किताब के बारे मे इस कहानी के मुख्य पात्र निर्भय, ईशान, श्रद्धा, संजीत,भार्गवी और संकल्प है | निर्भय का कार मे एक्सीडेंट होने की वजह से हॉस्पिटल मे जान तो बच जाती है मगर दोनों हाथो की हथेलियों को खो देता है , समाज के कुछ लोग उसकी तरफ देखकर कहते है कि
प्रस्तुत पुस्तक में देवी-देवताओं से संबंधित कथाएं कहानियां और उनकी लीलाओं के प्रसंग हैं
किताब के बारे मे 22 मार्च 2020 को 24 घंटे के लिये लॉकडाउन लगाया गया था, भारत सरकार की तरफ से | इन दिनों मेरा मिरज, महाराष्ट्र मे ही काम चल रहा था | अक्सर रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी मे छुट्टी नहीं मिला करती है तो इस 24 घंटे के लॉकडाउन से मन मे थोड़ी ख़ुशी भी
एक बड़ा सा कमरा, दो मंजिले पर एक डाईनिंग हाल में पचपन छप्पन साल की एक महिला डाईनिंग टेबल पर सब्जी काट रही है और ठीक पीछे उसका पति तैयार हो रहा है शायद कही जाने के लिए। पति की उम्र साठ के उपर होगी, वो याद से सभी सामान को अपने पास रखता है जिसे लेकर उसे
🌺खिलौने जो आज भी जिंदा है🌺 आज मायके में बोहोत दिनों बाद मैने अपनी पुरानी पेटी खोली और मां से कहा - "आप ने अब भी मेरे खिलौने कितने संभाल के रखे हैं। " और मन ही मन सोचने लगी कि एक मायका ही होता है जो अपनी बिटिया के सारे निर्जीव खिलौनों को
एक राजा था उसे दूसरे राजा से युद्ध में जितना तू तो उसके किले पर जितनी बार भी आक्रमण करता वह हार जाता एक दिन वह थक के अपने कक्ष में बैठा था तो उसे नजर दीवार पर गई उसने देखा कि एक चींटी दीवार पर चल रही थी वह हमेशा नीचे गिरती और वह कोशिश नहीं आती वह चढ़
good morning I should have kept chasing my dream person stumbling on a winding narrow road I don't wanna go back to those days looking for the lost sky like a sacrifice so that you can understand stop sad faces tears are no
“सुक्का” अपने नाम से ही एक फजुलियत बिखेरता किरदार| सुक्का होने को तो कभी के प्रसिद्द साहूकार रतन शर्मा का पोत्र था| रतन शर्मा का ब्याज का बड़ा काम था अंग्रेजो के ज़माने से| उनके दो पुत्र थे बड़े चन्द्र दत्त और छोटे सोमदत्त| चन्द्र दत्त पढ़-लिख कर अध्यापक
किताब के बारे मे हमारा भारतदेश क़ृषिप्रधान देश है, फिर भी आज के समय मे किसान की स्तिथि बहुत ही बुरी है | वह आज भी ग़रीबी और लाचारी से परेशान है, कभी अतिवृष्टि की वजह से फसल का नुकसान हो जाता है तो कभी अल्पवृष्टि से | किसान खेतो मे बीज बोने से लेकर फसल
आई लव यू आरोही .. शिवांश ने जैसे ही ये बात आरोही से कहा आरोही को गुस्सा आ गया और उसने शिवा से कहा .. होश में तो हो ? ये क्या बोल रहे हो तुम ? औकात देखी है अपनी ? दोस्ती करने तक की औकात नहीं है . और मुझसे प्यार करने चले हो ?? दुबारा अगर अपनी
अन्ततः कहानी संग्रह ग्यारह कहानियों का संग्रह है। यह सभी कहानियाँ मौलिक हैं तथा आज के सामाजिक परिवेश के धरातल से जुड़ी हैं।