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मुंशी प्रेमचंद

31 जुलाई 2023

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धनपत राय श्रीवास्तव ३१ जुलाई १८८० – ८अक्टूबर १९३६ जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे।  और उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के नज़दीक लमही गांव में हुआ था। पिता का नाम अजायब राय था और वे डाकखाने में मामूली नौकरी करते थे। वे जब सिर्फ आठ साल के थे तब मां का निधन हो गया। पिता ने दूसरा विवाह कर लिया लेकिन वे मां के प्यार और वात्सल्य से महरूम रहे।  सेवासदन- 1918 ई. में प्रकाशित सेवासदन प्रेमचंद का हिन्दी में प्रकाशित होने वाला पहला उपन्यास था। यह मूल रूप से उन्‍होंने 'बाजारे-हुस्‍न' नाम से पहले उर्दू में लिखा गया लेकिन इसका हिन्दी रूप 'सेवासदन' पहले प्रकाशित हुआ।   प्रेमचंद की कहानियों में सेवासदन, गबन, कर्मभूमि, प्रेमाश्रम, गोदान, रंगभूमि व निर्मला जैसे कई उपन्यास लोकप्रिय हैं। इसके अलावा कफन, पंच परमेश्वर, पूस की रात, बड़े घर की बेटी, दो बैलों की कथा और बूढ़ी काकी जैसी 300 से अधिक कहानियां भी चर्चित हैं। मुंशी प्रेमचंद उर्दू रचनाओं में 'नवाब राय' के नाम से लिखते थे। उनकी रचनाएँ आदर्शोन्मुख यथार्थवादी हैं, जिनमें सामान्य जीवन की वास्तविकताओं का सम्यक् चित्रण किया गया है। समाज-सुधार एवं राष्ट्रीयता उनकी रचनाओं के प्रमुख विषय रहे हैं। प्रेमचंद जी ने हिन्दी कथा-साहित्य में युगान्तर उपस्थित किया।   प्रेमचंद (1880-1936) ने अपना करियर उर्दू में 20वीं सदी के सबसे प्रमुख भारतीय लेखकों में से एक के रूप में शुरू किया। हिंदी के प्रति उनका परिवर्तन धीरे-धीरे हुआ और वे अपनी मृत्यु तक उर्दू में लिखते रहे। उनकी भाषा का चयन व्यावहारिक और आर्थिक आवश्यकताओं से प्रेरित था। हिंदी ने उन्हें एक बड़ा पाठक वर्ग प्रदान किया।
    गोदान, प्रेमचन्द का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है। उपन्यासों की लोकप्रियता के चलते ही प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहा जाता है। उनके प्रमुख उपन्यासों में सेवासदन, गोदान, गबन, कायाकल्प, रंगभूमि प्रेमाश्रय, कर्मभूमि आदि हैं। उनका कहना था कि साहित्यकार देशभक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई नहीं अपितु उसके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सच्चाई है।मुंशी प्रेमचंद हिंदी कथा साहित्य के महान साहित्यकार माने जाते हैं। उन्होंने कहानी के साथ- साथ उपन्यास लेखन किया। उनकी प्रसिद्धि को आलम यह है कि उन्‍हें उपन्‍यास सम्राट कहा जाता है।
सच तो यही है कि लेखक और कहानीकार अपने घटित या समाज के सच को शब्दों में व्यक्त करते हैं।
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मुंशी प्रेमचन्द
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धनपत राय श्रीवास्तव ३१ जुलाई १८८० – ८अक्टूबर १९३६ जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। और उनका जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के नज़दीक लमही गांव में हुआ था। पिता का नाम अजायब राय था। आओ पढ़ते हैं

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