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मेरी डायरी ज्ञान मंजूषा और इतिहास के कुछ पन्ने मई 2022 भाग 12

25 मई 2022

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दिन बृहस्पतिवार
12/5/2022

नंद वंश के इतिहास का संक्षिप्त परिचय महापद्मनंद  भाग 12

शिशुनाग वंश के पतन के पश्चात मगध के सिंहासन पर नंद वंश के शासकों ने शासन किया नंद वंश के शासनकाल में पहली बार नंद वंश के शासकों ने भारत को एक अखंड राज्य में परिवर्तित करने का प्रयास किया जैन साहित्य और बौद्ध साहित्य दोनों में ही नंद वंश के शासकों को नापित जाति का कहा गया है अर्थात नाई नीच कुल का बताया गया है। नंद वंश के शासकों ने लगभग 100 वर्षों तक शासन किया इनके शासन काल में मगध की शक्ति बहुत ज्यादा बढ़ गई थी पुराणों के अनुसार नंद वंश का प्रथम शासक महामद्म नापित था वह देखने में बहुत ही सुदर्शन और बलवान था वह मगध के शासक कालाशोक के समय राजमहल में आता जाता था कालाशोक की महारानी का वह कृपा पात्र बन गया और इस कारण वह राजा का भी विश्वास हासिल करने में कामयाब रहा और एक बार मौक़ा पाकर उसने राजा की हत्या कर दी महारानी और राजकुमारों का संरक्षक बन
बैठा और फिर उसने राजकुमारों की भी हत्या कर दी इस प्रकार वह मगध के सिंहासन पर अधिकार करने में सफल रहा महामद्म नंद बहुत ही वीर, शक्तिशाली और महात्वाकांक्षी था उसने मगध के सिंहासन पर बैठते ही उसका विस्तार करना प्रारंभ किया उसने अंग, बंग, मिथिला के राज्यों पर अपना आधिपत्य कर लिया महापद्मनंद ने हैह्मों को  पराजित करके महिष्मति पर भी अधिकार कर लिया था खारवेल के हाथीगुंफा अभिलेख से ज्ञात होता है कि महामद्मनंद ने कलिंग पर भी विजय प्राप्त की थी मैसूर के अभिलेखों से ज्ञात होता है कि, उसने दक्षिण के अनेक राज्यों को मगधराज में मिला लिया था इस प्रकार स्पष्ट है की पहली बार मगध साम्राज्य को अखिल भारतीय रूप प्रदान हुआ पुराणों में उसके लिए महाबली,अतिबली,एकछत्र, एकराट विरूदों का प्रयोग किया गया है।
पुराणों में महापद्मनंद के उत्तराधिकारी की संख्या 8 मिलती है पुराणों में यह भी कहा गया है की नव नंदो ने एक साथ मिल कर राज्य किया इसका तात्पर्य यह है की महापद्मनंद के आठ पुत्र थे जो उसके शासनकाल में उसके साथ मिलकर राज्य का कार्य देखते थे महापद्मनंद की मृत्यु के पश्चात धननंद मगध के सिंहासन पर आरूढ़ हुआ धननंद के विषय में यह भी उल्लेख मिलता है की उसने अपने पिता की हत्या करके मगध का सिंहासन प्राप्त किया था धननंद के विषय में मैं कल चर्चा करूंगी आज इतना ही कल फिर मिलेंगे शुभरात्रि

डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक
12/5/2022


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रचनाएँ
दैनदिंनी मई
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मैं अपनी डायरी में इतिहास के कुछ पन्नों को उकेरने की कोशिश कर रही हूं मैं इसमें कितना सफल हुई हूं यह निर्णय शब्द इन के पाठक गण ही करेंगे।
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