भोपाल : हिंदुस्तान चकाचौध के दौर से गुजर रहा है। अब डिजिटल इंडिया और कैशलेस इंडिया की बात भी होने लगी है। प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि अब तो बटुवे की भी जरूरत नही है, मोबाइल ही आपका बटुवा है। सड़कों पर चमकती कारों की कीमत करोड़ों में है लेकिन इस चकाचौंध के दौर में मोहन बंजारा खुद बैल बनने को क्यों मजबूर है।
मोहन बंजारा की कहानी
मध्यप्रदेश के गुना जिले के जामनेर में एक ऐसी की घटना सामने आयी है जिसे देखकर किसी को भी इस दौर में इंसान की स्थिति पर तरस आ सकता है। राघौगढ़ जिले के खिलचीपुर में रहने वाला मोहन बंजारा दूर दराज के गांवों में अपनी आजीविका के लिए घरों में इस्तेमाल होने वाले चाकू और छुरे बेचता है। मोहन प्रीतिदिन अपने घर से कई किलोमीटर दूर अपनी बैलगाड़ी से जाता है।
बैल की हो गई मौत
कई दिनों से मोहन का एक बैल बीमार चल रहा था। मोहन ने कई दिनों तक बैल का इलाज किया और उसके लिए खूब दवा-दारू की। मोहन के पास जितने पैसे थे उसमे से ज्यादातर वह बैल के इलाज में लगा चुका था। अब मोहन के सामने समस्या यह आ खड़ी हुई कि वह बैल के सही होने का इन्तजार करे या अपने घर में पैदा हो चुकी भूखमरी की स्थिति से निपटे।
मोहन ने बीमार बैल को लेकर ही काम पर जाने का फैसला लिया। मोहन घर से कई दूर निकल चुका था कि रास्ते में उसके बैल ने दम तोड़ दिया। मोहन अब आधे रास्ते में क्या करे। परिणाम स्वरूप मोहन को एक बैल के साथ दूसरे बैल का काम खुद करना पड़ा। उसका परिवार भूखा न रहे इसलिए जाना भी जरूरी था। इसके लिए मोहन 12 किलोमीटर गाड़ी खींचता रहा।
अब खुद खीचेगा गाडी
मोहन की पत्नी अपने डेढ़ साल के बेटे को साड़ी में कंधे में लटकाकर गाड़ी में धक्का लगाती रही। रात काफी हाे चुकी थी। पत्नी राधोबाई और डेढ़ साल के बेटे पप्पू के साथ मोहन को समझ नहीं आया कि वह सड़क पर रात कैसे गुजारे। न जाए तो सुबह खाने का इंतजाम होना मुश्किल था। ऐसे में मोहन की पत्नी ने बेटे को साड़ी के पल्लू की झोली बनाकर उसमें कंधे से लटकाया और खुद भी गाड़ी में धक्का लगाने लगी।
मोहन गाडी को पूरी रात खींचता रहा और मोहन को घर पहुँचते-पहुँचते सुबह हो गई। लोगों ने देखा कि पसीने से तर-बतर मोहन गाड़ी खींचे जा रहा था,औरउसकी पत्नी पीछे से धक्का लगा रही थी। पति-पत्नी के पास उस वक्त पैसे नहीं थे और भूख से बुरा हाल था। तब जामनेर के लोगों ने उनके लिए खाने का इंतजाम किया। अब मोहन का कहना है कि जब तक हिम्मत है वह ऐसे ही गाड़ी खींचकर अपना सामान बेचेगा और पैसे बचाकर दूसरा बैल खरीदेगा।