लखनऊ : तो क्या यह सच है कि मुलायम सिंह के नाम से जारी चिट्ठी किसी और ने साइन की थी. यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योकि एक जनवरी को मुलायम सिंह यादव के साइन वाली दो चिट्ठियां जारी की गई थीं. जिसमें मुलायम के अलग अलग साइन थे.
1 जनवरी को मुलायम सिंह यादव के नाम से दो चिट्ठी जारी की गई थीं. इन दो चिट्ठियों में से एक में किरणमयी नंदा को पार्टी से निष्कासित करने का आदेश था और दूसरी में राम गोपाल यादव के निष्कासन पर संसदीय बोर्ड की पुष्टि की गई थी. दोनों में मुलायम सिंह यादव के साइन अलग-अलग हैं.
दरअसल एक चिट्ठी में मुलायम सिंह यादव का आधा नाम लिखा हुआ है जबकि दूसरी चिट्ठी में पूरा नाम लिखा हुआ है. ऐसे में सवाल यह भी है कि क्या मुलायम सिंह यादव की तरफ से कोई और चिट्ठियों पर साइन कर रहा है ?
समाजवादी पार्टी से निकाले गए किरणमय नंदा ने से बात की तो उन्होंने इन चिट्ठियों को फर्जी बताया. किरणमय नंदा ने कहा कि मैने नेताजी के ऐसे साइन कभी नहीं देखे. मेरे पास नेताजी के बहुत सारे पत्र हैं. ये दोनों चिट्ठियां फर्जी हैं.
उन्होंने कहा, ‘’कोई और नेताजी की तरफ से इस तरह की चिट्ठियां निकालकर पार्टी को तोड़ना चाहता है. नेताजी का हम बहुत सम्मान करते हैं और नेता जी हमेशा हमारे नेता रहेंगे.’’ नंदा ने कहा, ‘आने वाले चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं इसलिए हमने अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का फैसला किया था.’
बताया जा रहा है कि कल किरणमय नंदा को पार्टी से निकालने के बाद मुलायम सिंह यादव ने उनसे बहुत देर तक बात की थी. लोग यह भी कह रहे हैं कि मुलायम सिंह यादव के यह पता नहीं रहता है कि उन्होंने किसी के खिलाफ फैसला ले लिया है. ऐसे में लोग आरोप लगा रहे हैं कि मुलायम सिंह के घर से ही कोई और उनके नाम पर साइन कर रहा है.
आमतौर पर मुलायम चिट्ठियों पर अपना पूरा नाम ‘मुलायम सिंह यादव’ लिखते हैं. यही साइन उनका असली साइन माना जाता है. हालांकि पार्टी में इस मामले को लेकर कोई बात नहीं हो पाई है.