झुमरा में कुछ समय पहले तक वे लाल आतंक की आवाज को बुलंद किया करते थे। गांव-गांव में उनका खौफ ऐसा कि कोई उनके खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता था। सुरक्षा बलों पर हमला या बात सड़क निर्माण में लगे वाहनों को आग लगाने की हो वे सबसे आगे होते थे। शायद इसी लिए नही हो सका लुगु पहाड़ पर स्थित लुगु बाबा मंदिर (गुफ़ा) का विकास... (आंखो देखी)
करीब करीब लोग लुगू बुरु घंटा बाड़ी धोरोम गाढ़ से अच्छी तरह परिचित है यह संथालियों का एक प्रमुख धर्मस्थल है परन्तु मै दावे के साथ कहता हूँ की गोमिया के स्थानीय शत प्रतिशत लोग आज भी झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड अंतर्गत ललपनिया में स्थित लुगु बाबा (लुगु पहाड़ी) से अपरिचित है। आइये विस्तृत रूप से जानते है. लुगु बाबा को लुगुबुरु घंटाबाड़ी धोरोम गाढ़ ललपनिया में इसमें न सिर्फ झारखंड के बल्कि ओड़िशा, बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ सहित देश के कई राज्यों से महिला-पुरुष आते है और हजारों फीट की ऊंचाई पर स्थित लुगु बाबा मंदिर भी पहुंचते है और वहा पूजा कर धर्म सम्मेलन में भाग लेते हैं। लुगु पर्वत की तलहटी में लुगू बुरु घटा बाड़ी धोरोम गाढ़ की स्थापना 30 नवंबर 2007 को की गयी, ऐसा मानना है इससे लुगु पर्वत पर चढ़ने का सुगम रास्ता बनाया जा सके। दिलचस्प बात तो यह है कि विदेशी लोग भी यहां पहुंच लुगु बुरु (पर्वत) की गुफा में स्थित देव को नमन करते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि लुगु पहाड़ की गुफा में आर्यो के आने के पहले से ही की जाती रही है। लोग बताते हैं आज लुगु बाबा एक आस्था का केंद्र बना हुआ है कि हजारों फीट की ऊंचाई पर भी महिला, पुरुष, बच्चे व बूढ़े तक पहुँचते हैं और अपनी मनोकामना बाबा के दरबार में रखते है। भक्तों का मानना है कि नि:स्वार्थ भाव से यहा पूजा-अर्चना करने से लुगु बाबा की कृपा से सारी मन्नतें पूरी होती हैं। लुगु पहाड़ की हजारों फीट ऊंचाई चढ़कर लुगु बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं, सुरंग सी बनी गुफाओं में जाते है, हालाँकि गुफ़ा के अन्दर ऑक्सीजन की थोड़ी कमी है, जिससे दिया/कपूर जलाना मुश्किल होता है और जरा सा घुटन महसूस होता है। आश्चर्य की बात तो यह है कि हजारों फीट ऊँची पहाड़ी पर सालोंभर न सिर्फ पानी मौजूद रहता है बल्कि बहता रहता है. चूँकि एख रख रखाव के आभाव में और श्रद्धालुओं द्वारा पैर हाथ व चेहरा धोने के क्रम में उक्त पानी मटमैला हो जाता है. पानी का स्वाद ऐसा की आपने अब तक वैसा पानी नही पिया होगा. एक साधारण सी भाषा में समझा जा सकता है कि उसके नजदीकी इलाके प्रोपर गोमिया की बात हम कर रहा है की गर्मियों में पानी की असुविधा को दूर करने के लिए जमीन में 300-400 फीट का बोरवेल करवाते है परन्तु हजारों फीट की ऊँचाई पर पानी का बदस्तूर बहना अपने आप में आश्चर्य हीं है. गोमिया ऐसा मान्यता रहा है और स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि लुगू पहाड़ी में गंभीर से गंभीर बीमारियों के इलाज में पायी जाने वाली जड़ी-बुटियों की भरमार है। जिससे होकर पहाड़ का जलस्त्रोत बहता है। तलहटी (छरछरिया) में गिरते-गिरते उक्त जल औषधीय गुणों को समेटे रहता है। सेवन से एसिडीटी की बीमारी नहीं होती। वहीं, पाचनतंत्र के मजबूत होने से पेट भी साफ रहता है। सिर्फ पानी पीने में हीं यह जलस्त्रोत चमत्कारी असर नहीं करता। बल्कि अगर कोई एलर्जी व मौसमी खाज-खुजली से परेशान हैं तो जलस़्त्रोत (उद्गम स्थल) में नहा लें तो उक्त परेशानी चुटकी में खत्म हो जाएगी। कई लोगों का यह भी मानना है कि लुगू बाबा यानी भगवान शिव की कृपा पूरे पहाड़ क्षेत्र में बनी हुई है।
“राज्य सरकार को करना चाहिए विकास कार्य”
सरना धर्म व हिन्दु धर्म में कई समानताए है, फिर भी यह धर्मस्थल उपेक्षित है। राज्य सरकार को इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रयासरत रहना चाहिये। हजारों लोग पहाड़ों पर पथरीली रास्तों से ऊंचाई पर चलते हुए तक़रीबन 6-8 किलोमीटर की दुरी तय कर बाबा के दरबार तक पहुंचते है, पूजा-अर्चना करते है, मिन्नत मांगते है और आराम करने के तत्पश्चात बाबा को विदा कहकर पुन: उसी पथरीली रास्ते से नीचे उतरते है. न सबसे ऊँची पहाड़ी यानि लुगु पहाड़ी (गुफ़ा) के पास रात्रि में रोशनी तक की व्यवस्था नही है और न ही पहाड़ी से उतरते वक्त एक छटाक उजाला का नसीब होता है।
“ये होना चाहिए”
• गुफ़ा के पास एक छोटा सा अपूर्ण मंदिर है जिसमे दरवाजा तक नही लगा है. वहाँ परिपूर्ण मंदिर का निर्माण होना चाहिए।
• जब तक वहाँ स्थाई रूप से बिजली की व्यवस्था न हो तब तक के लिए सोलर लाइट तथा जेनरेटर (डीजी) की व्यवस्था की जानी चाहिए।
• जमीन यानि छरछरिया झरना के पास से लुगु बाबा के दरबार (गुफ़ा) तक सीढियों का निर्माण कराया जाना चाहिए।
• शुद्ध पिने के पानी की व्यवस्था के लिए छोटा सा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था हो। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि मौसम के अनुरूप गर्मियों में ठंडा व जाड़ा में गर्म पानी गिरता है।
विशाल कुमार
गोमिया, बोकारो