नई दिल्ली: जाने-माने पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने एक समारोह में बोलते हुए कहा कि मै इसलिए चिल्लाता हूं क्योंकि इस देश में चिल्लाओगे नहीं तो कोई सुनेगा नहीं। टाइम्स नाऊ के पूर्व संपादक राजस्थान की राजधानी जयपुर में बोल रहे थे।
नया वेंचर लांच कर रहे हैं अर्नब
अर्नब ने कहा, ''मेरे जाने पर सेलिब्रेट करने वाले अब अफसोस मनाएंगे। मैं वापसी कर रहा हूं। मेरा नया वेंचर है ‘रिपब्लिक’।' अर्नब ने अपने कई अनुभव सांझा किए। अर्नब ने कहा, ''एक बार मैं पार्लियामेंट के गेट नंबर 4 पर पहुंचा। मैं जो भी सवाल पूछता था सीधे पूछता था। मैं एक निजी चैनल का जर्नलिस्ट था। एक बार मुझे लॉ मिनिस्टर से सॉरी बोलने को कहा। यह बेहद शर्म की बात है। इसी तरह ज्योति बसु से माफी मांगने के लिए भी कहा गया था। पॉलिटीशियंस ने मुझे काफी प्रताड़ित किया।''
राजनेता करते हैं प्रताड़ित
अर्नब ने कहा कि राजनेता न्यूजचैनल को मनी के रूप में एड देते थे और वो पत्रकार को प्रताड़ित करते थे। इन सारी चीजों ने मुझे ‘रिपब्लिक’ लाने को प्रोत्साहित किया। जर्नलिज्म के नजरिए को बदलने की सोच है रिपब्लिक। मेरे (टाइम्स नाऊ से) एक्जिट को सेलिब्रेट करने वाले अफसोस करेंगे क्योंकि मैं वापस आ रहा हूं। रिपब्लिक मेरा नया वेंचर है। ''मैं क्यों चिल्लाता हूं, ये समझो। ...क्योंकि इस देश में चिल्लाओगे नहीं तो कोई नहीं सुनेगा। ''
कॉलेज की शुरुआत में सामना धर्म और जाति से
अर्नब ने कहा, ''मैं 90 के दशक का स्टूडेंट हूं। हिंदू कॉलेज में एंटर नहीं करने दिया गया क्योंकि मेरे नाम में गोस्वामी है। कॉलेज के पहले साल में हम इंडिविजुअल नहीं थे, हम सिर्फ कास्ट थे। लेकिन सेकेंड ईयर में चाणक्य थियेटर से मूवी देखकर आ रहा था और चांदनी चौक के बाहर रुका। पूछा क्या हुआ तो लोगों ने बताया कि बाबरी ढांचा तोड़ दिया। यानी कॉलेज के पहले साल में जाना कि आपकी कास्ट क्या है और सेकेंड ईयर में जाना आपका धर्म क्या है। उसके बाद मेरी बैच के 70% लोग विदेश चले गए और लौटे नहीं। मैं यहीं रुक गया।''