नई दिल्ली: दिवारों में सीलन, टूटी हुई कुर्सियां और फटे हुए परदे. ये कोई कबाड़ खाना नहीं बल्कि ये बिहार राज्य पुल निर्माण निगम (BRPNN) का दफ्तर था. इसी दफ्तर में बैठकर बिहार को रफ्तार देने की जिम्मेदारी थमाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने IAS अधिकारी प्रत्यय अमृत तो BRPNN का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया था. साल 2006 में जब प्रत्यय अमृत ने जिम्मेदारी संभाली थी तब BRPNN के खाते में महज 47 करोड़ रूपय थे. राज्य सरकार तक ने इसे बंद करने का मन बना लिया था. लेकिन IAS प्रत्यय अमृत ने महज दो साल में वो कारनामा कर दिखाया जिसे देख कर सरकार भी हैरान थी. कल तक आर्थिक तंगी से परेशान BRPNN दो साल के भीतर ही कोसी बाढ़ के दौरान मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 20 करोड़ रुपये दान करने की स्थिति में था. प्रत्यय अमृत ने अपने दम पर ना सिर्फ दिवालिया हो चुके एक उपक्रम को चलाया बल्कि उसे आगे भी ले गए.
मुश्किल था काम को अंजाम देना
बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक (BRPNN) के रूप में, उन्होंने तीन साल में लगभग 300 प्रमुख पुल परियोजनाओं के पूरा होने का निरीक्षण किया था. ऐसे माहोल में जहां एक ईंट लगाना भी मुश्किल था वहां 300 पुल का काम पूरा करवाना किसी पहाड़ को हिलाने से कम नहीं था. प्रत्यय अमृत ने जब काम संभाला था तब विभाग के कर्मचारियों का मनोबल टूट चुका था. प्रत्तयय के पास पेंडिंग पड़ी योजनाओं की एक लंबी सूची थी. जिसमें से कुछ तो 17 साल से लंबित पड़े प्रोजेक्ट थे. पिछले एक दशक में जिस विभाग को चूस कर खोखला बना दिया गया था उसी विभाग को चमकाकर प्रत्यय अमृत ने बिहार को रफ्तार देने का काम किया.
एक फोन ने बदल दी बिहार की किस्मत
आपने अक्सर सुना होगा की एक फोन ने किसी शख्स की किस्मत बदल दी. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब एक फोन ने किसी राज्य की किस्मत बदली हो. 1991 बैच के अधिकारी प्रत्यय अमृत दिल्ली में डेपुटेसन पर थे. तभी बिहार के एक अधिकारी ने उन्हे फोन कर पूछा कि क्या वो बिहार आना चाहते हैं. बिहार में उन्हें एक मृत पड़ी संस्थान को चलाने की जिम्मेदारी दी जा रही थी, लेकिन बिहार का होने की वजह से बिहार प्रेम उन्हें वापस बिहार खींच लाया. फिर क्या था जो हुआ वो सामने है.
कर्मचारियों को किया प्रोतसाहित
प्रत्यय ने चुनौती को समझते हुए सबसे पहले अपनी टीम को मजबूत करने की ठानी. उन्होंने अपनी टीम के अधिकारियों और इंजीनियरों को आउट-ऑफ-द-बॉक्स समाधान निकालने की छूट दी. जब अधिकारियों को काम करने की आजादी मिली तो किसी ने अपने बॉस को निराश नहीं किय़ा. हलांकी तारीफ टीम लीडर की भी करनी होगी क्योंकि जब जब उन्हें लगा की टीम ने कोई बड़ा काम किया है तब-तब उन्होंने अपनी टीम को सम्मानित भी किया.
बना दिया रिकार्ड
BRPNN ने अपने स्थापना के तीस सालों में जहां सिर्फ 314 पुल बनाए थे वहीं 2006 में प्रत्यय अमृत के आने के बाद सिर्फ तीन साल में ही 336 पुल बनाकर ऐसा रिकार्ड बना दिया जिसने सभी की नजरे अपनी तरफ खींच ली. तीन साल में बने इसी 336 पुल की बदोलत नीतीश कुमार ने पूरे बिहार में सड़कों का जाल बिछाया. जिससे बिहार की पुरानी तस्वीर बदल गई.
सैकड़ो करोड़ के मुनाफे में पहुंचा विभाग
IAS अधिकारी प्रत्यय अमृत को जब BRPNN का मैनेजिंग डायरेक्टर बनाया गया था उस वक्त विभाग के खाते में महज 47 करोड़ रूपय थे. लेकिन आज विभाग का कारोबार 768 करोड़ तक पहुंच गया है. हलांकि इस काम के लिए उन्हें मेहनत भी बहुत करनी पड़ी है. जानकारों की माने तो अमृत ने इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए 40 हजाक किलोमीटर कर का सफर किया.