गोमिया में असुरक्षित स्कूली वाहन, खतरे में स्कूली बच्चे
एक रिपोर्ट:- गोमिया संवाददाता गोमिया: गोमिया के निजी स्कूल व कॉलेज द्वारा परिवहन शुल्क के नाम पर अभिभावकों से मोटा पैसा वसूला जा रहा है ही लेकिन सुरक्षा को लेकर उतने ही लापरवाह भी दिखाई देते है. क्षेत्र में रोजमर्रे कि जिंदगी से जूझ रहे दैनिक मजदुर और सुबह छ: बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक स्कूली वाहनों की जद्दोजहद और एक दुसरे से आगे निकल जाने कि होड़ में खतरे में आ जाते स्कूली बच्चे गोमिया कि तंग चौतरफे सड़कों और अधिकांश बंद रेलवे क्रासिंग में खतरे से खाली नही है. स्कूली वाहनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी सख्त दिशा निर्देशों को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। गोमिया में अधिकांश स्कूल वैन में क्षमता से कहीं ज्यादा बच्चों को लादा जाता है, इसके अलावा इस पर कहीं भी स्कूली वाहन का चिह्न अंकित नहीं है। थ्री सीटर ऑटो में तीन से अधिक सवारियां नही बैठा सकते परन्तु एक ऑटो में दर्जनभर से अधिक बच्चों को ठूंसकर ले जाते है. जिससे ऑटो चालक बच्चों की जिंदगी को खतरे में डालकर तेज गति से दौड़ाते तो है ही परन्तु इसके कारण यहाँ के रोजमर्रे से जुझ रहे स्थानीय लोगों को भी खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं स्कूल बसों की पहचान के लिए कोई मानक निर्धारित नही है. इसलिए इनका पालन नहीं हो रहा है। छोटे बडे़ सभी स्कूलों में लापरवाही हो रही है। गोमिया के कई नामचीन स्कूलों के सामने खड़ी कई वाहनों के आगे पीछे स्कूल बस, स्कूल वैन या सावधान बच्चे बैठे हैं तक लिखा नहीं है। इन बसों में बच्चों की संख्या सीटों से भी ज्यादा होती और बच्चों को खड़े होकर आवागमन करना पड़ता है। आम तौर पर प्रत्येक स्कूली बस में बच्चों के नाम की सूची, उनका पता, कक्षा और उनका ब्लड ग्रुप तथा रूट चार्ट उपलब्ध होना अनिवार्य है, लेकिन निजी ऑपरेटरों की बसों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। आग से निपटने के भी कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं है. प्रत्येक वाहनों में अग्निशमन यंत्र अनिवार्य है परन्तु नियमों को ताक पर रखकर सुबह से दोपहर तक जम कर धज्जियाँ उड़ाई जा रही है।
विशाल कुमार गोमिया बोकारो