सिंदूर:- किसी भी औरत की खुबसूरती को चार चाँद लगा देता है वो है उसका श्रृंगार और सभी जानते हैं कि औरत का श्रृंगार सिंदूर के बिना पुरा नहीं माना जाता है। सुहागिनो की पहचान है सिंदूर, सही मायनों में सिंदूर किसी भी औरत की जिंदगी में सबसे कीमती श्रृंग
मां के अपने बच्चो के लिए जो संघर्ष करती है,,,उनको पालना और उनको बड़ा करना ,उनके लिए अपने दुख दर्द भूल कर बच्चो का खयाल रखना ये सब बस एक मां ही करती है,,
'परिणीता' एक अनूठी प्रणय कहानी है, जिसमें दहेज प्रथा की भयावहता का चित्रण किया गया है। गुरूचरण बैंक में क्लर्क थे। उन्हें जब पाँचवी कन्या होने का संवाद मिला तो एक गहरी सी ठंड़ी साँस लेने की ताकत भी उनमें नहीं रही। पिछले वर्ष दूसरी कन्या के विवाह में
हम याद आएंगे पहले प्यार के चुंबन की तरह सावन और जेठ के धूप की तहर... मबुआ और नशा की तरह नशा और मौसम में झरी की तरह मौसम और चौखट की तरह पहले प्यार के चुंबन की तरह,,पहले प्यार के चुंबन की तरह..
एक बगल कि पड़ोसी कि गलती और हो गया जो नहीं होना चाहिए।
मांग कॉलेज के पिछे वाले ग्राऊंड में बहुत सारे पेड़ों के बीच एक लंबे-चौड़े छाया वाले पेड़ के नीचे सुमन किसी का इंतजार करते हुए बार-बार अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देख रही थी । शायद उसे किसी के आने का बेषब्री से इंतजार था । इसीलिए वह समय को रोकने की ना
हम याद आएंगे पहले प्यार के चुंबन की तरह सावन और जेठ के धूप की तहर... मबुआ और नशा की तरह नशा और मौसम में झरी की तरह मौसम और चौखट की तरह पहले प्यार के चुंबन की तरह,,पहले प्यार के चुंबन की तरह..
रोमनाथ को एक दिन अपने रिक्से की सीत पर एक नोटों से भरा बंडल मिलता है। जिसे वह थाने में जमा करवा देता है। पर उसके बाद उस पर जी खयानतदारी का इल्जाम लग जाया है।
दूसरा जन्म अधेड़ उम्र की औरत गांव से बाहर काफी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर चिल्ला-चिल्ला कर अपने आपको कोसती हुई रो रही थी, और कह रही थी - ये मेरी गलती थी भगवान, मैं अपनी जवानी में होने वाली उस गलती पर आज भी शर्मिंदा हूं । हे भगवान । मै
यह कहानी है ,एक मध्यमवर्गीय परिवार के मनोभावों की महत्वाकांक्षाओं की कुछ सपने पूरे होने की कुछ टूट जाने की कुछ-कुछ जीवन की व्याख्या की तरह
मेरी इस किताब को मैंने लिखा है लेकिन ये आप सब के लिए है । कहानी ज्यादा बड़ी तो नही है लेकिन छोटी भी नही है । इस कहानी में है आलिया लेकिन रणबीर नही है । इस कहानी में शब्द है लेकिन चित्र नही है । इस कहानी का उद्देश्य लोगो का विशुद्ध मनोरंजन करना है और म
पहली बारिश ,,, संध्या ओर सूरज के मिलने की ,,, बाकी आप कहानी पढ़ेंगे , तो पता लगेगा ।।
जामुन का पेड़ “रवि...., रवि बेटे अन्दर आओ ।“ “आया मां, जरा यह पेड़ और लगा दूं ।” “क्या रवि बेटे तुम भी दिन भर पेड़ लिए फिरते हो ।” झल्लाते हुए मां ने कहा । “देखिए ना मां, आज मेरी इस छोटी सी बगिया में फिर से कितने सुन्दर फूल खिले हैं ।” “हां फूल तो
यह कहानी है ,एक मध्यमवर्गीय परिवार के मनोभावों की महत्वाकांक्षाओं की कुछ सपने पूरे होने की कुछ टूट जाने की कुछ-कुछ जीवन की व्याख्या की तरह
न्यायालय आज सभी ऑफिस के आदमी कोर्ट की तरफ दौड़े जा रहे हैं । आज यहां पर उनके चहेते पटवारी का फैसला होने वाला था । जो कि दस हजार रूपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था । कोर्ट लगभग दस बजे के आसपास शुरू हुआ । सभी कोर्ट में अपनी-अपनी सीट
विजय रायपुर शहर से 10 किमी दर एक गांव राखी में एक गरीब किसान से सस्ते में जमीं खरीदकर बहुत खुश था की जल्द ही यहां मी जमीनों की क़ीमत बढेगी और मैं माला माल हो जाऊंगा। पर होता कुछ और है।
एक दिन एक साधू और भिखारी एक मुहल्ले मेँ टकरा जाते हैं।उनके बीच जो संवाद होता है ।उसके बाद वह भिखारी उस मुहल्ले में कभी न गया।