लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही मुलायम के बहु व बेटे के अचानक इस तरह CM योगी से मिलने जाने के पीछे राजनीति क पंडितो ने अलग-अलग मायने निकाले।लेकिन इस घटनाक्रम के वास्तविक कारण कुछ और ही है. 'इंडिया संवाद' ने जब इस मामले की पड़ताल शुरू की तो कुछ और ही सच्चाई सामने आयी. दरअसल सीएम योगी से नजदीकियां बढ़ाने वाली मुलायम की छोटी बहु जरूरत से ज्यादा होशियार निकली. इसीलिए 1500 करोड़ की हाथ लगी बेशकीमती जमीन कही हाथ से ना निकल जाये. इसलिए उन्होंने अपनी गोशाला में आने का न्योता भी सीएम योगी को दे डाला.
अपर्णा की गोशाला की जमीन निकली नगर निगम की
अब हम आपको बताने जा रहे हैं इसकी असली वजह क्या है? दरअसल लखनऊ नगर निगम की वह 54 एकड़ बेशकीमती जमीन है, जिसको सपा सरकार ने सारे नियम व कानून तांक पर रखकर अपर्णा व प्रतीक यादव के NGO को सौंप दी थी। इस जमीन की वास्तिवक कीमत लगभग 1500 करोड़ रूपये बताई जाती है। यह जमीन लखनऊ के पाश क्षेत्र सरोजिनी नगर से बिलकुल लगी हुई है। योगी सरकार से दूरियां बनाकर मुलायम के बहु व बेटे के लिए यह संभव नहीं है कि वो इस जमीन पर काबिज रह सके। यदि भविष्य में दोनों भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ले तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि सवाल 54 एकड़ बेशकीमती जमीन का जो है।
सपा सरकार ने कब्जा कराया था अपर्णा का
इस जमीन पर अभी भी स्वामित्व लखनऊ नगर निगम का ही है. लेकिन कब्ज़ा मुलायम की बहु व बेटे का है। दरअसल लखनऊ नगर निगम ने इस जमीन पर एनिमल शेल्टर का निर्माण किया था, 7 अगस्त 2010 को सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इसका बाकायदा उद्घाटन किया था। साल 2012 में सूबे में हुए विधानसभा चुनाव में सपा की अखिलेश सरकार सत्ता पर काबिज हुई। सपा का पिछला शासन काल सरकारी जमीन पर सपईयों द्वारा किये गए अवैध कब्जे के लिए प्रसिद्ध रहा। लखनऊ नगर निगम की इस बेशकीमती जमीन पर भी सपा सरकार ने अपर्णा व प्रतीक का अवैध कब्जा करा दिया।
अपर्णा ने सरकारी औपचारिकताए भी पूरी नहीं की
सूत्रों के मुताबिक मुलायम के बेटे-बहू के ‘जीव आश्रालय’ नामक NGO को यह 54 एकड़ ज़मीन व इस पर बनी हुई आलिशान बिल्डिंग को लॉन्ग टर्म लीज पर आज़म ख़ान के निर्देश पर नगर विकास विभाग द्वारा दे दी गयी। इस ज़मीन पर बाकायदा कृषि करने के साथ-साथ एनिमल फ़ूड प्लांट लगा है। शानदार बिल्डिंग बनी हैं। एक अस्पताल है। कुछ लावारिस पशु भी है, परंतु एक खास बात यंहा कोई गौशाला नहीं है। महत्वपूर्ण तथ्य यह कि इस जमीन को “जीव अश्रालय” को सौंपने से पूर्व जरुरी सरकारी औपचारिकताए भी पूरी नहीं की गयी।
जमीन का स्वामित्व पक्का कराना चाहती है अपर्णा
बताया जाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण के दिन ही यंहा पर कुछ गाय मंगाई गयी और इसे गौशाला की शक्ल देने का प्रयास किया गया। क्योंकि मुलायम की बहु व बेटा अच्छी तरह जानते है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौभक्त है। उन्होंने CM योगी की इसी विशेषता का फायदा उठाने की ठानी। इसीलिए शपथ ग्रहण के अगले ही दिन मुलायम सिंह के बहु व बेटा दोनों CM योगी के दरबार में हाजरी लगाने व उनकी इस कथित गौशाला भ्रमण का निमंत्रण देने पंहुच गए। अब योगी सरकार रिश्तों को मजबूत बनाने की दिशा में बढ़ते हुए अपर्णा व प्रतीक को इस जमीन की लीज को 30 वर्ष बढा़ने की योजना बना रहें है। अपर्णा ने अपनी कथित गौशाला का भ्रमण करा कर इस जमीन पर अपना स्वामित्व पक्का करने में कोई कौर-कसर नहीं छोड़ी है।