इमीग्रेशन लॉ (1971) के मुताबिक, वह किसी भी आरोपी को तब तक ब्रिटेन में रहने से नहीं रोक सकती जब तक उसके पास वैलिड पासपोर्ट और वीजा है. ऐसे में, माल्या ने जब दो मार्च को देश छोड़ा था तब उनका पासपोर्ट वैध था, हालाँकि उनके जाने के बाद भारत सरकार ने उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया. लेकिन तकनीकी तौर पर इसका मतलब यह है कि वो जब ब्रिटेन पहुंचे तो उनका पासपोर्ट वैलिड था. हालाँकि, इस मामले में ब्रितानी सरकार 'संतुलन' की नीति अपनाए हुए है और यूके गवर्नमेंट ने भारत से कहा है कि वो माल्या के एक्सट्राडिशन की अर्जी (प्रर्त्यपण) औपचारिक रूप से पेश करें तो उस पर विचार किया जायेगा! गौरतलब है कि विजय माल्या भारतीय बैंकों के 9 हजार करोड़ का कर्जदार है. गिरफ़्तारी और मुसीबत से बचने के लिए माल्या ने सुप्रीम कोर्ट के सामने बैंकों से सेटलमेंट करने के लिए 6,868 करोड़ का ऑफर भी दिया था, जिसे बैंकों ने इंकार कर दिया था. इससे पहले माल्या ने 4,400 करोड़ का ऑफर देकर कहा था कि उनकी पत्नी और बच्चे NRI हैं, लिहाजा उनकी प्रॉपर्टी नहीं बताई जा सकती है. ऐसे में पूरा मामला पेचीदा होता जा रहा है और अब बात बैंकों के क़र्ज़ वसूलने से अलग हटकर विजय माल्या की गिरफ़्तारी और उसके प्रत्यर्पण पर टिक गयी है. जाहिर है, बैंकों के माध्यम से सरकार का जो धन डूबा, उसे वसूले जाने की उम्मीद क्षीण हो गयी है. यह मुख्य बात है, जो जनता में बेहद तेजी से फैलती है और सरकार के खिलाफ माहौल भी तैयार करती है. आंकड़ों के अनुसार ...
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Vijay Mallya and Modi Government, Hindi Article, Mithilesh