" कवीनोमित्रावरुणा तुविजाता उरुक्षया । दक्षं दधाते अपसम् । "
अनेक कर्मों को सम्पन्न कराने वाले विवेकशील तथा अनेक स्थलों में निवास करने वाले मित्रावरुण हमारी क्षमताओं और कार्यों को पुष्ट बनाते हैं ।
वृद्धि करें जो क्षमताओं की
और करें कार्यों की पुष्टि,
अनेकानेक स्थलों के निवासी
विवेकशील और कर्मों के साक्षी,
हे मित्र देव, हे वरुण देव हे
हे मित्रावरुण विदित है हमें ये ।
(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "