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तेनालीराम की मनपसन्द मिठाई

1 फरवरी 2022

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महाराज, राजपुरोहित और तेनालीराम राज उद्यान में टहल रहे थे कि महाराज बोले , “ऐसी सर्दी में तो खूब खाओ और सेहत बनाओ। वैसे भी इस बार तो कड़के की ठण्ड पड़ रही है। ऐसे में तो मिठाई खाने का मज़ा ही कुछ और है।”

जैसे ही खाने पीने की बात शुरू हुई तो राजपुरोहित के मुंह में पानी आ गया और वह बोला, “महाराज ऐसे में तो मावे की मिठाई खाने में बड़ा ही आनंद आता है।”

“सर्दियों की सबसे बढ़िया मिठाई कौन सी है ?”महाराज ने अचानक से पूछा

तेनालीराम से पहले पुरोहित बोला, “ महाराज एक हो तो बताओ। काजू , पिस्ते की बर्फी, हलवा,रसगुल्ले आदि बहुत सी मिठाईयां हैं जो हम सर्दी में खा सकते हैं।”

अब महाराज ने तेनालीराम से पूछा , “ अब तुम बताओ।”

तेनालीराम बोला, “महाराज आज रात आप मेरे साथ चलना। मैं आपको अपनी पसंद की सर्दियों की मिठाई खिला दूंगा।”

“कहाँ चलना है?” महाराज ने पूछा

महाराज दरअसल मेरी पसंद की मिठाई यहाँ मिलती नही है। इसीलिए आपको मेरे साथ चलना होगा।”

महाराज ने कहा, “ ठीक है हम तुम्हारे साथ चलेंगे।”

रात होते ही महाराज ने साधारण मनुष्य का भेष बना लिया और तीनों निकल पड़े तेनालीराम की पसंद की मिठाई खाने के लिए।

काफी देर चलते- चलते एक गाँव भी पार हो गया और वे अब खेतों में पहुँच गए कि महाराज बोले, “तेनालीराम आज तो तुमने हमें बिलकुल थका दिया। तुम्हारी मनपसंद मिठाई खाने के लिए हमें अभी कितना और चलना पड़ेगा।”

बस महाराज जहाँ ये लोग बैठे हाथ सेक रहे हैं बस वही तक चलना है।” तेनालीराम ने कहा

थोड़ी ही देर में तीनों वहाँ पहुँच गए। तेनालीराम ने महाराज और पुरोहित को वहाँ रुकने के लिए कहा और खुद थोड़ी ही दूरी पर स्थित एक कोल्हू में जा पहुंचा।जहाँ एक तरफ गन्नों की पिराई हो रही थी और एक तरफ बड़े -बड़े कड़ाहो में गन्ने का रस पका कर ताज़ा गुड़ बनाया जा रहा था।

वहाँ काम कर रहे एक व्यक्ति से तेनालीराम ने तीन पत्तलों में गुड़ रखवाया और आग तेप रहे महाराज और पुरोहित को लाकर एक-एक पत्तल थमा दी।महारज ने जैसे ही गरमागरम गुड़ मुंह में डाला तो वे बोले , “वाह! क्या मिठाई है। सच में तेनालीराम इसे खाते ही हमारी तो सारी थकान उतर गई।”

अब महाराज ने पुरोहित से पूछा , “क्यूँ पुरोहित जी आपको कैसी लगी मिठाई?”

“यह मिठाई तो वाकई लाजवाब है।” पुरोहित ने कहा

तभी दोनों ने एक साथ पूछा, “ पर ये है कौन-सी मिठाई तेनालीराम,अब तो बता दो ?”

महाराज ये गुड़ है। गरमागरम गुड़ किसी मिठाई से कम थोड़ी होता है।”तेनालीराम ने कहा

दोनों आश्चर्यचकित होकर बोले, “ क्या! ये गुड़ है?”

“जी महाराज।”तेनालीराम ने उत्तर दिया

“सच में तेनालीराम ये किसी मिठाई से कम नहीं है।” महाराज ने तेनालीराम की पीठ थपथपाते हुआ कहा। 

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रचनाएँ
तेनालीराम
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तेनाली 16वीं सदी में विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में कवी और विदूषक थे। वो बहुत ही बुद्धिमान थे और अपनी चतुराई से अपने राज्य की कई मुश्किलों को दूर भी करते थे। लोग तेनालीराम / तेनाली रमन की तुलना राजा अकबर के सलाहकार बीरबल से की जाती है जिनकी चतुराई और बुद्धिमानी की कहानियां हम पढ़ते ही रहते हैं।
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हीरों का सच

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सुब्बा शास्त्री को सबक मिला

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एक बार फारस देश से घोड़ों का एक व्यापारी कुछ बेहद उत्तम नस्ल के घोड़े लेकर विजय नगर आया। सभी जानते थे कि महाराज कृष्णदेव राय घोड़ों के उत्तम पारखी हैं। उनके अस्तबल में चुनी हुई नस्लों के उत्तम घोड़े थ

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अच्छा, तू माँ से भी मजाक करेगा

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कोई छह सौ वर्ष पुरानी बात है। विजयनगर का साम्राज्य सारी दुनिया में प्रसिद्ध था। उन दिनों भारत पर विदेशी आक्रमणों के कारण प्रजा बड़ी मुश्किलों में थी। हर जगह लोगों के दिलों में दुख-चिंता और गहरी उधेड़-

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जीवन परिचय

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तेनालीराम/तेनाली रामा/तेनाली रमन का जन्म सोलहवीं शताब्दी में भारत के आन्ध्रप्रदेश राज्य के गुन्टूर जिले के गाँव – गरलापाडु में हुआ था। तेनालीराम एक तेलुगू ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। वह पेशे से कवि

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ब्राह्मण किसकी पूजा करे

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एक दिन महाराज कृष्णदेव राय ने कहा ‘‘सभी दरबारी तथा मंत्रीगणों को यह आभास तो हो ही गया होगा कि आज दरबार में कोई विशेष कार्य नहीं और ईश्वर की कृपा से किसी की कोई समस्या भी हमारे सम्मुख नहीं। अतः क्यों न

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लाल मोर

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विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को अद्भुत व विलक्षण चीजें संग्रह करने का बहुत शौक था। हर दरबारी उन्हें खुश रखने के लिए ऐसी ही दुर्लभ वस्तुओं की खोज में रहता था ताकि वह चीज महाराज को देकर उनका शुभचिंतक ब

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अंगूठी चोर

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एक बार राजा कृष्ण देव राय के दरबार में एक जादूगर आया। उसने बहुत देर तक हैरतअंगेज़ जादू करतब दिखा कर पूरे दरबार का मनोरंजन किया। फिर जाते समय राजा से ढेर सारे उपहार ले कर अपनी कला के घमंड में सबको चुनौत

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कुछ नहीं

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तेनालीराम राजा कृष्ण देव राय के निकट होने के कारण बहुत से लोग उनसे जलते थे। उनमे से एक था रघु नाम का ईर्ष्यालु फल व्यापारी। उसने एक बार तेनालीराम को षड्यंत्र में फसाने की युक्ति बनाई। उसने तेनालीराम क

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बाबापुर की रामलीला

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हर वर्ष दशहरे से पूर्व काशी की नाटक मंडली विजयनगर आती थी। सामान्यतः वे राजा कृष्णदेव राय तथा विजयनगर की प्रजा के लिए रामलीला किया करते थे। परंतु एक बार राजा को सूचना मिली कि नाटक मंडली विजयनगर नहीं आ

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बेशकीमती फूलदान

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विजयनगर का वार्षिक उत्सव बहुत ही धूमधाम से बनाया जाता था। जिसमें आसपास के राज्यों के राजा भी महाराज के लिए बेशकीमती उपहार लेकर सम्मिलित होते थे। हर बार की तरह इस बार भी महाराज को बहुत से उपहार मिले। स

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मौत की सजा

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बीजापुर के सुल्तान इस्माइल आदिलशाह को डर था कि राजा कृष्णदेव राय अपने प्रदेश रायचूर और मदकल को वापस लेने के लिए हम पर हमला करेंगे। उसने सुन रखा था कि वैसे राजा ने अपनी वीरता से कोडीवडु, कोंडपल्ली, उदय

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नीलकेतु और तेनालीराम

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एक बार राज दरबार में नीलकेतु नाम का यात्री राजा कृष्णदेव राय से मिलने आया। पहरेदारों ने राजा को उसके आने की सूचना दी। राजा ने नीलकेतु को मिलने की अनुमति दे दी। यात्री एकदम दुबला-पतला था। वह राजा के स

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रंग-बिरंगे नाखून

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राजा कृष्णदेव राय पशु-पक्षियों से बहुत प्यार करते थे। एक दिन एक बहेलिया राजदरबार में आया। उसके पास पिंजरे में एक सुंदर व रंगीन विचित्र किस्म का पक्षी था। वह राजा से बोला, 'महाराज, इस सुंदर व विचित्र

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कौवों की गिनती

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महाराज कृष्णदेवराय को तेनालीराम से बेढंगे सवाल पूछने में बड़ा ही आनंद आता था। वे हमेशा ऐसे सवाल पूछते जिसका जवाब देना हर किसी को नामुमकिन सा लगता लेकिन तेनालीराम भी हार मानने वाला नहीं था। वो भी महाराज

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मनहूस कौन

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एक बार महाराज के कानों तक चेलाराम के एक व्यक्ति के बारे में खबर पहुंची। सब लोग बोलते थे कि जो कोई भी चेलाराम का मुंह देख लेता है उसे पूरे दिन एक निवाला तक खाने को नहीं मिलता।वह इंसान पूरे दिन भूखा ही

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तेनालीरामन की ईमानदारी का पुरस्कार तेनालीराम से चिढ़ने वाले कुछ ब्राह्मण एक दिन राजगुरु के पास पहुंचे। क्योंकि वे सभी अच्छी तरह जानते थे कि राजगुरु तेनालीराम का पक्का विरोधी है और तेनाली से बदला लेने म

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रिश्वत का खेल

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कृष्णदेव राय कला प्रेमी थे इसीलिए कलाकारों का प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए उनके अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित करते रहते थे। कलाकारों को सम्मानित करने से पहले वे एक बार तेनालीराम से जर

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तेनालीराम की खोज

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एक बार तेनालीराम महाराज से किसी बात पर रूठा हुआ था कि महाराज कृष्णदेवराय ने उसे फिर से किसी बात पर डांट दिया। जिसकी वजह से तेनालीराम बिना बताएं वहाँ से कहीं चला गया और दरबार में आना बंद कर दिया। महारा

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तेनालीराम मटके में

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एक बार महाराज कृष्णदेव राय तेनालीराम से इतने नाराज़ हो गए कि उन्होंने उसे अपनी शक्ल न दिखाने का आदेश दे दिया और कहा ,“ अगर उसने उनके हुक्म की अवहेलना की तो उसे कोड़े लगायें जाएंगे।” महाराज उस समय बहुत

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सात जूते मारने वाली चमेली

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चाननपुर गाँव में चांदकुमारी नाम की एक रूपवती कन्या रहती थी। वह विवाह के योग्य हो गई थी लेकिन अपनी माँ के व्यवहार के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था। उसकी माँ का नाम चमेली था जो अपने पति माधो को रोज़

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तेनालीराम की मनपसन्द मिठाई

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महाराज, राजपुरोहित और तेनालीराम राज उद्यान में टहल रहे थे कि महाराज बोले , “ऐसी सर्दी में तो खूब खाओ और सेहत बनाओ। वैसे भी इस बार तो कड़के की ठण्ड पड़ रही है। ऐसे में तो मिठाई खाने का मज़ा ही कुछ और है।”

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बूढ़ा भिखारी और महाराज कृष्णदेवराय की उदारता

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सर्दियों का मौसम था। महाराज कृष्णदेव अपने कुछ मंत्रियों के साथ किसी काम से नगर से बाहर जा रहे थे। ठंड इतनी थी कि सभी दरबारी मोटे-मोटे ऊनी वस्त्र पहनने के बाद भी काँप रहे थे। चलते-चलते राजा की दृष्टि ए

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एक बार महाराज कृष्णदेव राय ने सुना कि उनके नगर में चूहों ने आतंक फैला रखा है। चूहों से छुटकारा पाने के लिए महाराज ने एक हजार बिल्लियां पालने का निर्णय लिया। महाराज का आदेश होते ही एक हजार बिल्लियां मं

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1 फरवरी 2022
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राजा कृष्णदेव राय का दरबार लगा हुआ था। महाराज अपने दरबारियों के साथ किसी चर्चा में व्यस्त थे। अचानक से चतुर और चतुराई पर चर्चा चल पड़ी। महाराज कृष्णदेव के दरबार में दरबारियों से लेकर राजगुरु तक तेनालीर

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मृत्युदंड की धमकी

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थट्टाचारी कृष्णदेव राय के दरबार में राजगुरु थे। वे तेनालीराम से बहुत ईर्ष्या करते थे। उन्हें जब भी मौका मिलता तो वे तेनालीराम के विरुद्ध राजा के कान भरने से नहीं चूकते थे। एक बार क्रोध में आकर राजा न

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रंग-बिरंगी मिठाइयां

1 फरवरी 2022
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वसंत ऋतु छाई हुई थी। राजा कृष्णदेव राय बहुत ही खुश थे। वह तेनालीराम के साथ बाग में टहल रहे थे। वह चाह रहे थे कि एक ऐसा उत्सव मनाया जाए, जिसमें उनके राज्य के सारे लोग शामिल हों। पूरा राज्य उत्सव के आनं

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