दृश्य : जंगल के सबसे बड़े बरगद के पेड़ के नीचे सभी जानवर सभा के लिए उपस्थित हुए हैं | एक शाही पत्थर के ऊपर हरी हरी घास का आसन बनाया हुआ है और सभी जानवर जंगल के राजा के आने का इंतज़ार कर रहे हैं |
भालू (दरबारी): होशियार , खबरदार जंगल के राजा शेरवीर पधार रहे हैं |
सभी जानवर सर को झुकाकर खड़े हुए
शेर (राजा) : बैठ जाओ सब ! जैसा की आप सबको पता है यह सभा हमने आप सबकी परेशानी का निवारण करने के लिए बुलाई है तो सब अपनी अपनी परेशानी बताये और सभा को शुरू किया जाए |
बन्दर (गोलू): महाराज की जय हो ! महाराज मेरे माँ और पिता को एक शिकारी पकड़ कर ले गया हैं | अब वो उनके साथ क्या करेगा ?
बाकी के सारे जानवर: (आपस में) इतने से बच्चे के साथ ये तो बहुत बुरा हुआ बेचारा |
शेर (राजा) : गोलू , तुम्हारे माता-पिता को शिकारी ने ले जाकर सर्कस वालों को बेच दिया है , वो अब बाकी की उम्र वही बिताएंगे | वहां उनको पिंजरे में रखा जायेगा, उनको करतब करने के लिए मजबूर किया जायेगा और ऐसा न करने पर उनको चोट तक पहुंचाई जाएगी |
ये सुनकर बन्दर (गोलू) रोने लगा |
मोरनी (मामी) : चुप हो जाओ गोलू ! तुमको अभी इसकी आदत नहीं हुई है तुम इंसानों के बारे में अभी कुछ नहीं जानते हो|
मोरनी महाराज की तरफ देखते हुए
महाराज, मेरा परिवार इन इंसानो से बहुत परेशान है वह बार बार जंगल आते है और हमें पकड़ कर जबरदस्ती हमारे पंखो को तोड़कर ले जाते है | महाराज हमारे दर्द को कौन समझेगा कितना दर्द होता है तब |
शेर (राजा) : मुझे आपसे पूरी हमदर्दी है लेकिन अभी हम इसका समाधान नहीं दे सकते |
हाथी (गजोधर): ऐसे कैसे महाराज ? कोई तो समाधान होना चाहिए नहीं तो मेरे भाई की तरह मुझे भी शिकारी किसी दिन मार देंगे | महाराज मेरा भाई एक दिन जंगल में घूम रहा था और कुछ शिकारियों ने मिलकर उसको मार दिया और उसके दांत और नाखून अपने साथ ले गए | महाराज हमने तो कोई गलती भी नहीं की ना हम अपना घर छोड़कर उनके घर गए तो वह यहाँ हमारे घर में आकर हमको क्यों मारते हैं ?
शेर (राजा) : गजोधर, ये इंसान हमको कभी अपने शौक और कभी अपने लालच के लिए हमको कष्ट देते आये हैं | कभी-कभी तो लगता है कि एक दिन सब ख़त्म हो जायेगा सारे जंगल ख़त्म हो जायेंगे और हम सबको एक दिन इंसानो की मर्ज़ी का गुलाम बनकर उनके चिड़ियाघर में रहना होगा | उनके हिसाब से खाना होगा और उनके लालच का कष्ट भी हमको ही उठाना पड़ेगा |
मेरे पास हर दिन कोई न कोई जानवर आकर यही सब कहता है | उस दिन मगरमच्छ की भी शिकायत थी कि उसके साथ के दोस्त को शिकारियों ने मिलकर पकड़ा और अपने साथ ले गए वो बोल रहे थे कि उसकी खाल निकाल कर बेचेंगे क्यूँकि उसके बहुत पैसे मिलते हैं |
तोता (मिट्ठू): महाराज मुझे तो जंगल से पकड़ कर वो शहर लेके गए थे और वहां उन्होंने मुझे हमेशा के लिए पिंजरे में बंद कर दिया था | मुझे मेरे पंख खोलने तक की आज़ादी नहीं थी | जब उनका मन होता मुझसे बात करते और जब मै अपनी मर्ज़ी से बोलता तो गुस्सा करते थे ,लेकिन एक दिन मैं मौका पाकर वहां से भाग आया |
शेर (राजा) : अच्छा अभी और किसी की कोई परेशानी है तो बता सकता है |
गधा (घोंचू) : जी महाराज ! मुझे
शेर (राजा) : तुमको भी परेशानी है ?
इतना सुनकर पूरी सभा हँसने लगी
गधा (घोंचू) : हाँ महाराज | मेरा तो पूरा परिवार नाकारा की श्रेणी में आता है लेकिन इन इंसानो ने हमको तक नहीं छोड़ा हमसे खूब काम करवाते हैं दिन रात भार उठा उठा कर जीवन बीत जाता है और बदले में मिलता है तो बस इंसानो की मार और तुम सब लोगों भी मेरी बुद्धि का ही मज़ाक बनाते हो |
शेर (राजा) : मामला तो बेहद गंभीर है इसका कोई समाधान तो करना पड़ेगा लेकिन कैसे ?
लोमड़ी (मंत्री) : महाराज जिस तरह से हम सब जानवर एक जैसे नहीं हैं वैसे ही सभी मनुष्य भी एक जैसे नहीं होते हैं | कुछ इंसान अभी भी हमारी सुरक्षा के लिए आवाज उठाते हैं और हमारे अधिकार के लिए लड़ते भी हैं | हाँ इनकी गिनती अभी कम है लेकिन जल्दी ही इंसानो में भी जागरूकता आएगी और वो हमको अपने फायदे के लिए नुक्सान नहीं पहुँचायेंगे | मैंने ऐसे कई लोगों को जंगल आते हुए देखा है जो किसी ऐसी संस्था से जुड़े होते हैं जो हमारे संरक्षण के लिए कार्य करते हैं |
तुम सबको पता है कि इंसानो द्वारा विश्व वन्यजीव दिवस, जो कि विश्व वन्यजीव और पौधों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 3 मार्च को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2013 में 3 मार्च को विश्व वन्यजीवन दिवस के रूप में घोषित किया था, जिससे वन्य जीवों और पौधों की महत्वता और उनके संरक्षण की आवश्यकता को मान्यता मिली। इस दिन का उद्देश्य विश्व वन्यजीव और पौधों की सुंदरता और विविधता का जश्न मनाना है और उन्हें विभिन्न खतरों जैसे आवास का नुकसान, शिकार और अवैध व्यापार से संरक्षित करने की आवश्यकता को उजागर करना है।
इसलिए आप सभी उम्मीद रखो कि एक दिन हम भी अपने घरों में सुरक्षित रह सकेंगे |
सभी जानवर लोमड़ी के ज्ञान की तारीफ़ करने लगे |
और इसी उम्मीद के साथ कि हमारा भविष्य अच्छा होगा जंगल के राजा ने इस सभा को ख़त्म किया |