नई दिल्ली: भले ही मोदी सरकार नोटबंदी की घोषणा पर अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन नोटबंदी का आइडिया देने वाले शख्स बोकिल इससे खुश नहीं है। बैंकों और एटीएमों के सामने लाइन लगा कर खड़े हैं लोंगो को रही परेशनियों का दोष सरकार पर मढ़ रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार ने उनके सुझाव को पूरा-पूरा मानने के बजाय अपनी पसंद को तवज्जो दी।
क्या था बकौल बोकिल का सुझाव-
1. केंद्र या राज्य सरकारों के साथ-साथ स्थानीय निकायों द्वारा वसूले जाने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, सभी करों का पूर्ण खात्मा।
2. ये टैक्सेज बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स (बीटीटी) में तब्दील किए जाने थे जिसके अंतर्गत बैंक के अंदर सभी प्रकार के लेनदेन पर लेवी (2 प्रतिशत के करीब) लागू होती। यह प्रक्रिया सोर्स पर सिंगल पॉइंट टैक्स लगाने की होती। इससे जो पैसे मिलते उसे सरकार के खाते में विभिन्न स्तर (केंद्र, राज्य, स्थानीय निकाय आदि के लिए क्रमशः 0.7%, 0.6%, 0.35% के हिसाब से) पर बांट दिया जाता। इसमें संबंधित बैंक को भी 0.35% हिस्सा मिलता। हालांकि, बीटीटी रेट तय करने का हक वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास होता।
3. कैश ट्रांजैक्शन (निकासियों) पर कोई टैक्स नहीं लिया जाए।
4. सभी तरह की ऊंचे मूल्य की करंसी (50 रुपये से ज्यादा की मुद्रा) वापस लिए जाएं।
5. सरकार निकासी की सीमा 2,000 रुपये तक किए जाने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए।
बोकिल ने बताया कि 16 सदस्यों की एक तकनीकी समिति ने यह प्रस्ताव दिया जिसने गारंटी दी कि इससे एक भी व्यक्ति प्रभावित नहीं होगा। इस कदम का सिर्फ और सिर्फ ब्लैक मनी, आतंकवाद और फिरौती से जुड़े अपराधों पर प्रहार होता। इससे प्रॉपर्टी की कीमतें कम होतीं और जीडीपी का विस्तार होता। सरकार ने 2,000 रुपये के नोट ला दिए जिसे हम वापस लेने का प्रस्ताव रख रहे हैं। यह तो सिर्फ शुरुआत है। मुख्य अभियान का आगाज तो अभी होना है।