प्रेमचंद द्वारा लिखित 'मंगलसूत्र' उपन्यास उनका अपूर्ण उपन्यास है। 1936 ई. में अपने अंतिम दिनों में प्रेमचंद 'मंगलसूत्र' उपन्यास लिख रहे थे किंतु वे उसे पूर्ण न सके। इस उपन्यास का अंतिम रूप क्या होता, यह तो कहना कठिन है तो भी ऐसी प्रतीत होता है कि वे
बांग्ला के अमर कथाशिल्पी और सुप्रसिद्ध उपन्यासकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय उनकी अधिकांश कृतियों में गाँव के लोगों की जीवनशैली, उनके संघर्ष एवं उनके द्वारा झेले गए संकटों का वर्णन है। हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। न
झरना की कविताओं में कवि के आगामी विकास का आभास प्राप्त हो जाता है और इसी कारण समीक्षक इसे छायावाद युग का एक महत्त्वपूर्ण सोपान मानते हैं। झरना की अधिकांश कविताएँ १९१४-१९१७ ई० के बीच लिखी गईं है। झरना कवि के यौवनकाल की रचना है और इसकी कविताओं से उसकी
शब्दों की लड़ियां पिरो उन्हें भावों से अलंकृत कर खुबसूरत भावाभिव्यक्ति के साथ ख्वाहिशों के मुताबिक सजाती हूं और अपने पाठकों व प्रशंसकों के दिलों में जज्बातों को जगा उनके दिल को छूना चाहतीं हूं। बोलिए, आप सब मेरा साथ देंगे।अपना प्यार और दुलार हम पर लु
साहित्य समाज का दर्पण होता है। हमारे समाज में और हमारे आसपास बहुत सी ऐसी घटनाएं घटित होती है जो हमारे ही ़जीवन से जुड़ी होती है। ऐसे ही जीवन में घटित होने वाले छोटे छोटे पलों को शब्दों में पिरो कर कुछ लघु कथाओं के रूप में पेश किया गया है। लघु
सर्वेश को एक रात सड़क पर एक आदमी घायल अवस्था में पड़ा मिलता है , वह उसे उठाकर हॉस्पिटल ले जाया जाता हैं वहा पता चलता है की यह बड़ा किलर है ,!!
तेरा इश्क़ है मेरा इबादत । तेरा प्यार है मेरी मोहब्बत । यह कहानी है दो लोगो की जुनून की तकरार की ओर बेइंतिहान मोहब्बत की ।
रोहित और साकेत बचपन में ही साथ पढ़ते थे एक तरह से दोनो लंगोटिया यार थे ,पर साकेत के पिता का ट्रांसफर हो जाने से दोनो अलग हो जाते हैं
आज हम एक मा की दर्द भरी कहानी को अपनी आर्टिकल में लिख रहा हूं। यह एक सच्ची घटना है । बात वर्ष 2017 की है । उस समय नया नया LED लाइट गांव में आया। ब्लॉक में उजाला नाम के LED Light आधार कार्ड से मिल रहा था । दो साल का गारंटी भी था। हम सोचे की क्यों ना
ठाकुर महेंद्र सिंह के छोटे बेटे ने अपने से छोटे जाति की लड़की से विवाह कर लिया तो घर में आफत आ गई ,उसे घर ने रुकने नही दिया गया ,!!!
जिंदगी बहुत मुश्किल है और ये बात हमें कदम-कदम पर पता चलती रहती है। कभी परिवार की जरूरतों को लेकर तो कभी अपने आकांक्षाओं को पूरा करने की चाहत में हमें कई मुश्किलों से गुज़रना पड़ता है। यह मेरी कहानी अंतिम सत्य में एक ऐसे कड़वे सच को दर्शाया गया है,
"कही-बतकही" कहानी का विचार आमतौर पर कहानीकार के मन में किसी घटना, जानकारी, अनुभव या कल्पना के कारण उत्पन्न होता है। उसके बाद कहानीकार उसे विस्तार देता है जिसका काम कल्पना के आधार पर होता है। कहानीकार की कल्पना कोरी कल्पना नहीं होती उसमें यथार्थ का प
एक लड़का जिसे नशे की गंदी लत लग गई थी वह हमेशा नशे में मस्त रहता था , अचानक एक दिन जिस पुलिया के नीचे वह छुप कर दूसरे नशेड़ियों के साथ नशा करता था , वहीं एक तीन माह को बच्ची मिल गई ,उसके बाद क्या हुआ पढ़िए व्यसन,,,
नंदू को आचार्य जी रास्ते से लेकर अपने घर में पनाह देते हैं ,और नंदी भी उनके घर का पूरा काम करता था ,वह घर का नौकर कम परिवार का सदस्य अधिक था।।
मन की व्यथा एक ऐसी औरतो की कहानी है ,जो हमेशा अपने मन से ही बाते करती रहती है । यहॉ तक कि वो अपने ऑसुओ को भी अपने तक छिपाकर रखती है , अपना वो दर्द किसी के साथ नही बॉटती, इस नोवेल मे एसी 10औरते है ,जिनकी मन की व्यथा को बताने की कोशिश की गई है ,कहॉ जात
मेरी ये किताब एक फौजी की जीवन शैली उसकी कुर्बानी और उसके अधूरे प्यार की एक संग्रह है।। मेरे इस स्टोरी में कुछ चीजें है जो काल्पनिक नही रियाल लगती है पर है नही ये पूर्ण तह: काल्पनिक है मै अपने सब्दो से किसी को भी ठेश नही पहुचना चाहती आप मेर
इस किताब मे शायद आप को हम और आप मे से कोई मिल जाए।
आओ जज्बातों के रोमांचक सफर पर चलें।