दिन शनिवार
7/5/2022
महाकाव्य काल के इतिहास का संक्षिप्त परिचय भाग 7
रामायण और महाभारत दो बड़े महाकाव्य इनकी कहानियां इतनी प्रचलित और प्रख्यात हैं कि,उनका यहां वर्णन करना आवश्यक नहीं है।
रामायण के रचयिता बाल्मीकि और महाभारत के ऋषि व्यास माने जाते हैं ये दोनों महाकाव्य न तो कवि की कल्पना हैं और न ही विशुद्ध पौराणिक गाथा, इनमें वास्तविक घटनाएं,कहानियां और गाथाएं निःसंदेह घनिष्ठता पूर्वक मिश्रित हो गई हैं।
भारतीय इतिहास के विद्यार्थियों के लिए दोनों महाकाव्य अधिक महत्व के हैं क्योंकि इन महाकाव्यों में महाकाव्य काल की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक दशाओं से सम्बंधित प्रचुर सामग्रियां प्राप्त होती हैं। साहित्यिक और दार्शनिक दृष्टि से भी इनका बहुत महत्वपूर्ण स्थान है भारतीय साहित्य की ये सर्वोत्कृष्ट कृतियां हैं ऐतिहासिक दृष्टि से श्री राम की दक्षिण यात्रा आर्यों की दक्षिण विजय का प्रथम वृतांत है।
इन दो महाकाव्यों में मानव जीवन के प्रत्येक पहलू को उजागर किया गया है।कतिपय विद्वानों का मानना है की महाभारत तो पांचवा वेद है क्योंकि मानव जीवन की ऐसी कोई समस्या या पहलू नहीं है जिस इस ग्रंथ में विस्तार से विवेचना न की गई हो।
इन महाकाव्यों के पात्र हिंदुओं की पीढ़ियों की नैतिकता के उदाहरण रहे हैं आज भी श्री राम अनेक आदर्शों के पुंज माने जाते हैं वे आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति प्राणाधिक प्रियतमा को लोकानुरंजन के लिए परित्याग कर देने वाले आदर्श राजा राम राज्य आज तक आदर्श राज्य माना जाता है माता सीता भारतीय नारीत्व की साक्षात प्रतीक हैं भारतीय स्त्रियों के लिए वह पवित्रता और पतिव्रता धर्म में आज भी आदर्श हैं सदियों से नारियां सीता के उदात्त उदाहरणों का अनुसरण करती आ रही हैं। कौशल्या जैसी माता,भरत और लक्ष्मण जैसे भाई आज भी हिन्दू समाज में आदर्श और अनुकरणीय माने जाते हैं।
वही दूसरी तरफ महाभारत केवल कौरवों पाण्डवों के संघर्ष की कथा ही नहीं अपितु भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के सर्वांगीण विकास की गाथा भी है इसमें तत्कालीन धार्मिक, नैतिक, दार्शनिक और ऐतिहासिक आदर्शों का अक्षय संग्रह भी है तथा भारतीय नीति का विशाल दर्पण भी है।
युधिष्ठिर आज भी सत्य के प्रतीक माने जाते हैं और कृष्ण को बिष्णु का अवतार माना जाता है विस्तार में कोई भी काव्य महाभारत की समता नहीं कर सकता यूनानियों के महाकाव्य इलियड और ओडिसी दोनों मिलाकर महाभारत का आठवां भाग हैं महाभारत में धार्मिक, दार्शनिक विचारों का समावेश है इसलिए इसे हिंदू धर्म का धर्मशास्त्र भी कहा जाता है।
भारत के बाहर जहां भी हिन्दू संस्कृति का प्रचार प्रसार हुआ वहां रामायण के साथ साथ महाभारत का भी प्रचार हुआ गीता महाभारत का एक अंश है जिसमें श्रीकृष्ण ने धर्म, कर्म,ज्ञान,योग, सांख्य योग का सरल भाषा में अर्जुन को उपदेश दिया है गीता में सम्पूर्ण वेदों, उपनिषदों और पुराणों के सार को सहज और सरल भाषा में समझाया गया है इसके अतिरिक्त दोनों महाकाव्यों में उस समय की सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक व्यवस्था का उल्लेख भी किया गया है इन ग्रंथों में मानवीय मूल्यों की विवेचना भी सविस्तार से की गई है जिसका उल्लेख मैं कल करूंगी आज इतना ही कल फिर मिलेंगे महाकाव्य काल के संक्षिप्त इतिहास के साथ,
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
7/5/2022