दिल्ली : पंजाब, गुजरात और गोवा के बाद अब अरविंद केजरीवाल ने बड़ी तेजी से ओडिशा मे पांव पसारना शुरू कर दिया है. पार्टी के थिंक टैंक उड़िसा मे तीन बार की नवीन पटनायक सरकार को चुनौती देने की घातक रणनीति बना रहे है.
इस रणनीति के प्रमाण दो दिन पहले कटक में उस दिन देखने को मिले जब आम आदमी पार्टी सम्मेलन में आप कार्यकताओं का भारी हुजूम एक छत के नीचे देखने को मिला. इतनी भीड़ और इतना उत्साह हाल में किसी विपक्षी पार्टी का ओडिशा में देखने को नहीं मिला है.
सफेद टोपी धारियों की कटक की सड़कों पर भीड़ देखकर कटक से 25 किलोमीटर दूर भुवनेश्वर मे बैठे नवीन पटनायक चौंक पडे. पटनायक के एक मंत्री का कहना था कि उन्हे इस भीड़ की जरा भी भनक नहीं थी और ओडिशा सरकार को यह समझ नहीं आ रहा कि अचानक इतना बड़ा जन समर्थन अरविंद केजरीवाल ने ओडिशा में कैसे जुटा लिया. कहने वाले कह रहे है. चुनाव भले ही 2.5 साल दूर हो लेकिन पंजाब की तरह ओडिशा में भी आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरेगी और ओडिशा की नवीन पटनायक सरकार को सीधे चुनौती देगी.
अरविंद केजरीवाल के निकटस्थ सूत्र ने इंडिया संवाद को बताया कि एक सोची समझी रणनीति के तहत पार्टी ने ओडिशा मे अपने प्रचार प्रसार को आगे बढ़ाया दरअसल लगातार पिछले 17 सालो से नवीन पटनायक सरकार जिस तरह से भुवनेश्वर में जमे हुये हैं और उनको कोई चुनौती नहीं दे पा रहा है.
कांग्रेस की लीडरशिप लगातार ओडिशा मे कमजोर होती गई और बीजेपी मे भी धमेंद प्रधान से बड़ा नेता उभरकर सामने नही आया. पटनायक ने जब 2014 मे तीसरी बार शपथ ली तो उनकी यह सरकार पहले कार्यकाल की अपेक्षा थोड़ी सुस्थ और भ्रष्टाचार के मामलो मे विवादास्पद दिखी.
इन्ही परिस्थितियों को आम आदमी पार्टी ने भांपा और पिछले साल भर मे मजबूती के साथ संगठन को खड़ा किया सौभाग्य से निशिकांत मिश्रा और तमाम साफ छवी वाले कर्मठ साथी केजरीवाल को मिले जिन्होने आप की चिंगारी को आग मे बदलने की कोशिश की. जगह-जगह सभाये हुई मौहल्ले-मौहल्ले जनसर्मथन जुटाया गया जिसके बाद झाडू लहराने लगी. यही कारण है जब आम आदमी पार्टी ने ओडिशा में पहला राज्य-सम्मेलन हुआ तो समूचा स्टेडियम सफेद टोपी से झूम उठा.