दृश्य: जंगल में सब कुछ अच्छा चल रहा है लेकिन कई दिनों से तोता(मिट्ठू) किसी को दिख नहीं रहा। हाथी (गजोधर), चूहा (कतरू) और बंदर (गोलू) उसी की बात कर रहे हैं।
हाथी (गजोधर): गोलू काफी दिन हो गए हैं मिट्ठू दिख नहीं रहा है पता नहीं कहां चला जाता है।
बंदर (गोलू): हां मैंने भी उसको काफी दिन से नहीं देखा। कहीं महाराज ने उसको जंगल से निकाल तो नहीं दिया?
चूहा (कतरू): नहीं अगर ऐसा होता तो सभा में होता और ये बात पूरे जंगल को पता होती ।
इतने में भालू (दरबारी) जंगल में घोषणा करने के लिए आया ।
भालू (दरबारी): सुनो सुनो सुनो! जंगल के सभी जानवर ध्यान से सुनो पिछले दो हफ्तों से मिट्ठू लापता है बताया जा रहा है कि पास के गांव के राजा ने यहां आकर उसका शिकार किया और उसको अपने साथ ले गए हैं । महाराज शेरवीर ने ये ऐलान किया है कि जो कोई भी मिट्ठू को वहां से छुड़ाकर लायेगा। उसको महाराज शेरवीर की तरफ से होने वाली अगली सभा में इनाम दिया जायेगा।
यह सुनकर मोरनी (मामी) और कोयल (चाची) आपस में बातचीत करती हैं।
मोरनी (मामी): सुनो बहना ! तुमको तो पता है मिट्ठू को वो राजा अपने महल लेकर गया है और तुमको तो पता है उस राजा का महल कहां है?
कोयल (चाची): हां, तुम सही कह रही हो मुझे पता है महल कहां है लेकिन मैं अकेले वहां नहीं जा सकती कहीं वो मुझे भी बंदी न बना लें।
मोरनी (मामी): तो तुम गोलू ,गजोधर और कतरू के साथ ले जाओ, और मिट्ठू को वापस ले आओ उसके बिना ये जंगल सूना लग रहा है।
कोयल (चाची): हां सही बात बोल रही हो तुम। चलो उनको पूछते हैं।
मोरनी (मामी): गोलू ,गजोधर और कतरू सुनो तुम तीनो कोयल चाची के साथ जाकर मिट्ठू को छुड़ाकर ले आओगे क्या?
बंदर (गोलू): हां मामी बिलकुल हम तीनों चाची के साथ मिट्ठू को लेने ज़रूर जाएंगे।
कोयल (चाची): तो चलो जल्दी देरी करने से कोई फायदा नहीं ।
दृश्य: चलते चलते शाम हो आई है और चारो जंगल के कच्चे रास्ते से होकर महल के पीछे की दीवार के पास आ गए हैं।
कोयल (चाची): मैं अभी ऊपर देखकर आती हूं कि मिट्ठू कहां है?
बंदर (गोलू): मैं भी दीवार पर चढ़कर आपके साथ चलता हूं।
कोयल (चाची): ठीक है। गजोधर तुम ध्यान दो अगर कोई आए तो तुम संभाल लेना।
चूहा (कतरू): और मैं क्या करूं?
हाथी (गजोधर): तुम मेरे साथ रहो कहीं कोई सैनिक ने हमला कर दिया तो मुझे कौन बचाएगा ?
चूहा (कतरू): हां, बना लो मेरा मजाक।
गोलू और चाची ऊपर राजा के कमरे की खिड़की तक पहुंच गए हैं वहां वो देख रहे हैं कि मिट्ठू पिंजरे में उदास बैठा है। लेकिन मिट्ठू ने जब गोलू और चाची को देखा तो वो अब खुश है और वो इशारे से बता रहा है कि पिंजरे की चाबी राजा के मुंह के अंदर है जो इस सो रहा है।
बंदर (गोलू): (कोयल चाची से) भला कौन सा राजा चाबी मुंह में लेके सोता है अब क्या करें?
कोयल (चाची): मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है एक काम तुम कतरू अपने साथ ऊपर ले आओ शायद वो ही बता सकता है कि क्या करना है?
गोलू फटाफट कतरू को अपने साथ ऊपर ले आया ।
चूहा (कतरू): ना मैं पिंजरा उठा सकता हूं और न चाची तो एक काम करो गोलू तुम पिंजरे को चुपचाप उठाकर खिड़की से बाहर ले जाओ और चाची तुम जब मैं इशारा करूं तो एक सुरीला सा गाना गाने लग जाना ।
गोलू ने चुपचाप पिंजरा चुपचाप उठाया और खिड़की से बाहर ले आया है । अब कतरू राजा की नाक के पास आया हुआ है और राजा अभी भी सो रहा है ।
कतरू ने अपनी पूंछ से राजा की नाक को छेड़ा और तभी राजा ज़ोर से छींका और चाबी मुंह से निकल कर जमीन पर गिरी ।
चूहा (कतरू): चाची जल्दी गाना गाओ नहीं तो राजा उठ जाएगा ।
कोयल (चाची): ठीक है गाती हूं।
सो जा सो जा मेरे दुलारे
सो जा सो जा मेरे आंख के तारे
सो जा सो जा नींद में खो जा
मीठे मीठे सपने बुलाए
परी तेरे सपनो में आए।
चूहा (कतरू) : चाची राजा सो गया है अब बस करो और गोलू जल्दी चाबी उठाओ और पिंजरा खोलो ।
बंदर (गोलू): हां करता हूं लेकिन तुम हुकुम मत चलाओ।
चूहा (कतरू): अरे अगर पकड़े गए तो लेने के देने पड़ जायेंगे ।
गोलू ने चाबी उठाई और पिंजरा खोल ही दिया । अब सब वापस जाने लगे दीवार से गोलू उतर ही रहा है कि सैनिक ने गोलू और कतरू को घेर लिया है
कोयल (चाची): गजोधर अब तुम्हारी बारी है सबक सिखा दो इन लोगों को।
हाथी (गजोधर): ठीक है मैं ऐसा ही करता हूं।
गजोधर ने पल भर में सारे सैनिकों को धूल चटा दी ।
अब सुबह होने वाली है और सब मिट्ठू को लेकर जंगल वापस लौट आए हैं ।
पूरा जंगल चारों की जमकर तारीफ हो रही है।
तोता (मिट्ठू): गोलू और गजोधर मुझे पता था की तुम मुझे बचाने जरूर आओगे ।
चूहा (कतरू): और मैं मुझे तुम हमेशा भूल जाते हो ।तुमको क्या लगता है मैने इनाम के लिए ये सब किया है। मिट्ठू मेरा भी दोस्त है और उससे बड़ा कोई इनाम कुछ नहीं है मेरे लिए ।
कोयल (चाची): नहीं कतरू ऐसा नहीं है तुमने तो उसको बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी थी ।
मोरनी (मामी): चलो अब मैंने सबके लिए ठंडा ठंडा शरबत बनाया है चलो उसको पीते हैं पहले।
बंदर (गोलू): गजोधर को बाल्टी में देना पड़ेगा।
ये सुनकर सारे ठहाके लगाकर हंसने लगे।