नई दिल्ली : जिस हॉकी स्टिक ने दुनिया भर में जादुई कमाल दिखाया उसे तराशने वाले हाथ अब नही रही . खेल के जिस कारखाने में बैठकर ध्यानचंद अपने लिए जादुई स्टिक बनाते थे उस कारखाने के प्रसिद्ध हॉकी मेकर वैषणो लाल का 86 साल की उम्र में गुरूवार को मेरठ में निधन हो गया.
पंडित वैष्णो लाल के बेटे अरुण ने इंडिया संवाद को बताया कि 1920 -30 में उनके दादा पंडित सोहन लाल अपने हाथों से ध्यानचंद के लिए हॉकी स्टिक बनाते थे. बाद में उनके पिता वैष्णो लाल 1940-50 के दौर में अपने नन्हे हाथों से ध्यानचंद और के डी सिंह बाबू जैसे विश्वविजेताओं के लिए हॉकी स्टिक बनाते रहे. पंडित सोहन लाल ने देश में 1915 में हॉकी बनाने का कारखाना शुरू किया था और इस योगदान के लिए उन्हें स्पोर्ट्स मैनुफैक्चरिंग का पितामाह कहा जाता है. बाद में उन्होंने एक कारखाना जालंधर और एक कारखाना मेरठ में स्थापित किया.
अरुण ने बताया की ध्यानचंद ने 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जितने के बाद कोचिंग की तरफ ध्यान देना शुरू किया और 1950 के दशक में वो भारतीय टीम के कोच बने. सेना में मेजर होने की वजह से ध्यानचंद की पोस्टिंग मेरठ में हुई. मेरठ में रहते हुए वो रोज़ पंडित वैश्णों लाल के पास कारखाने आते है . तभी में दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई. वैष्णो लाल की हॉकी से खेलना ध्यानचंद को बेहद पसंद था. एक बार ध्यानचंद ने हाथ से लिखकर उनकी हॉकी स्टिक की न सिर्फ तारीफ़ की बल्कि बताया नए खिलाडियों को SRC कम्पनी की हॉकी से खेलना चाहिए. दरअसल सोहन लाल ब्रांड की हॉकी SRC कंपनी बनाती थी.
फिलहाल शुक्रवार को पंडित वैष्णों लाल मेरठ में पञ्च तत्व में विलीन हो गए. उनकी अंत्येष्टि में मेरठ के कई बड़े है निर्माता और खिलाडी शामिल हुई.