shabd-logo

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 17

27 मई 2022

16 बार देखा गया 16

दिन मंगलवार
17/5/2022

  चाणक्य और चंद्रगुप्त को पहली बार धननंद से पराजित होना पड़ा ऐसा क्यों हुआ? भाग 17

  चाणक्य ने अपनी रणनीति तैयार कर ली थी चाणक्य ने चंद्रगुप्त के नेतृत्व में अपनी सेना और कुछ छोटे राज्यों के शासकों और उनकी सेनाओं को साथ लेकर  सीधे मगध की राजधानी पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया  चाणक्य और चंद्रगुप्त ने यहीं गलती कर दी चंद्रगुप्त तो युवा था उसके पास सम्भवतः अनुभव की कमी थी पर चाणक्य जैसे कूटनीतिज्ञ से ऐसी ग़लती की उम्मीद नहीं की जा सकती थी चाणक्य को यह भलीभांति ज्ञात था की धननंद के पास विशाल सेना है उसकी सेना के डर से ही सिकंदर की सेना ने व्यास नदी को पार करने से इंकार कर दिया था दूसरे सबसे बड़ी बात धननंद स्वयं बहुत शक्तिशाली योद्धा था उसे हराना कोई बच्चों का खेल नहीं था चाणक्य और चंद्रगुप्त के पास इतनी सेना नहीं थी की वह धननंद की सेना का मुकाबला कर पाते चंद्रगुप्त कितना ही बड़ा योद्धा क्यों न रहा हो पर युद्ध एक व्यक्ति के द्वारा नहीं जीता जा सकता यह बात चाणक्य को क्यों समझ में नहीं आई यह सोचनीय विषय था पर कहते हैं न कि, जो जल्दबाजी करते हैं उनको असफलता का मुख देखना ही पड़ता है पर यह भी सत्य है कि, जो घोड़े की सवारी करेगा वही नीचे भी गिरेगा जो घोड़े पर बैठेगा ही नहीं उसके गिरने का सवाल ही नहीं पैदा होता हर ठोकर खाने वाला व्यक्ति संभलता है और  असफलता हमें आगे की सफलता का मार्ग दिखाती है यही जीवन का सबसे बड़ा सत्य है हम अपनी गलतियों से ही सीखते हैं चाणक्य और चंद्रगुप्त को अपनी ग़लती के कारण धननंद से पराजित होकर अपनी जान बचाकर भागना पड़ा उन्होंने ऐसी कौन सी गलती की थी की उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा यह बात चाणक्य को समझ नहीं आ रही थी वह छुपते छुपाते एक गांव में पहुंचे वहां रात में उन्होंने विश्राम किया वे लोग अपना वेश बदलकर वहां आए थे क्योंकि धननंद के सैनिक उन दोनों की खोज में लगे हुए थे उस रात उन दोनों एक विधवा स्त्री के घर में पनाह ली उस औरत ने उनको अपने घर में शरण देदी रात के भोजन के समय उस औरत का छोटा बालक घर आया और भोजन मांगने लगा तब मां ने कहा थोड़ी देर रूको मैं रोटी सेंक रही हूं उसी समय औरत ने चूल्हे से गरम रोटी उतार कर थाली में रखी बच्चे ने तुरंत उस रोटी को हाथ में उठाया और बीच से ही खाने लगा उस बच्चे का हाथ और मुंह दोनों जल गया तब वह बच्चा रोने लगा तो उसकी मां ने डांटते हुए कहा " तुम तो चाणक्य और चंद्रगुप्त हो गए तुमने जो गलती की है वही गलती उन दोनों ने की है नहीं तो आज हम उस अत्याचारी धननंद से मुक्त हो गए होते अपना नाम सुनकर चाणक्य और चंद्रगुप्त चौंक गए तब चाणक्य ने पूछा " माई चाणक्य और चंद्रगुप्त ने क्या ग़लती की थी क्या आप मुझे बताएंगी"? तब उस औरत ने कहा हां ज़रूर तुमने अभी देखा मेरे बेटे ने गरम रोटी को हाथ से पकड़ लिया यह इसकी पहली गलती थी वह थोड़ी देर रोटी ठंडी होने का इंतजार कर सकता था दूसरी गलती इसने सीधे बीच से खाना शुरू किया अगर यह किनारे से खाता तो सिर्फ़ इसका हाथ जलता मुंह बच जाता लेकिन इसकी जल्दबाजी ने इसको दोहरा नुक़सान पहुंचाया इसी तरह चाणक्य ने सीधे पाटलिपुत्र पर आक्रमण कर दिया जबकि उसके पास धननंद के जीतनी सेना भी नहीं थी अगर चाणक्य और चंद्रगुप्त ने पहले सीमांत प्रदेशों को जीता होता और अपनी शक्ति को और बढ़ाया होता अपनी सेनाओं की संख्या बढ़ाई होती तो धीरे धीरे छोटे छोटे राज्य और जनता उसके साथ मिल जाते उसकी शक्ति बढ़ जाती और चाणक्य अपने कुछ विश्वासपात्र लोगों को मगध के राजमहल में भेज देता वह वहां की गतिविधियों की जानकारी देते तो धननंद की योजना को विफल करने में चाणक्य और चंद्रगुप्त को सहायता मिलती पर चाणक्य जैसे विद्वान और कूटनीतिज्ञ ने भी वही गलती की जो मेरे बेटे ने की है उसने अपना धैर्य खो दिया और अपनी भूख मिटाने के लिए गरम रोटी पकड़ ली और उसे बीच से खाने लगा उस औरत ने बताया तब चाणक्य ने उससे दूसरा सवाल किया अब चाणक्य और चंद्रगुप्त को क्या करना चाहिए"?

  तब उस औरत ने कहा अब चाणक्य और चंद्रगुप्त के लिए धननंद पर सीधे सीधे युद्ध करके विजय प्राप्त करना असंभव हो गया है इसलिए अब चाणक्य को अपनी कूटनीति का प्रयोग करना होगा धननंद को धोखे से हराना पड़ेगा अब तुम फिर प्रश्न करोगे की धोखा देना उचित नहीं है पर हमारे शास्त्रों में लिखा हुआ है की जब राजा अत्याचारी हो जाए वह प्रजा का शोषण करने लगे देश में अराजकता फैलने लगे तो ऐसे दुष्ट शासक का धोखे से वध करना गलत नहीं होगा हमारे शास्त्रों में ऐसा कहा गया है मुझे ज्यादा जानकारी तो नहीं है पर मेरे पिता ने हमें ऐसी कहानियां सुनाई हैं यह तो एक सामान्य सी बात है जब घर परिवार के सदस्य गलत रास्ते पर चलते हैं तो घर का मुखिया उन्हें दंड देता है कभी कभी उनके झूठ को पकड़ने के लिए वह छुपकर उनका पीछा भी करता है मुखिया का वह कार्य ग़लत नहीं होता इसलिए चाणक्य और चंद्रगुप्त यदि एक क्रुर अत्याचारी राजा को धोखे से मारेंगे तो वह गलत नहीं है ग़लत को बर्दाश्त करना भी ग़लत है पर अब वह दोनों पता नहीं कहां भटक रहे होंगे अगर वह दोनों मुझे मिल जाए तो मैं उनसे कहूंगी की तुम लोग जो गलती कर चुके हो उससे सबक लो और पुनः एक बार नई रणनीति के साथ प्रयास करो "

  उस औरत की बात सुनकर चाणक्य और चंद्रगुप्त को अपनी ग़लती का अहसास हो गया उन्होंने उस औरत को प्रणाम कर उसका धन्यवाद किया और अपने नये संकल्प के साथ आगे बढ़ने का निश्चय कर वहां से चले गए । अब आगे का कथानक अगले भाग में उल्लिखित करूंगी।

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
22/5/2022


18
रचनाएँ
दैनदिंनी मई
0.0
मैं अपनी डायरी में इतिहास के कुछ पन्नों को उकेरने की कोशिश कर रही हूं मैं इसमें कितना सफल हुई हूं यह निर्णय शब्द इन के पाठक गण ही करेंगे।
1

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 1

22 मई 2022
0
0
0

दिन रविवार 1/5/2022 मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने महाराजा पुरू या पोरस का व्यक्तित्व भाग 1 भारतीय इतिहास के पन्ने हमें ऐसे अनेकों महान राजा महाराजाओं की गाथाओं का ज्ञान क

2

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 2

22 मई 2022
0
0
0

दिन सोमवार 2/5/2022 सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास उनका सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक जीवन भाग 2 भारत की सिंधु घाटी की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है हम कह सकते हैं की यह

3

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई भाग 3

22 मई 2022
1
0
0

दिन मंगलवार 3/5/2022 सिंधु सभ्यता के सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का परिचय भाग 3 सखी कल मैंने तुमसे सिंधु सभ्यता की नगर योजना के विषय में चर्चा की थी वह तो बहुत संक्षिप्त परिचय है पर अगर

4

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 4

23 मई 2022
0
0
0

दिन बुधवार 4/5/2022 मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने वैदिक कालीन इतिहास भाग 4 भारतीय संस्कृति के इतिहास में वेदों का अत्यन्त गौरवशाली स्थान है वेद भारत की संस्कृति की अनमोल धरोहर है आर्य

5

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 5

23 मई 2022
0
0
0

दिन बृहस्पतिवार 5/5/2022 मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने उत्तर वैदिक कालीन समाज का संक्षिप्त परिचय भाग 5 ऋग्वैदिक काल में सिर्फ़ ऋग्वेद की रचना हुई जबकि उत्तर वैदिक काल में अन्य

6

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 6

23 मई 2022
1
1
0

दिन शुक्रवार 6/5/2022 उत्तर वैदिक के अंत तक भारतीय समाज, सभ्यता, संस्कृति और साहित्य का अत्यन्त विस्तार हो चुका था।अब बढ़ता हुआ वाड्.मय एवं ज्ञान संरक्षण एक समस्या बन गया था सभी साहित्य क

7

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 7

24 मई 2022
0
0
0

दिन शनिवार 7/5/2022 महाकाव्य काल के इतिहास का संक्षिप्त परिचय भाग 7 रामायण और महाभारत दो बड़े महाकाव्य इनकी कहानियां इतनी प्रचलित और प्रख्यात हैं कि,उनका यहां वर्णन करना आवश्यक नहीं है। रामायण

8

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 8

24 मई 2022
1
0
0

दिन रविवार 8/5/2022 महाकाव्य कालीन सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक आर्थिक, और धार्मिक जीवन का संक्षिप्त परिचय भाग 8 कल मैंने रामायण और महाभारत के विषय में संक्षिप्त चर्चा की थी आज मैं महाकाव्य का

9

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 9

24 मई 2022
1
1
2

दिन सोमवार 9/5/2022 छठी शताब्दी ईसा पूर्व की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त परिचय भाग 9 उत्तर वैदिक काल के बाद भारतीय समाज में राजनीतिक और धार्मिक परिवर्तन हुए जिसके कारण भारतीय

10

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 10

24 मई 2022
1
0
0

दिन मंगलवार 10/5/2022 छठी शताब्दी ईसा पूर्व और सातवीं शताब्दी के प्रारम्भ की राजनीतिक और धार्मिक क्रांति के इतिहास का संक्षिप्त परिचय भाग 10 छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही भारतीय इतिहास में परिवर

11

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 11

25 मई 2022
1
1
2

दिन बुधवार 11/5/2022 छठी शताब्दी ईसा पूर्व के बाद और सातवीं शताब्दी के प्रारंभिक काल के राजनीतिक इतिहास का संक्षिप्त परिचय भाग 11 मैंने पूर्व में इस बात की चर्चा की है की जब 16 महाजनपद चा

12

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 12

25 मई 2022
0
0
0

दिन बृहस्पतिवार 12/5/2022 नंद वंश के इतिहास का संक्षिप्त परिचय महापद्मनंद भाग 12 शिशुनाग वंश के पतन के पश्चात मगध के सिंहासन पर नंद वंश के शासकों ने शासन किया नंद वंश के शासनकाल में पहली बार नंद

13

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 13

26 मई 2022
0
0
0

दिन शुक्रवार 13/5/2022 नंद वंश के अंतिम सम्राट धननंद के जीवन का संक्षिप्त परिचय भाग 13 पिछले भाग में मैंने तुम्हें बताया था सखी कि नंद वंश के सम्राट महापद्मनंद ने अपने शौर्य से पहली बार भारत क

14

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 14

26 मई 2022
0
0
0

दिन शनिवार 14/5/2022 चाणक्य का संकल्प और नदंवश का उन्मूलन कैसे संभव हुआ इसका संक्षिप्त परिचय भाग 14 मगध सम्राट धननंद बहुत ही शक्तिशाली और कूटनीतिज्ञ शासक था उसके पास एक विशाल सेना थी फिर

15

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 15

26 मई 2022
0
0
0

दिन रविवार 15/5/2022 चाणक्य , चंद्रगुप्त मौर्य का मिलन भाग 15 धननंद की राजसभा से अपमानित होकर जब चाणक्य बाहर आए तो उनके मन में अपमान की ज्वाला धधक रही थी यह अपमान की ज्वाला इसलिए भी तीव्र

16

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 16

26 मई 2022
0
0
0

दिन सोमवार 16/5/2022 चाणक्य और चंद्रगुप्त मौर्य का मिलन और नदंवश के विनाश की आधारशिला भाग 16 चाणक्य चंद्रगुप्त को लेकर तक्षशिला चले गए वहां उन्होंने चंद्रगुप्त को राजनीति, धर्मनीति, कूटनीति, नै

17

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 17

27 मई 2022
0
0
0

दिन मंगलवार 17/5/2022 चाणक्य और चंद्रगुप्त को पहली बार धननंद से पराजित होना पड़ा ऐसा क्यों हुआ? भाग 17 चाणक्य ने अपनी रणनीति तैयार कर ली थी चाणक्य ने चंद्रगुप्त के नेतृत्व में अपनी सेना

18

मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 18

27 मई 2022
0
0
0

दिन बुधवार 18/5/2022 चाणक्य और चंद्रगुप्त की नई कूटनीतिज्ञ चाल और धननंद की पराजय मगध पर चंद्रगुप्त का अधिकार भाग 18 उस औरत की बात सुनकर चाणक्य को अपनी ग़लती का अहसास हो गया तब चाणक

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए