सागर कब सीमित होगा
फिर से वो जीवित होगा
आग जलेगी जब उसके अंदर
प्रकाश फिर अपरिमित होगा ||
सूरज से आँख मिलाएगा
कब तक झूमेगा रातों में ?
छिपा कहाँ आक्रोश रहेगा
देखो कब तक खामोश रहेगा
ज्वार किसी दिन उमड़ेगा
सीमाएं सारी तोड़ेगा
वो सच तुमको बतलायेगा
बातों से आग लगायेगा
एक धनुष बनेगा बातों का
बातों के तीर चलायेगा
कोई समझकर पुल गुजरेगा
कोई फसा रहेगा बातों में
कब नीर बहेगा आँखों में ?