अत्याचार उनको कम आंकने की भूल यह सब हमें नहीं करना चाहिए प्राचीन काल में कहीं भी स्त्रियों को हेय दृष्टि से नहीं देखा गया है वह अपनी पसंद से विवाह करने के लिए स्वतंत्र थीं। स्त्रियों को भी शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार था सिंधु सभ्यता की लिपि चित्रात्मक थी दुर्भाग्य वश वह अभी तक पूर्ण रूप से पढी नहीं जा सकी है।
अंत में मैं इतना ही कहूंगी की हम आज स्वयं को विकसित मानते हैं लेकिन विकास के लिए हमने प्रकृति का दोहन किया है जबकि सिंधु सभ्यता में विकास के साथ साथ प्रकृति का भी संरक्षण किया गया था हमें भी सिंधु सभ्यता की इस सीख को अपनाना चाहिए।
आज इतना ही कल आगे नये विषय के साथ मिलूंगी शुभरात्रि

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
3/5/2022


18
रचनाएँ
दैनदिंनी मई
0.0
मैं अपनी डायरी में इतिहास के कुछ पन्नों को उकेरने की कोशिश कर रही हूं मैं इसमें कितना सफल हुई हूं यह निर्णय शब्द इन के पाठक गण ही करेंगे।
1

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 1

22 मई 2022
0
0
0

दिन रविवार 1/5/2022 मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने महाराजा पुरू या पोरस का व्यक्तित्व भाग 1 भारतीय इतिहास के पन्ने हमें ऐसे अनेकों महान राजा महाराजाओं की गाथाओं का ज्ञान क

2

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 2

22 मई 2022
0
0
0

दिन सोमवार 2/5/2022 सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास उनका सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन भाग 2 भारत की सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है हम कह सकते हैं की यह

3

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई भाग 3

22 मई 2022
1
0
0

दिन मंगलवार 3/5/2022 सिंधु सभ्यता के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का परिचय भाग 3 सखी कल मैंने तुमसे सिंधु सभ्यता की नगर योजना के विषय में चर्चा की थी वह तो बहुत संक्षिप्त परिचय है पर अगर

4

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 4

23 मई 2022
0
0
0

दिन बुधवार 4/5/2022 मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने वैदिक कालीन इतिहास भाग 4 भारतीय संस्कृति के इतिहास में वेदों का अत्यन्त गौरवशाली स्थान है वेद भारत की संस्कृति की अनमोल धरोहर है आर्य

5

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 5

23 मई 2022
0
0
0

दिन बृहस्पतिवार 5/5/2022 मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने उत्तर वैदिक कालीन समाज का संक्षिप्त परिचय भाग 5 ऋग्वैदिक काल में सिर्फ़ ऋग्वेद की रचना हुई जबकि उत्तर वैदिक काल में अन्य

6

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 6

23 मई 2022
1
1
0

दिन शुक्रवार 6/5/2022 उत्तर वैदिक के अंत तक भारतीय समाज, सभ्यता, संस्कृति और साहित्य का अत्यन्त विस्तार हो चुका था।अब बढ़ता हुआ वाड्.मय एवं ज्ञान संरक्षण एक समस्या बन गया था सभी साहित्य क

7

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 7

24 मई 2022
0
0
0

दिन शनिवार 7/5/2022 महाकाव्य काल के इतिहास का संक्षिप्त परिचय भाग 7 रामायण और महाभारत दो बड़े महाकाव्य इनकी कहानियां इतनी प्रचलित और प्रख्यात हैं कि,उनका यहां वर्णन करना आवश्यक नहीं है। रामायण

8

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 8

24 मई 2022
1
0
0

दिन रविवार 8/5/2022 महाकाव्य कालीन सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक आर्थिक, और धार्मिक जीवन का संक्षिप्त परिचय भाग 8 कल मैंने रामायण और महाभारत के विषय में संक्षिप्त चर्चा की थी आज मैं महाकाव्य का

9

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 9

24 मई 2022
1
1
2

दिन सोमवार 9/5/2022 छठी शताब्दी ईसा पूर्व की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त परिचय भाग 9 उत्तर वैदिक काल के बाद भारतीय समाज में राजनीतिक और धार्मिक परिवर्तन हुए जिसके कारण भारतीय

10

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 10

24 मई 2022
1
0
0

दिन मंगलवार 10/5/2022 छठी शताब्दी ईसा पूर्व और सातवीं शताब्दी के प्रारम्भ की राजनीतिक और धार्मिक क्रांति के इतिहास का संक्षिप्त परिचय भाग 10 छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही भारतीय इतिहास में परिवर

11

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 11

25 मई 2022
1
1
2

दिन बुधवार 11/5/2022 छठी शताब्दी ईसा पूर्व के बाद और सातवीं शताब्दी के प्रारंभिक काल के राजनीतिक इतिहास का संक्षिप्त परिचय भाग 11 मैंने पूर्व में इस बात की चर्चा की है की जब 16 महाजनपद चा

12

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 12

25 मई 2022
0
0
0

दिन बृहस्पतिवार 12/5/2022 नंद वंश के इतिहास का संक्षिप्त परिचय महापद्मनंद भाग 12 शिशुनाग वंश के पतन के पश्चात मगध के सिंहासन पर नंद वंश के शासकों ने शासन किया नंद वंश के शासनकाल में पहली बार नंद

13

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 13

26 मई 2022
0
0
0

दिन शुक्रवार 13/5/2022 नंद वंश के अंतिम सम्राट धननंद के जीवन का संक्षिप्त परिचय भाग 13 पिछले भाग में मैंने तुम्हें बताया था सखी कि नंद वंश के सम्राट महापद्मनंद ने अपने शौर्य से पहली बार भारत क

14

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 14

26 मई 2022
0
0
0

दिन शनिवार 14/5/2022 चाणक्य का संकल्प और नदंवश का उन्मूलन कैसे संभव हुआ इसका संक्षिप्त परिचय भाग 14 मगध सम्राट धननंद बहुत ही शक्तिशाली और कूटनीतिज्ञ शासक था उसके पास एक विशाल सेना थी फिर

15

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 15

26 मई 2022
0
0
0

दिन रविवार 15/5/2022 चाणक्य , चंद्रगुप्त मौर्य का मिलन भाग 15 धननंद की राजसभा से अपमानित होकर जब चाणक्य बाहर आए तो उनके मन में अपमान की ज्वाला धधक रही थी यह अपमान की ज्वाला इसलिए भी तीव्र

16

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 16

26 मई 2022
0
0
0

दिन सोमवार 16/5/2022 चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य का मिलन और नदंवश के विनाश की आधारशिला भाग 16 चाणक्य चंद्रगुप्त को लेकर तक्षशिला चले गए वहां उन्होंने चंद्रगुप्त को राजनीति, धर्मनीति, कूटनीति, नै

17

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 17

27 मई 2022
0
0
0

दिन मंगलवार 17/5/2022 चाणक्य और चंद्रगुप्त को पहली बार धननंद से पराजित होना पड़ा ऐसा क्यों हुआ? भाग 17 चाणक्य ने अपनी रणनीति तैयार कर ली थी चाणक्य ने चंद्रगुप्त के नेतृत्व में अपनी सेना

18

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 18

27 मई 2022
0
0
0

दिन बुधवार 18/5/2022 चाणक्य और चंद्रगुप्त की नई कूटनीतिज्ञ चाल और धननंद की पराजय मगध पर चंद्रगुप्त का अधिकार भाग 18 उस औरत की बात सुनकर चाणक्य को अपनी ग़लती का अहसास हो गया तब चाणक

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए