नई दिल्लीः पाकिस्तान को दबाव में लाने के लिए पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से जिस बलूचिस्तान के मुद्दे को जोरशोर से उठाया, अब उसे संघ ने अपना लिया है। संघ ने बलूच राष्ट्रीयता के मुद्दे को भुनाने की तैयारी की है। इस दिशा में बड़ी कोशिश एक अक्टूबर को होने जा रही। जब बलूचिस्तान के दो बड़े नेताओं की मौजूदगी में संघ का अनुषांगिक संगठन बड़ी कांफ्रेंस कराकर बलूचिस्तान के सच पर बहस छेड़ेगा। कांफ्रेंस का विषय है-बलूचिस्तान पर पाकिस्तान का आंतरिक उपनिवेशवाद।
भारत नीति प्रतिष्ठान कर रहा कांफ्रेंस का आयोजन
भारत नीति प्रतिष्ठान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा एक संस्थान है। जिसका कार्य संघ की सोच के अनुरूप देश से जुड़ी नीतियों का खाका तय करना है। इस संस्था की ओर से कांस्टीट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हॉल में एक अक्टूबर को शाम चार बजे से कांफ्रेंस रखी गई है।
ये बलूच नेता लेंगे हिस्सा
बलूचिस्तान में पाकिस्तानी नीतियों के खिलाफ मोर्चा लेने वाले दो नेताओं को इस कांफ्रेंस में आमंत्रित किया गया है। बलूच फ्रीडम एक्टिविस्ट मजदक दिलशाद बलूच और वर्ल्ड बलूच वुमेन फोरम की अध्यक्ष नाइला कादरी बलूच बतौर वक्ता के रूप में खास तौर पर हिस्सा लेंगे। अन्य वक्ताओं में रक्षा विशेषज्ञ जीडी बख्शी और पूर्व राजनयिक विवेक काटजू होंगे। जबकि अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अवनिजेश अवस्थी करेंगे।
इनके निर्देशन में होगा कार्यक्रम
कांफ्रेंस का निर्देशन इंडियन पॉलिसी फाउंडेशन के मानद निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा, गीता भट्ट और विनय जोशी करेंगे।