नई दिल्लीः मुख्यमंत्री किसी भी सूबे का हो, अपनी हुकूमत में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के खूब गुणगान करता है। मगर जरा सा बुखार होने पर भी सरकारी अस्पताल जाने से हाथ जोड़ लेते हैं। उन्हें निजी हास्पिटल ही याद आते हैं। जाहिर सी बात है कि जब हाकिम को ही अपनी सेवाओं पर भरोसा नहीं तो फिर हाल बेहाल तो होगा ही। बेशक यह हर किसी का विशेषाधिकार है कि वह कहां इलाज कराए कहां नहीं। मगर जब सरकार के मुखिया को ही सरकारी अस्पताल पर भरोसा न हो तो बात जरूर चर्चा का विषय बनती है। ताजा मामला
तमिलनाडु की 68 वर्षीय मुख्यमंत्री जयललिता से जुड़ा है। उन्हें बीमार होने पर चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। उन्हें बुखार व डिहाईड्रेशन की समस्या चिकित्सकों ने बताई है। अम्मा की सेहत नाजुक होने पर पक्ष-विपक्ष के नेताओं का अस्पताल में कुशलक्षेम पूछने के लिए तांता लगा हुआ है।
हालत स्थिर
इलाज कर रहे चिकित्सकों के हवाले से अपोलो प्रशासन का कहना है कि एआइएडीएमके सुप्रीमो की हालत स्थिर है। डॉक्टर उनकी सेहत की पूरी निगरानी कर रहे हैं। इससे पहले भी 2014 में एक बार जयललिता बीमार हो चुकी है। तब वे डॉ. कलाम के अंत्येष्टि में नहीं जा सकी थीं। मगर यह पहली बार है जब कि उन्हें तेज बुखार की वजह से अपोलो हास्पिटल में भर्ती होना पड़ा है।
बीमारी में लड़ा चुनाव और जीता
जयललिता की तबीयत पिछले चार महीने से रह-रहकर खराब चल रही थी। चार महीने हुए पहले चुनाव में उन्होंने बीमारी के दौरान जमकर प्रचार किया और पार्टी को जीत दिलाकर लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनीं। पिछले 32 साल के करियर में जयललिता अब तक छह बार तमिलनाडु की सीएम बन चुकी हैं। करीबी सूत्रों ने बताया कि हाल में तबीयत ज्यादा खराब हुई तो वे घर से ही सरकारी कार्य निपटाने लगीं। कभी-कभार आधे घंटे के लिए बमुश्किल ही मुख्यमंत्री कार्यालय जा पातीं थीं।