23 जुलाई 2022
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जो मन में आता है , लिखता हूं । साफ कहना, साफ दिल , साफ लिखना मुझे पसंद है । D
डायरी सखि, कभी सोचा नहीं था कि ऐसा भी होगा । राजस्थान में दिनांक 28.6.2022 को उदयपुर में एक बहुत ही नृशंस, बर्बर, क्रूर, तालिबानी, पैशाचिक , अमानवीय कार्य हुआ । एक गरीब दर्जी का कुछ जेहादि
डायरी सखि, क्या तुम्हें पता है कि ये सिल्वर जुबली फंक्शन क्यों मनाते हैं ? नहीं ना ? पता होगा भी कैसे ? शादी की हो तो पता चलता ? बिना शादी के सिल्वर जुबली जैसे कार्यक्रमों के बारे में तुम क्या जा
डायरी सखि, आज तो कमाल हो गया । "ठसक" वाले की "ठसक" धरी की धरी रह गई । एक "नाथ" वाले शिंदे ने उसे 99 के फेर में ऐसा उलझाया कि वह 99 के फेर में ही फंस कर रह गया और उसी चकरघिन्नी में अभी तक घू
डायरी सखि, आजकल सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की टिप्पणियां बहुत अधिक सुर्खियां बटोर रही हैं । जिस दिन उन्होंने ये टिप्पणियां की थी , वहां पर मौजूद मीडिया ने उन्हें लपक लिया और तुरंत ब्रेकिंग न्
डायरी सखि, कुछ लोगों को विवाद पैदा कर विवादों में रहने में बड़ा मजा आता है । और मजे की बात यह है कि ऐसे लोग सोच समझ कर षड्यंत्र पूर्वक अपने ऐजेण्डे के अन्तर्गत हिंदू समाज के देवी देवताओं के नकारा
सखि , आजकल रात में दूर कहीं दक्षिण दिशा से , पता नहीं राष्ट्र से या महाराष्ट्र से बड़ी मार्मिक आवाज में एक गाना सुनाई देता है ये क्या हुआ कैसे हुआ कब हुआ, क्यों हुआ जब हुआ तब
डायरी सखि, अभी कल ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था । मैंने भी उसे देखा था । उसे देखकर मैं भी हतप्रभ रह गया । एक बार तो आंखों को विश्वास ही नहीं हुआ कि जो कुछ मैं देख रहा था , व
डायरी सखि, आजकल मैं थोड़ा व्यस्त चल रहा हूं । इसलिए समय पर न तो डायरी ही लिख पा रहा हूं और ना ही मैं अपने धारावाहिकों जैसे "बहू पेट से है", "रात्रि चौपाल", "भुतहा मकान" और अन्य रचनाओं को भी पूर्ण
डायरी सखि, आज तो बहुत दिनों के बाद तुमसे मुलाकात हो रही है सखि । इतने विलंब से मिलने का कारण वही है सखि जो मैंने तुम्हें पहले बताया था । मैं अपनी दूसरी पुस्तक "यक्ष प्रश्न" के लिये रचनाओं की प्रू
डायरी सखि, आज बड़ा अच्छा लग रहा है कि पापियों के पाप अब सामने आ रहे हैं । एक कहावत है कि पाप का घड़ा कभी न कभी तो फूटता जरूर है । मगर इस "लोक" और "तंत्र" के कुचक्र में न्याय "अन्याय" का दंश झेलने
सखि, कल मैंने बताया था कि किस तरह रूबैया सईद के अपहरण कर्ता यासीन मलिक को रूबैया ने कोर्ट में पहचान कर उसकी सजा मुकम्मल कर दी । आज ऐसे ही एक और षड्यंत्र के बारे में बताना चाहता हूं । सखि, यह
डायरी सखि, यूं तो इस देश में अनेक धाम हैं जैसे उत्तराखंड में चार धाम , दक्षिण में रामेश्वर धाम , पूर्व में जगन्नाथ पुरी धाम , पश्चिम में द्वारिका धाम । इनके अलावा भी देश के कोने कोने में अनेक धाम
डायरी सखि, हमारे पुरखे कह गये हैं कि जैसा कर्म करोगे वैसा फल भी भुगतोगे । मगर आधुनिकता की नकली चादर ओढ़कर लोगों ने पाप कर्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । भगवान का अस्तित्व मानने से ही इंकार कर
डायरी सखि, कहने को तो सब कहते हैं कि देश में बेईमानी बहुत है । ईमानदारी कहीं नहीं है । पर क्या एकमात्र यही सत्य है सखि ? मेरा प्रश्न है कि किसे चाहिए ईमानदारी ? आजकल उत्तर प्रदेश में "महा भू
सखि, ये क्या हो गया है सांसदों, राजनीतिक दलों को ? जब देखो तब संसद में हंगामा खड़ा कर संसद को स्थगित करवा देते हैं । ना तो कोई काम करते हैं और ना ही करने देते हैं । इनको लगता है कि यदि काम हुआ तो
डायरी सखि, एक बच्चा वो भी कट्टर ईमानदार, अगर बाहर घूमने जाना चाहता है तो इसमें क्या हर्ज है ? आखिर वह चाहता क्या है ? इतना ही ना कि उसका बनाया हुआ मॉडल सब देखें । तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं
सखि, आज तो एक पहाड़ देखा है । अब ये मत कहना सखि कि इसमें खास बात क्या है ? पहाड़ तो रोज ही दिखते हैं । टूटते हुए , खिसकते हुए, दरकते हुए, सरकते हुए, सुबकते हुए और कलपते हुए । पहाड़ों की तो जिंदगी
सखि, न्याय की चाल कितनी धीमी है , यह आज मुझे प्रत्यक्ष अनुभव हुआ । मैं सन 2009 से 2012 की अवधि में जिला रसद अधिकारी , अजमेर के पद पर,पदस्थापित रहा था । इस अवधि में राजस्थान सरकार ने "शुद्ध के लिए
सखि, कुछ सालों पूर्व एक फिल्म आई थी जिसमें एक गाना था "हाय हाय गर्मी, उफ्फ उफ्फ गर्मी" । पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि अब वह गाना कुछ लोगों द्वारा कुछ इस तरह से गाया जा रहा है ह
डायरी सखि, आज तक तो हमने क्वीन , ब्यूटी क्वीन, मैलॉडी क्वीन और ट्रेजेडी क्वीन का ही नाम सुना था । मगर अब एक और प्रकार की क्वीन देखने सुनने में आ रही है । उसे "कैश क्वीन" कहा जा रहा है । सुन
सखि, बड़ा अच्छा लगा जब यह ज्ञात हुआ कि शमशेरा फिल्म बॉक्स ऑफिस पर "धड़ाम" से गिर गई है । ऐसा नहीं है कि यह फिल्म इतनी बुरी है कि इसे देखने कोई जाये ही नहीं । बड़ा बैनर , बड़े सितारे और बड़ा मार्क
सखि, आजकल गालीबाज नेताओं की बाढ सी आ गई है । ऐसा लग रहा है कि नेता यह मान कर चल रहे हैं कि "गाली देना उनका जन्म सिद्ध अधिकार है और वे गाली देकर रहेंगे" । ऐसा नहीं है कि वे गाली किसी पुरुष को ही द