नई दिल्ली: देश की सत्ता जिन लोगों के भी हाथ में हो लेकिन इस बृहद, भव्य भारत की आत्मा बसती है सरथ बाबू जैसे लोगों के मन में। दिल्ली की सत्ता और मीडिया के लिए सरथ बाबू अनजान हैं पर यहां से हज़ारों कोस दूर, आंध्र प्रदेश के अपने शहर में इनका सम्मान एपीजे अब्दुल कलाम से कम नही है।
रेलवे का बाबू कैसे बना अनाथ बच्चों का डैडी
कुछ साल पहले तक सरथ बाबू साउथ सेंट्रल रेलवे में क्लर्क की नौकरी करते थे। उनकी पोस्टिंग आंध्र प्रदेश के नेल्लोर रेलवे स्टेशन पर थी। स्टेशन के प्लेटफार्म पर वे रोज़ भीख मांगते हुए बच्चे देखते थे। कुछ बच्चे वहां रोज़ आते . कुछ बच्चे गायब हो जाते तो कुछ चोरी में पकडे जाते। लेकिन सरथ इतना जानते थे कि ज्यादातर बच्चे अनाथ हैं और अनपढ़ हैं।
बच्चों की लाचारी देखते-देखते रेलवे प्लेटफार्म पर ही सरथ बाबू ने कई साल काट दिए। लेकिन बच्चों के निरीह जीवन और अंधरे में डूबा भविष्य उनके दिल की पीड़ा को लगातार बढ़ाता जा रहा था। इंडिया संवाद से फ़ोन पर बात करते हुए सार्थ बाबू ने कहा," मैंने रेलवे की नौकरी में ही रहकर इन भीख मांगते बच्चों के लिए आश्रम खोलने का मन बनाया। कुछ पैसा 14 साल की तब तक की नौकरी से बचा था और कुछ दोस्तों की मदद से मिला। मैंने 1994 में छोटा सा आश्रम खोल दिया और प्लेटफार्म पर भीख मांगने वाले या चोरी करने वाले बच्चों को मैं कुछ दूर आश्रम ले जाने लगा," बाबू ने बताया।
साइंटिस्ट, लेक्चरर और इंस्पेक्टर बने बच्चे
दस बीस बच्चों से गिनती बढ़ने लगी। सरथ बाबू ने इन बच्चों के खाने, कपडे के साथ उन्हें पढ़ाने के भी इंतज़ाम किये। नीयत नेक थी और पास पड़ोसी भी आश्रम को कुछ न कुछ मदद देने लगे। बच्चों का हाल तो ये था की ख़ुशी के मारे सरथ को ही पापा मान बैठे। बच्चों ने उनका नाम डैडी रख दिया और रेलवे के साथी भी इसी नाम से बाबू को पुकारने लगे। " मुझे ख़ुशी इस बात की है आज 22 साल बाद इस चाइल्ड आश्रम के नौ बच्चे बीटेक से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर कर रहे हैं। एक बच्चा साइंटिस्ट बन चुका है। एक बच्चा फिजिक्स का लेक्चरर बन गया है। कुछ बच्चे सरकारी नौकरी में हैं। जिनमे एक को अभी पंचायती राज विभाग में इंस्पेक्टर की कुर्सी मिली है," सरथ ने बताया।
गाँव वालों ने भी सरथ की लिए दोनों हाथ खोलकर मदद की
आश्रम जब बड़ा होने लगा तो सरथ बाबू ने नज़दीक के गांव वालों से जमीन मांगी। गाँव वालों ने पहले थोड़ी सी जमीन दी थी लेकिन बाद में जब सरथ का बच्चों के प्रति प्रेम देखा तो 4.50 एकड़ भूमि दान कर दी। एक वक़्त ऐसा आया जब जिम्मेदारियां इतनी बढ़ गयी थी की उन्होंने 2011 में रेलवे से वोलंटरी रिटायरमेंटलेने का फैसला कर लिया। वैसे रेलवे का सरथ शुक्रिया अदा करते हैं जिसके अफसरों ने इस प्रयास के लिए उन्हें पूरा सहयोग दिया। आज चाइल्ड आश्रम, नेल्लोर के सबसे अच्छे स्कूलों में एक है। यहाँ 153 अनाथ बचे पढ़ रहे हैं। बच्चों के लिए खेत से ताज़ी सब्ज़ी आती है और देसी गाय का ताज़ा दूध उन्हें मिलता है।" मेरे लिए ये अनाथालय नही है। इसलिए मैंने इसका नाम चाइल्ड आश्रम स्कूल रखा। अनाथ तो वैसे इस दुनिया में कोई नही होता। कोई न कोई साथ तो देता है, " सरथ ने फ़ोन पर भावुक होकर कहा।
अगर आप सरथ बाबू की मदद करना चाहते हैं या उनसे संपर्क की इच्छा रखते हैं तो नीचे दिए गए पते और मोबाइल नंबर पर उनतक पहुँच सकते हैं।
J. Rama Chandra Sarath Babu
CHILD Ashram School,
Gollapalem village,
North Amulur Panchyat,
ALLUR Mandal ,
Nellore Disi,
Pin : 524315
Phone no : 944037537