दिन बुधवार
18/5/2022
चाणक्य और चंद्रगुप्त की नई कूटनीतिज्ञ चाल और धननंद की पराजय मगध पर चंद्रगुप्त का अधिकार
भाग 18
उस औरत की बात सुनकर चाणक्य को अपनी ग़लती का अहसास हो गया तब चाणक्य और चंद्रगुप्त ने सीमांत प्रदेशों के राजाओं के साथ मिलकर एक संघ बनाया चाणक्य ने अपने दूसरे कूटनीतिज्ञ विद्यार्थियों को गुप्तचरी की शिक्षा दी कुछ लोग मगध जाकर धननंद के महामंत्री अमात्य राक्षस से मिलकर उनके विश्वासपात्र बने फिर उसके जरिए वह लोग धननंद के करीब आ गए।तब उन लोगों ने धननंद की हर गतिविधि की सूचना चाणक्य को देनी शुरू की चाणक्य और चंद्रगुप्त ने अपनी नई रणनीति बनाई छापामार युद्ध चाणक्य और चंद्रगुप्त वेश बदलकर मगध पहुंच गए और गुप्त रास्ते से महल के अंदर भी दाखिल हो गए रात्रि के अंधकार में जब धननंद स्वप्न लोक में विचरण कर रहा था तो चंद्रगुप्त ने उसके कक्ष में प्रवेश किया उसके सैनिकों ने पहले ही धननंद के सुरक्षाकर्मियों को घेर लिया था पुराणों के अनुसार चंद्रगुप्त ने धननंद की सोते हुए ही हत्या कर दी पर कुछ अन्य साक्ष्यों के आधार पर चंद्रगुप्त ने धननंद को पहले जगाया फिर उसके साथ युद्ध किया जब धननंद हारने लगा तो वह वहां से भाग गया और साथ में अपनी सहस्त्र कोटि स्वर्ण मुद्राएं भी ले गया उसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला पर पुराणों का कथन ज्यादा सत्यता के नज़दीक है की चंद्रगुप्त और धननंद में युद्ध हुआ और जब धननंद पराजित हो गया तब चंद्रगुप्त ने धननंद की हत्या कर दी साक्ष्यों से ज्यादा जानकारी प्राप्त नहीं होती पर इतना तो निश्चित ही है की चंद्रगुप्त मौर्य ने नदंवश के अंतिम शासक धननंद को पराजित कर उसकी हत्या की और मगध के सिंहासन पर विराजमान हुआ फिर वहां से एक नये युग का सूत्रपात हुआ चंद्रगुप्त मौर्य का जीवन परिचय और उसके साम्राज्य विस्तार का संक्षिप्त विवरण आगे के भाग में करूंगी।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
22/5/2022