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मेरी काव्य पंक्तियों में ऋग्वेद के प्रथम मण्डल का द्वितीय सूक्त

7 नवम्बर 2023

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हे वायुदेव तुम सुन्दर मन

तुम सुन्दर मन, तुम सुन्दर तन

सुनो प्रार्थना, हम करें हवन

इस यज्ञ हेतु है अभिनन्दन ।

भाव भरे घट रखे  सोमरस

तुम लाते बसंत, तुम लाते पावस

प्रेम भरा ये  निमंत्रण मेरा

आओ पान करो ये  मधुरस।


कौन से, कैसे गुणों से भरा हुआ है

ये सोमरस किस रस से भरा हुआ है

वायुदेव को है  सोम  पान निमंत्रण

सोमरस का जो गुणों से भरा हुआ है ।

जिस स्तोता ने किया है इसका आसवन

करता प्रेम से वो आपका आवाहन

देता सोमरस के गुणों का आश्वासन 

 उत्तम स्तुतियों से आपका आवाहन ।



सोमयाग के सारे साधक

लेते सोमरस का जब रस,

सोमरस के गुणों का वर्णन

भाता अधिक आपके श्रीमुख ।

ये वाणी जब साधक तक पहुँचे

प्रभाव आपकी वाणी का पहुँचे,

होयँ आनंदित साधक इस सुख से 

कि सोमयाग रस तुम तक पहुँचे ।


हे इंद्रदेव हे !

हे वायुदेव हे !

यह सोमरस समर्पित

आप दोनों को है ।

किया आसवित

बड़े जतन से

है आपके हित ही

रखा संकलित संरक्षित ।

तुम्हें पुकारे व्यग्र बहुत है

तुम्हारे लिए ही तो संरक्षित है,

अन्न आदि सब लेकर आओ

सोमरस बड़ा ही आनंदित है ।


सकल  पदारथ हैं बस तुमसे

परिपूर्ण तुम अन्न से धन से

आप लोग अच्छे से समझते

क्यों विशेष ये सोमरस है ।

और प्रतीक्षा क्यों करवाओ

यथाशीघ्र तुम यज्ञ पे आओ

करो पदार्पण होय सफल ये

सोमयाग वायु और इंद्र देवों से ।


हे वायुदेव ! हे इन्द्रदेव ! 

सामर्थ्य ज्ञात नहीं तुम्हारा 

ऐसा कौन अभागा जग में,

प्रबल प्रचण्ड आपकी शक्ति 

बसे आपके भुजदण्डों में । 

सोमयाग का सोम अति पावन 

किया आसवित है यजमान ने, 

बुद्धि पवित्र और निर्मल मन से 

वांछित ज्ञान और जतन से । 

आओ पधारो दोनों देवजन 

पान करो सोम उसका मन, 

कितने अनुग्रह और प्रेम से 

शीघ्र पधारो है ये निमंत्रण । 


हे घृत मुख वरुण देव

आच्छादित करते इस जग को,

हे घृत पृकृति के मित्र देव हे

सदा वरुण देव के साथी हे ।

प्रकृति नियन्ता प्राण नियन्ता

ऋत नियम के रक्षक तुरंता

हे वरुण !  हे विश्व नियन्ता  ।

मित्र हमें पौरुष दो बल दो

संग रहो तुम वरुण देव के,

सब शत्रुन का नाश करो तुम

बन शत्रु मेरे शत्रुन के ।


सत्य फलित हो वरुण देव हे 

सत्य यज्ञ की पुष्टि हो मित्र हे,

सोमयाग को सत्य से भर दो 

जो जीवे उसको सत्य फलित हो ।    


वृद्धि करें जो क्षमताओं की 

और करें कार्यों की पुष्टि,

अनेकानेक स्थलों के निवासी 

विवेकशील और कर्मों के साक्षी, 

हे मित्र देव,  हे वरुण देव हे 

हे मित्रावरुण  विदित है हमें  ये । 



(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव " नील पदम् "    


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7 नवम्बर 2023
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मेरी काव्य पंक्तियों में ऋग्वेद के प्रथम मण्डल का द्वितीय सूक्त

7 नवम्बर 2023
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हे वायुदेव तुम सुन्दर मन तुम सुन्दर मन, तुम सुन्दर तन सुनो प्रार्थना, हम करें हवन इस यज्ञ हेतु है अभिनन्दन । भाव भरे घट रखे  सोमरस तुम लाते बसंत, तुम लाते पावस प्रेम भरा ये  निमंत्रण

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देवों के चिकित्सक अश्वनी कुमार द्वय ( ऋग्वेद- प्रथम मण्डल- तृतीय सूक्त - प्रथम श्लोक )

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