दिन मंगलवार
10/5/2022
छठी शताब्दी ईसा पूर्व और सातवीं शताब्दी के प्रारम्भ की राजनीतिक और धार्मिक क्रांति के इतिहास का संक्षिप्त परिचय भाग 10
छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ही भारतीय इतिहास में परिवर्तन प्रारम्भ हो गए थे जहां राजनीतिक क्रांति ने 16 महाजनपदों को चार सुदृढ़ राज्यों में परिवर्तित कर दिया वहीं दूसरी ओर धर्म के क्षेत्र में भी एक नई क्रांति का उल्लेख मिलता है वह था जैन और बौद्ध धर्म का उद्भव ईसा से पूर्व सातवीं शताब्दी के अंत तक हिन्दू समाज दृढ़ रूप से स्थाई हो चुका था यह आर्यों और अनार्यों के सामाजिक तत्वों के सम्मिश्रण का परिणाम था समाज में एक नई संस्कृति का विकास हो रहा था जो बाद में हिन्दू संस्कृति के नाम से प्रख्यात हुई संस्कृति की प्रमुख विशेषता धर्म का प्रभुत्व एवं पुरोहित वर्ग की प्रधानता थी परन्तु यह धर्म जो वैदिक धर्म से उदभाषित हो रहा था धीरे धीरे जटिल, गूढ़, अर्थहीन कर्मकाण्ड में परिवर्तित होता गया याज्ञिक कर्मकाण्ड जटिल और अधिक व्यय साध्य हो गए जनता से इन धर्मों का सम्पर्क टूटने लगा था इसमें जाति प्रथा की कठोरता, पुरोहितों की निरंकुशता और संस्कृत भाषा में लिखे ग्रंथों ने अपनी भूमिका निभाई समाज में जाति प्रथा की जटिलताओं के कारण सामान्य वर्ग समाज में विकसित धर्म और उसके कर्मकाण्ड से दूर होता जा रहा था लेकिन ईश्वर की भक्ति और मोक्ष की प्राप्ति का अधिकार तो हर मनुष्य का हक है जो उस समय सबके लिए एक समान नहीं था इसी बात के विरोध को लेकर समाज में कुछ विचारकों का उदय हुआ फलतः हिंदू धर्म को उसकी भ्रष्ट विधियों से मुक्त कराने के लिए अनेक सुधारवादी आंदोलन प्रारंभ हुए परंतु ऐसे आंदोलनों और आंदोलनकारियों का अस्तित्व समाप्त हो गया इन में बाद में दो का ही अस्तित्व बचा रहा जो आज तक भारत में विद्यमान है वह थे जैन धर्म और बौद्ध धर्म जैन धर्म के सिद्धांत तो थोड़े अलग थे इस विषय पर अलग से चर्चा करूंगी यहां इतना ही बताना ठीक होगा की जैन धर्म का सिद्धांत वैदिक धर्म से सर्वथा भिन्न था परंतु बौद्ध धर्म की शिक्षाओं में वैदिक धर्म का रूप विद्यमान था बौद्ध धर्म की शिक्षाएं उनके सिद्धांत दर्शन सब वैदिक धर्म से प्रभावित लगते थे क्योंकि हमारा ऋग्वैदिक कालीन धर्म बहुत ही सरल सहज था इसमें तो बाद के कालो मे जटिलताओं का समावेश हुआ जैन और बौद्ध धर्म छठी शताब्दी ईसा से लेकर मौर्य वंश के अंत तक अपनी पराकाष्ठा पर था क्योंकि तब इसे राजाश्रय प्राप्त था लेकिन मौर्य वंश के अंत के साथ ही बौद्ध और जैन धर्म की लोकप्रियता कम होने लगी क्योंकि पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहदरथ की हत्या करके शुंग राजवंश की नींव रखी पुष्यमित्र शुंग हिन्दू धर्म का अनुयायी था और उसने हिंदू धर्म को पुनः स्थापित कर उसके प्रचार प्रसार में कामयाब हुआ।
इसके आगे ईसापूर्व सातवीं शताब्दी के प्रारम्भ में भारतीय राज्यों की राजनैतिक स्थिति कैसी थी इसकी चर्चा कल करूंगी आज इतना ही कल फिर मिलेंगे शुभरात्रि
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
10/5/2022