साहित्य समाज का दर्पण होता है। हमारे समाज में और हमारे आसपास बहुत सी ऐसी घटनाएं घटित होती है जो हमारे ही ़जीवन से जुड़ी होती है। ऐसे ही जीवन में घटित होने वाले छोटे छोटे पलों को शब्दों में पिरो कर कुछ लघु कथाओं के रूप में पेश किया गया है। लघु
'बहना तेरे प्यार में' ये कहानी दो बहनों के अथाह प्रेम को व्यक्त करती हुई कहानी है । दो बहनें नव्या और भव्या जो मैकेनिक पिता की बेटियाँ हैं । उनके पिता अस्वस्थ हैं और अपने पिता की अस्वस्थता के चलते उन्होनें दुकान चलाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है औ
रिश्तों की व्याख्या...! 'वक़्त'... आपने नाम तो सुना ही है। कितना निष्ठुर, कितना निर्दयी, कितना खुदगर्ज़ होता है। अपने ही चाल में मस्त मलंग बस चलता जाता है... चलता जाता है... चलता जाता है....। इस बेपरवाह अमूर्त प्राणी को कोई परवाह नहीं की इसके विशाल प
तेरा इश्क़ है मेरा इबादत । तेरा प्यार है मेरी मोहब्बत । यह कहानी है दो लोगो की जुनून की तकरार की ओर बेइंतिहान मोहब्बत की ।
आओ जज्बातों के रोमांचक सफर पर चलें।
मेरी ये किताब एक फौजी की जीवन शैली उसकी कुर्बानी और उसके अधूरे प्यार की एक संग्रह है।। मेरे इस स्टोरी में कुछ चीजें है जो काल्पनिक नही रियाल लगती है पर है नही ये पूर्ण तह: काल्पनिक है मै अपने सब्दो से किसी को भी ठेश नही पहुचना चाहती आप मेर
यह कहानी पारिवारिक रिश्तो का आंकलन करती है। इसकी मूल संवेदना पिता पुत्र पति-पत्नी भाई बहन जैसे रिश्तो को दर्शाती है। प्रेम सद्भाव से ओतप्रोत यह कहानी पति-पत्नी के बिछड़ने और मिलने का बोध कराती है। पुत्र के बचपन से किशोरावस्था तक जाने में , फिर उसे अ
मातृ दिवस हम सभी अपने जीवन में अपनी मां को बहुत प्यार करती हैं और हम अपनी मां के लिए अपना जीवन भी त्याग बलिदान कर सकते हैं क्योंकि मां ने हमें जिंदगी दी है और मां ने नया जीवन दिया है जो हम इस संसार में जीते हैं इसलिए मां को शब्दों में व्यक्त नहीं कर
यह कविता संग्रह मैंअपने जीवन के कुछ पलो को जो खट्टे अनुभव लिए हैं,को काव्यात्मक अंदाज मे लिखूगा।जो निजता को सार्वजनिकव सामाजिकतो करेगा पर एक चरित्र को उजागर भी करेगा जिससे मैं खिन्न हूं। ईश्वर मुझे माफ करे व मेरा साथ दे व मुझे हर गलती से रोके। लेखक
पिता और पुत्र का एक ऐसा रिष्ता है जिसमें पिता अपने पुत्र में स्वयं को देखता है। अक्सर वह चाहता है कि उसका पुत्र वो करे, जो वह स्वयं न कर सका, अपने अनुभवों और ज्ञान को अपने पुत्र के भीतर झोंक देना चाहता है एक पिता। या यूं कहें पिता अपने पुत्र के माध्य
इस किताब की पन्नो मैं छिपी है एक अजब दासताँ जो है जीवनी की ये उसका नाम है जो जिया में बदल चुका है तो जीवनी का जिया बनना ही इस किताबो मैं छिपा है और जिया से वो केसे वापिस जीवनी बनेगी ये भी एक राज है तो आप जानना चाहते है की जीवनी केसे बनी जिया तो पढते
आज हम एक मा की दर्द भरी कहानी को अपनी आर्टिकल में लिख रहा हूं। यह एक सच्ची घटना है । बात वर्ष 2017 की है । उस समय नया नया LED लाइट गांव में आया। ब्लॉक में उजाला नाम के LED Light आधार कार्ड से मिल रहा था । दो साल का गारंटी भी था। हम सोचे की क्यों ना
सर्वेश को एक रात सड़क पर एक आदमी घायल अवस्था में पड़ा मिलता है , वह उसे उठाकर हॉस्पिटल ले जाया जाता हैं वहा पता चलता है की यह बड़ा किलर है ,!!
नंदू को आचार्य जी रास्ते से लेकर अपने घर में पनाह देते हैं ,और नंदी भी उनके घर का पूरा काम करता था ,वह घर का नौकर कम परिवार का सदस्य अधिक था।।
एक लड़का जिसे नशे की गंदी लत लग गई थी वह हमेशा नशे में मस्त रहता था , अचानक एक दिन जिस पुलिया के नीचे वह छुप कर दूसरे नशेड़ियों के साथ नशा करता था , वहीं एक तीन माह को बच्ची मिल गई ,उसके बाद क्या हुआ पढ़िए व्यसन,,,
रोहित और साकेत बचपन में ही साथ पढ़ते थे एक तरह से दोनो लंगोटिया यार थे ,पर साकेत के पिता का ट्रांसफर हो जाने से दोनो अलग हो जाते हैं
"इतने मँहगे कपड़े, सामान और खिलौने लेने की क्या जरूरत है माँ जी ? फिर अभी तो इतने पैसे भी नहीं हैं मेरे पास !" मुक्ता ने कहा पर फिर भी शायद वह उसकी मंशा समझ नहीं सकीं । "पैसे नहीं हैं तो क्या फर्क पड़ता है ? सामान अलग कर कुछ एडवांस दे देते हैं । कल
इंसान और जानवरों के बीच में निष्पाप प्रेम का बर्णन, और उनके एक दूसरे से अलग हो जाने का दुःख, लेखिका ने इस कहानी के जरिए दिखाने की चेष्टा की है।।