नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान में जिन भी देशों की यात्रा की वहां उनके स्वागत में प्रवासी भारतीयों (NRI) का खूब का हुजूम उमड़ा। प्रवासियों ने प्रधानमंत्री मोदी को भारत की बदलती तस्वीर का प्रणेता भी माना और प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के योगदान में प्रवासी भारतीय सबसे महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकते हैं। लेकिन नोटबंदी के दौरान प्रवासी भारतीयों का भरोसा पीएम मोदी से उठता दिखा।
बैंकरों ने जो ताजा आंकड़े पेश किये हैं उनके अनुसार बीते दो महीनों में यानि नोटबंदी के दौरान प्रवासी भारतीयों ने इंडियन मार्केट से कुल 17 अरब डॉलर की रकम निकाल ली। भारतीय बाजार से निकाली गई यह रकम इतनी बड़ी है कि इसने साल 2008 में लीमन ब्रदर्स के दीवालिया होने के दौरान निकाली गई रकम को भी पीछे छोड़ दिया।
नोटबंदी के दौरान रूपये में गिरावट का प्रमुख कारण भारतीय बाजार से भरोसा उठना भी शामिल था। जिसमे प्रवासी भारतीयों द्वारा निकाली गई रकम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। नोटबंदी के दौरान 24 नवंबर को रुपया अपने सबसे न्यूनतम स्तर 68.85 पहुँच गया। भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रवासी भारतीयों की रकम के महत्व काअंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब रघुराम राजन के आरबीआई गवर्नर रहते हुए रुपया न्यूनतम स्टार पर चला गया था तब उन्होंने देश में प्रवासियों का पैसा लाने के लिए कई स्कीम चलाई थी।
नोटबंदी के दौरान सिर्फ नवंबर में ही एनआरआई ने 11.14 अरब का डिपाजिट भुनाया। जबकि एनआरआई इसी महीने 11.43 अरब डॉलर की रकम भारतीया बाजार से निकाल ले गए। हालाँकि भारतीय बाजार से प्रवासी भारतीयों खासकर अमेरिका में रहे वाले प्रवासियों ने पैसे इसलिए भी निकाले क्योंकि अमेरिका ने ब्याजदरों में जोरदार बढ़ोतरी की गई।