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नली का कमाल

1 फरवरी 2022

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राजा कृष्णदेव राय का दरबार लगा हुआ था। महाराज अपने दरबारियों के साथ किसी चर्चा में व्यस्त थे। अचानक से चतुर और चतुराई पर चर्चा चल पड़ी। महाराज कृष्णदेव के दरबार में दरबारियों से लेकर राजगुरु तक तेनालीराम से चिढ़ते थे। तेनालीराम को नीचा दिखाने के उद्देश्य से एक मंत्री ने खड़े होकर कहा – महाराज! आपके इस दरबार मे बुद्धिमान और चतुर लोगो की कमी नहीं। यदि अवसर दिया जाए तो हम भी अपनी बुद्धिमानी सिद्ध कर सकते हैं किंतु?
“किन्तु क्या मंत्री जी”, महाराज कृष्णदेव ने आश्चर्य से पूछा। सेनापति अपने स्थान से उठकर बोला – मैं बताता हूं महाराज! मंत्री जी क्या कहना चाहते हैं। तेनालीराम के सामने किसी भी दरबारी को अपनी योग्यता सिद्ध करने की प्राथमिकता नहीं दी जाती। हर मामले में तेनालीराम आगे अड़ कर चतुराई का श्रेय स्वयं ले जाते हैं। जब तक अन्य लोगो को अवसर नही मिलेगा। वे अपनी योग्यता कैसे सिद्ध करेंगे। सेनापति की बात सुनकर महाराज समझ गए कि सभी दरबारी तेनालीराम के विरोध में हैं। महाराज कुछ क्षण के लिए शांत होकर सोचने लगे। तभी उनकी दृष्टि कोने में लगी ठाकुर जी की प्रतिमा पर गयी। प्रतिमा के सामने जलती धूपबत्ती को देखकर राजा को सभी दरबारियों की परीक्षा लेने का उपाय सूझ गया।
उन्होंने फौरन कहा – आप सभी को अपनी योग्यता सिद्ध करने का एक अवसर अवश्य दिया जाएगा। और जब तक आप सभी अपनी योग्यता सिद्ध नही कर देते तेनालीराम भी बीच में नहीं आएगा। यह सुनकर सभी दरबारी बड़े प्रसन्न हुए। ठीक है महाराज! कहिए हमें क्या करना है। राजा ने धूपबत्ती की और इशारा करते हुए कहा – मुझे दो हाथ धुंआ चाहिए। जो भी दरबारी ऐसा कर पाया उसे तेनालीराम से भी अधिक बुद्धिमान और चतुर समझा जाएगा। राजा कृष्णदेव की बात सुनकर सभी दरबारी आपस में फुसफुसाने लगे कि यह कैसा मूर्खतापूर्ण कार्य है। भला धुंआ भी कभी नापा जा सकता है। एक-एक कर सभी दरबारी अपनी-अपनी युक्ति लगाकर धुंआ नापने में लग गए। कोई दोनों हाथों में धुंआ नापने की कोशिश करता किन्तु धुंआ हाथों से निकल लहराता हुआ ऊपर की तरफ निकल जाता। सभी ने भरपूर कोशिश की लेकिन कोई भी दो हाथ धुंआ महाराज को न दे सका।
जब सभी दरबारी थक कर बैठ गए तो एक दरबारी बोला – महाराज! धुंआ नापना हमारी दृष्टि में असंभव कार्य है। हाँ, यदि तेनालीराम ऐसा कर पाए तो हम उसे अपने से भी चतुर मान लेंगे। किन्तु वह ऐसा नहीं कर पाए तो आप उसे हमारे समान ही समझेंगे। राजा मंद-मंद मुस्कुरातें हुए बोले – क्यों तेनाली! क्या तुम्हें यह चुनौती स्वीकार है। तेनालीराम ने अपने स्थान से उठकर सिर झुकाते हुए कहा – अन्नदाता! मैंने सदैव आपके आदेश का पालन किया है। इस बार भी अवश्य करूँगा।
तेनालीराम ने एक सेवक को बुलाकर उसके कान में कुछ शब्द कहे। सेवक तुरंत दरबार से चला गया। अब तो दरबार मे सन्नाटा छा गया। सभी यह देखने के लिए उत्सुक थे कि कैसे तेनालीराम राजा को दो हाथ धुंआ देता है। तभी सेवक शीशे की बनी दो हाथ लंबी नली लेकर दरबार मे हाज़िर हुआ। तेनालीराम ने उस नली का मुंह धूपबत्ती से निकलते धुंए पर लगा दिया। थोड़ी ही देर में शीशे की नली धुंए से भर गयी और तेनाली ने नली के मुहँ पर कपडा लगा दिया और उसे महाराज की ओर करते हुए कहा महाराज ये लीजिए दो हाथ धुआं। यह देख महाराज के चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी और उन्होंने तेनाली से नली ले ली और दरबारियों की तरफ देखा। सब के सिर नीचे झुके हुए थे। लेकिन दरबार में कुछ दरबारी ऐसे भी थे जो तेनालीराम के पक्ष में थे। उन सब की आँखों में भी तेनाली के लिए प्रशंसा के भाव थे। तेनालीराम की बुद्धिमानी और चतुराई देख, राजा बोले- अब तो आप मान गए होंगे की तेनालीराम की बराबरी कोई नही कर सकता। दरबारी भला क्या बोलते, वो सब चुप सुनते रहे। 

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रचनाएँ
तेनालीराम
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तेनाली 16वीं सदी में विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में कवी और विदूषक थे। वो बहुत ही बुद्धिमान थे और अपनी चतुराई से अपने राज्य की कई मुश्किलों को दूर भी करते थे। लोग तेनालीराम / तेनाली रमन की तुलना राजा अकबर के सलाहकार बीरबल से की जाती है जिनकी चतुराई और बुद्धिमानी की कहानियां हम पढ़ते ही रहते हैं।
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हीरों का सच

28 जनवरी 2022
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एक बार राजा कृष्णदेवराय दरबार में बैठे मंत्रियों के साथ विचार विमर्श कर रहे थे कि तभी एक व्यक्ति उनके सामने आकर कहने लगा,”महाराज मेरे साथ न्याय करें। मेरे मालिक ने मुझे धोखा दिया है। इतना सुनते ही महा

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सुब्बा शास्त्री को सबक मिला

28 जनवरी 2022
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एक बार फारस देश से घोड़ों का एक व्यापारी कुछ बेहद उत्तम नस्ल के घोड़े लेकर विजय नगर आया। सभी जानते थे कि महाराज कृष्णदेव राय घोड़ों के उत्तम पारखी हैं। उनके अस्तबल में चुनी हुई नस्लों के उत्तम घोड़े थ

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अच्छा, तू माँ से भी मजाक करेगा

28 जनवरी 2022
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कोई छह सौ वर्ष पुरानी बात है। विजयनगर का साम्राज्य सारी दुनिया में प्रसिद्ध था। उन दिनों भारत पर विदेशी आक्रमणों के कारण प्रजा बड़ी मुश्किलों में थी। हर जगह लोगों के दिलों में दुख-चिंता और गहरी उधेड़-

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जीवन परिचय

28 जनवरी 2022
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तेनालीराम/तेनाली रामा/तेनाली रमन का जन्म सोलहवीं शताब्दी में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के गुन्टूर जिले के गाँव – गरलापाडु में हुआ था। तेनालीराम एक तेलुगू ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। वह पेशे से कवि

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ब्राह्मण किसकी पूजा करे

28 जनवरी 2022
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एक दिन महाराज कृष्णदेव राय ने कहा ‘‘सभी दरबारी तथा मंत्रीगणों को यह आभास तो हो ही गया होगा कि आज दरबार में कोई विशेष कार्य नहीं और ईश्वर की कृपा से किसी की कोई समस्या भी हमारे सम्मुख नहीं। अतः क्यों न

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अन्तिम इच्छा

28 जनवरी 2022
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विजयनगर के ब्राह्मण बड़े ही लालची थे। वे हमेशा किसी न किसी बहाने राजा से धन वसूल करते थे। राजा की उदारता का अनुचित लाभ उठाना उनका परम कर्तव्य था। एक दिन राजा कृष्णदेव राय ने उनसे कहा, ‘‘मरते समय मेरी

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लाल मोर

1 फरवरी 2022
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विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को अद्भुत व विलक्षण चीजें संग्रह करने का बहुत शौक था। हर दरबारी उन्हें खुश रखने के लिए ऐसी ही दुर्लभ वस्तुओं की खोज में रहता था ताकि वह चीज महाराज को देकर उनका शुभचिंतक ब

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महामूर्ख

1 फरवरी 2022
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राजा कृष्णदेव राय होली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते थे। होली के दिन मनोविनोद के अनेक कार्यक्रम विजयनगर में होते थे। प्रत्येक कार्यक्रम के सफल कलाकार को पुरस्कार देने की व्यवस्था भी होती थी। सबसे बड़ा

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पड़ोसी राजा

1 फरवरी 2022
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विजयनगर राज्य का अपने पड़ोसी राज्य से मनमुटाव चल रहा था। तेनाली राम के विरोधियों को तेनाली राम के खिलाफ राजा कृष्णदेव राय को भड़काने का यह बड़ा ही सुन्दर अवसर जान पड़ा। एक दिन राजा कृष्णदेव राय अपने

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अंगूठी चोर

1 फरवरी 2022
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महाराजा कृष्ण देव राय एक कीमती रत्न जड़ित अंगूठी पहना करते थे। जब भी वह दरबार में उपस्थित होते तो अक्सर उनकी नज़र अपनी सुंदर अंगूठी पर जाकर टिक जाती थी। राजमहल में आने वाले मेहमानों और मंत्रीगणों से भी

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जादूगर का घमंड

1 फरवरी 2022
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एक बार राजा कृष्ण देव राय के दरबार में एक जादूगर आया। उसने बहुत देर तक हैरतअंगेज़ जादू करतब दिखा कर पूरे दरबार का मनोरंजन किया। फिर जाते समय राजा से ढेर सारे उपहार ले कर अपनी कला के घमंड में सबको चुनौत

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कुछ नहीं

1 फरवरी 2022
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तेनालीराम राजा कृष्ण देव राय के निकट होने के कारण बहुत से लोग उनसे जलते थे। उनमे से एक था रघु नाम का ईर्ष्यालु फल व्यापारी। उसने एक बार तेनालीराम को षड्यंत्र में फसाने की युक्ति बनाई। उसने तेनालीराम क

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बाबापुर की रामलीला

1 फरवरी 2022
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हर वर्ष दशहरे से पूर्व काशी की नाटक मंडली विजयनगर आती थी। सामान्यतः वे राजा कृष्णदेव राय तथा विजयनगर की प्रजा के लिए रामलीला किया करते थे। परंतु एक बार राजा को सूचना मिली कि नाटक मंडली विजयनगर नहीं आ

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बेशकीमती फूलदान

1 फरवरी 2022
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विजयनगर का वार्षिक उत्सव बहुत ही धूमधाम से बनाया जाता था। जिसमें आसपास के राज्यों के राजा भी महाराज के लिए बेशकीमती उपहार लेकर सम्मिलित होते थे। हर बार की तरह इस बार भी महाराज को बहुत से उपहार मिले। स

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मौत की सजा

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बीजापुर के सुल्तान इस्माइल आदिलशाह को डर था कि राजा कृष्णदेव राय अपने प्रदेश रायचूर और मदकल को वापस लेने के लिए हम पर हमला करेंगे। उसने सुन रखा था कि वैसे राजा ने अपनी वीरता से कोडीवडु, कोंडपल्ली, उदय

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नीलकेतु और तेनालीराम

1 फरवरी 2022
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एक बार राज दरबार में नीलकेतु नाम का यात्री राजा कृष्णदेव राय से मिलने आया। पहरेदारों ने राजा को उसके आने की सूचना दी। राजा ने नीलकेतु को मिलने की अनुमति दे दी। यात्री एकदम दुबला-पतला था। वह राजा के स

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रंग-बिरंगे नाखून

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राजा कृष्णदेव राय पशु-पक्षियों से बहुत प्यार करते थे। एक दिन एक बहेलिया राजदरबार में आया। उसके पास पिंजरे में एक सुंदर व रंगीन विचित्र किस्म का पक्षी था। वह राजा से बोला, 'महाराज, इस सुंदर व विचित्र

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कौवों की गिनती

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महाराज कृष्णदेवराय को तेनालीराम से बेढंगे सवाल पूछने में बड़ा ही आनंद आता था। वे हमेशा ऐसे सवाल पूछते जिसका जवाब देना हर किसी को नामुमकिन सा लगता लेकिन तेनालीराम भी हार मानने वाला नहीं था। वो भी महाराज

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मनहूस कौन

1 फरवरी 2022
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एक बार महाराज के कानों तक चेलाराम के एक व्यक्ति के बारे में खबर पहुंची। सब लोग बोलते थे कि जो कोई भी चेलाराम का मुंह देख लेता है उसे पूरे दिन एक निवाला तक खाने को नहीं मिलता।वह इंसान पूरे दिन भूखा ही

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राजगुरु की चाल

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तेनालीरामन की ईमानदारी का पुरस्कार तेनालीराम से चिढ़ने वाले कुछ ब्राह्मण एक दिन राजगुरु के पास पहुंचे। क्योंकि वे सभी अच्छी तरह जानते थे कि राजगुरु तेनालीराम का पक्का विरोधी है और तेनाली से बदला लेने म

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रिश्वत का खेल

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कृष्णदेव राय कला प्रेमी थे इसीलिए कलाकारों का प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित करते रहते थे। कलाकारों को सम्मानित करने से पहले वे एक बार तेनालीराम से जर

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तेनालीराम की खोज

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एक बार तेनालीराम महाराज से किसी बात पर रूठा हुआ था कि महाराज कृष्णदेवराय ने उसे फिर से किसी बात पर डांट दिया। जिसकी वजह से तेनालीराम बिना बताएं वहाँ से कहीं चला गया और दरबार में आना बंद कर दिया। महारा

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तेनालीराम मटके में

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एक बार महाराज कृष्णदेव राय तेनालीराम से इतने नाराज़ हो गए कि उन्होंने उसे अपनी शक्ल न दिखाने का आदेश दे दिया और कहा ,“ अगर उसने उनके हुक्म की अवहेलना की तो उसे कोड़े लगायें जाएंगे।” महाराज उस समय बहुत

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सात जूते मारने वाली चमेली

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चाननपुर गाँव में चांदकुमारी नाम की एक रूपवती कन्या रहती थी। वह विवाह के योग्य हो गई थी लेकिन अपनी माँ के व्यवहार के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। उसकी माँ का नाम चमेली था जो अपने पति माधो को रोज़

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तेनालीराम की मनपसन्द मिठाई

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महाराज, राजपुरोहित और तेनालीराम राज उद्यान में टहल रहे थे कि महाराज बोले , “ऐसी सर्दी में तो खूब खाओ और सेहत बनाओ। वैसे भी इस बार तो कड़के की ठण्ड पड़ रही है। ऐसे में तो मिठाई खाने का मज़ा ही कुछ और है।”

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बूढ़ा भिखारी और महाराज कृष्णदेवराय की उदारता

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सर्दियों का मौसम था। महाराज कृष्णदेव अपने कुछ मंत्रियों के साथ किसी काम से नगर से बाहर जा रहे थे। ठंड इतनी थी कि सभी दरबारी मोटे-मोटे ऊनी वस्त्र पहनने के बाद भी काँप रहे थे। चलते-चलते राजा की दृष्टि ए

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दूध न पीने वाली बिल्ली

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एक बार महाराज कृष्णदेव राय ने सुना कि उनके नगर में चूहों ने आतंक फैला रखा है। चूहों से छुटकारा पाने के लिए महाराज ने एक हजार बिल्लियां पालने का निर्णय लिया। महाराज का आदेश होते ही एक हजार बिल्लियां मं

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नली का कमाल

1 फरवरी 2022
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राजा कृष्णदेव राय का दरबार लगा हुआ था। महाराज अपने दरबारियों के साथ किसी चर्चा में व्यस्त थे। अचानक से चतुर और चतुराई पर चर्चा चल पड़ी। महाराज कृष्णदेव के दरबार में दरबारियों से लेकर राजगुरु तक तेनालीर

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मृत्युदंड की धमकी

1 फरवरी 2022
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थट्टाचारी कृष्णदेव राय के दरबार में राजगुरु थे। वे तेनालीराम से बहुत ईर्ष्या करते थे। उन्हें जब भी मौका मिलता तो वे तेनालीराम के विरुद्ध राजा के कान भरने से नहीं चूकते थे। एक बार क्रोध में आकर राजा न

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रंग-बिरंगी मिठाइयां

1 फरवरी 2022
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वसंत ऋतु छाई हुई थी। राजा कृष्णदेव राय बहुत ही खुश थे। वह तेनालीराम के साथ बाग में टहल रहे थे। वह चाह रहे थे कि एक ऐसा उत्सव मनाया जाए, जिसमें उनके राज्य के सारे लोग शामिल हों। पूरा राज्य उत्सव के आनं

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