नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग द्वारा सहारा और बिड़ला समूह के ठिकानों पर की गई छापेमारी में मिले दस्तावेजों पर जाँच के आदेश देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महज कंप्यूटर में दर्ज भुगतान संबंधी सूचनाओं के आधार पर किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता। इस मामले में जांच कराने को लेकर एक एनजीओ 'कॉमन कॉज़ ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ दस्तावेजों के आधार पर याचिका दायर की थी और उस पर सुनवाई करने से चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया टीएस ठाकुर राजी हो गए थे।
इनकम टैक्स विभाग द्वारा सहारा और बिड़ला ग्रुप के दफ्तरों से छापेमारी में जो दस्तावेज बरामद किये गए उनमे बीजेपी के कई नेताओं के नाम शामिल होने की बात कही जा रही थी। सुप्रीम कोर्ट के इस मामले की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी होने के बाद कई बीजेपी नेताओं को इस बात का डर भी सता रहा था कि इस मामले में कहीं जाँच प्रक्रिया आगे बढ़ी तो प्रधानमंत्री मोदी की इमेज को झटका लग सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इनकम टैक्स विभाग को ठोस सामग्री जुटाने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 14 दिसंबर को होगी। सहारा और बिड़ला के यहाँ छपेमारी में मिले दस्तावेज कई समय से मीडिया में भी घूम रहे थे और कुछेक पत्रिकाओं और न्यूज़ वेबसाइट में इस खबर को जगह दी गई। नेशनल मीडिया में बड़े मीडिया हाउसेस ने इस मामले को ज्यादा तूल नही दी। अदालतों में जजों की नियुक्ति से लेकर नोटबंदी पर सीजीआई के रुख से बीजेपी नेताओं को इस मामले में दर सता रहा था।
गौरतलब है कि आयकर विभाग ने सहारा और बिड़ला समूह के यहाँ से जो दस्तावेज जब्त किये थे उनमे 'सीएम गुजरात', 'अहमदाबाद मोदी जी' और 'अहमदाबाद मोदी' को कथित तौर पर कुल 55.2 करोड़ रुपये का भुगतान करने की बात दर्ज है। इस सूची में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई की कोषाध्यक्ष शायना एनसी और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम भी हैं।