15/6/22
प्रिय डायरी,
आज मैंने शब्द.इन पर मिट्टी के खिलौने शीर्षक पर कविता लिखी।
मिट्टी के खिलौने बनाने का कार्य कुम्हार करता है। अपनी चक्की की कच्ची मिट्टी से वह भिन्न भिन्न प्रकार के खिलौने सांचे में ढाल कर खिलौने बनाता है। खिलौनों को बनाकर उन्हें रंगरोगन कर सुन्दर और सलोने खिलौने बनाता है।
बच्चे भी उन खिलौनों को देख कर मचल उठते हैं खरीदवाने के लिए फिर माता पिता उनकी इच्छा पूरी करते हैं।
अक्सर मेले में मिट्टी के खिलौने की दुकानें सजती है और फिर उन्हें खरीदने के लिए लोग उमड़ते है। भिन्न भिन्न प्रकार के खिलौने जैसे चूल्हा चौका, गुड़िया, गुजरिया, सिपाही, बुड्ढा, बुढ़िया इत्यादि।
बच्चे बड़े प्यार से उन्हें खरीद कर फिर खेलते और मिट्टी के खिलौने टूटने पर बहुत रोते हैं जैसे उनकी कोई कीमती टूट गई हो। बच्चों का दिल भी कितना मासूम होता है।
बच्चे भी कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं जिस सांचे में ढालो ढल जाते हैं। इसलिए माता पिता उन्हें बचपन से ही अच्छे संस्कार देते हैं ताकि बड़े हो कर अच्छे देश के नागरिक बन सकें।
धन्यवाद
अनुपमा वर्मा ✍️✍️