देहरादून: जिस काम को करने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने हाथ खड़े कर दिये, जिस काम को भ्रष्ट और संवेदनहीन सिस्टम नहीं कर पाया, उसे महिलाओं ने कर दिखाया। ये पहाड़ की नारी है इनके जज़्बे को सलाम। जब सरकार ने भी नहीं सुना तो नारी शक्ति ने खुद ही हाथों में गेंती उठा ली। मामला विकास भवन उत्तरकाशी से एक किलोमीटर दूर स्थित डांग गांव का है। जहां महिलाएं इन दिनों घर बार छोड़कर 11 दिसंबर से गांव के लिए सड़क काटने में जुटी हुई हैं। इस अभियान का नेतृत्व कर रही ग्राम प्रधान रजनी देवी नाथ ने बताया कि किस तरह से महिला ब्रिगेड ने ठाना है कि अब वहां की महिलाएं खुद ही गांव तक सड़क ला रही है। यानी विधायक, सांसद, मुख्यंत्री अपनी सुविधाओं के लिए जनता के करोड़ों खर्च कर देते हैं लेकिन जनता के लिए यह क्यों संवेदनशील नहीं होते इसका जवाब यह देते नहीं है।
महिलाओं ने दिखाया सिस्टम को आईना
दरअसल, डांग गांव की में 97 परिवार रहते हैं। इस ग्राम पंचायत में सभी पंचायत सदस्य महिलाएं हैं। इसी ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम पोखरी तक एनआइएम बैंड से सड़क ले जाई जा रही है। ग्रामीणों की मांगा है कि पोखरी के लिए सड़क डांग से होते हुए ले जआया जाए और साथ ही गांव के ऊपर का जंगल भी बचा रहे। इस सड़क बनाने का ज़िम्मा लोनिवि के पास है। लेकिन जिस काम को सरकार नहीं कर सकी, बड़े- बड़े इंजीनियर नहीं कर पाए उसे गांव की ही नारी शक्ति ने अपने हाथों में लिया और अब हांथ में गेती लेकर पहाड़ काटने में हुई जुटी हैं। यानी पूरा का पूरा सिस्टम फेल है, और इस फेल होते सिस्टम को महिलाएं आईना भी दिखा रही है और यह बता भी रही हैं कि अगर आप नहीं कर सकते तो हम महिलाएं ही सब कुछ कर लेंगी।
81 बरस की वृद्धा भी अभियान में शामिल
सरकार के मना करन के बाद डांग की महिलाओं ने 11 दिसंबर से गड्डू गाड गदेरे के निकट से खुद ही सड़क काटनी शुरू कर दी। वन पंचायत की सरपंच सुलोचना कलूड़ा ने कहा कि जब भी डांग के ग्रामीणों ने सड़क की मांग की तो लोनिवि के अधिकारियों से जवाब मिला कि डांग गांव से सड़क नहीं जा सकती। जिसके बाद महिला ब्रिगेड ने फ़ैसला किया कि अब वह खुद ही गांव तक सड़क पहुंचाएंगी। इस सड़क को बनाने के लिए डांग गांव की 40 महिलाएं जुटी हैं। इनमें शामिल 81 वर्षीय अतरा देवी का कहना है कि वह सब्बल और गैंती तो नहीं उठा सकती, पर काम पर जुटी महिलाओं के लिए चाय-पानी की व्यवस्था तो कर ही सकती है। महिलाओं के इस जज़्बे को देखते हुए पुरुष भी भी अपने आप को रोक न सके और उन्होनें भी इनका साथ देना शुरू कर दिया। गांव का जंगल बचाने से लेकर गांव तक सड़क पहुंचाने में नारी शक्ति का समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति एक नज़ीर बन गया है।
महिलाओं ने ठाना है जंगल भी बचाना है
नारी शक्ति ने ठाना लिया है कि सड़क भी बनेगी और जंगल भी बचेगा। इस पूरे अभियान की बागडोर रजनी देवी नाथ, प्रधान, ग्राम पंचायत डांग -अनिता गुसाईं, उप प्रधान, ग्राम पंचायत डांग -वीना राणा, सदस्य, क्षेत्र पंचायत डांग -सुलोचना कलूड़ा, सरपंच, वन पंचायत डांग -कुसुम गुसाईं, अध्यक्ष, महिला मंगल दल डांग के हांथ में है और अब महिलाओं को इस तरह से काम करता देख वहां के अधिकारी भी आशचर्यचकित हैं। सीएम हरीश रावत भी जिस काम को करने से इनक़ार कर चुके थे उसे यहां की महिलाओं ने कर दिखाया।