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पहली मुलाकात

4 अक्टूबर 2021

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भाग २

जितना गहन स्याहमय, शावक का जीवन था, उतना ही प्रकाशित आयुधनगर का राजमहल ।  महल के स्वर्ण गुम्बद और दीवारों पर की गई नक्काशी राजमहल की भव्यता का वर्णन कर रही थी, आज संपूर्ण महल स्वर्ण प्रकाश में नहाया हुआ था, आखिर पूरा नगर अपनी राजकुमारी का सोलहवा जन्मोत्सव जो मना रहा था । रात को शाही रात्रि भोज का आयोजन था, और साथ ही था खूनी उत्सव का खेल ।
        अपने कमरे में शीशे के सामने बैठी आनंदनी जाने किस उधेड़बुन में खोई थी, कि तभी उसकी दाई माँ, मधुलता उससे पूछ बैठती है....
" क्या बात है बिटिया, आज तुम खुश नही ? "

" ऐसी तो कोई बात नही है दाई माँ " आनंदनी उत्तर देती है ।

इस उत्तर से असंतुष्ट हो मधुलता फिर बोलती है, " अब क्या मुझसे छुपा पाओगी? मैं जानती हूं, तुम् किसी बात को लेकर परेशान हो, बताओ क्या है ? "

आनंदनी थोड़ा सा सहारा पा, दाई माँ के गले लग रोने लगती है, और कहती है,
"आप जानती है ना, आज फिर वही मौत का खेल है, आज फिर किसी की मृत्यु होगी , फिर वही चीख पुकार और खून..." मुझे नफरत है इन सब से दाई माँ , पिताजी क्यों यह खेल बंद नही करते ।"

दाई माँ कुछ बोलने को ही थी, कि, एक दासी भीतर आ कहती है, " राजकुमारी जी, महाराज नेआपके लिए कोई उपहार भेजा है, एक आदमी उसे भीतर लाने की आज्ञा चाहता है ? "
आनंदनी बिना रूचि दिखाए बेमन से हाँ में सर हिला देती है, शायद वो जानती थी कि उसके क्रूर पिता उसे कैसा उपहार दे सकते है ।

बक्सा पकडे दो सैनिकों के साथ,  करीब 18, 19 साल का, आकर्षक, हृष्ट पुष्ट देह वाला, गेहुएं रंग का एक नौजवान भीतर आता है,  लाल मखमली कपडे से ढंके हुए बक्से को नीचे रखवा, थोड़ा सा सर झुका कर राजकुमारी को सम्मान दे सावधान की मुद्रा में खडा हो जाता है । कुछ ही क्षण में शक्ति सिंह भीतर आता है, और अपनी बेटी को गले लगाकर, जन्मदिवस की बधाई दे, कहता है,

" हमे पता है हमारी लाडली को, हमारे उपहार का बेसब्री से इंतज़ार है, इसलिए हम खुद आए है आपके के पास आपका उपहार देने । देखना चाहती हो अपना उपहार ..?"
राजकुमारी बिना भाव के थोड़ा सा मुस्करा, हाँ में सर हिलती है ।

शक्ति सिंह युवक को आज्ञा देता है, " वरूण, पिंजरे से कपडा हटाओ ।"
युवक कपड़ा हटाता है......🦁...
पिंजरे में शेर का शावक देख दाई माँ, बुरी तरह घबरा जाती है, उनका दिल जोर जोर से धड़कने लगता है, और भय के मारे वह कुछ कदम पीछे हट जाती है । पर शावक की मासूमियत राजकुमारी को स्वतः ही अपनी ओर खिंच लेती है, और वह अपलक देखती रहती है, उस मासूम को ।
शक्ति सिंह का गंभीर स्वर,  आनंदनी का ध्यान भ्रष्ट करता है,
" हमें आशा है, आपको यह बहुत ही पसंद आया होगा, और इसे अपने काबू में रख, आप हमें गौरान्वित करेंगी । आखिर आप शक्ति सिंह की पुत्री है, ऐसे शेरों को काबू में रखना कोई बड़ी बात नही है आपके लिए ।" फिर शक्ति सिंह पीछे मुड़ता है, और युवक को देख राजकुमारी से उसका परिचय करवाता हुआ कहता है,
" यह वरुण है, ये आपके और शावक के बीच सामंजस्य बनाने में आपकी मदद करेगा ।" इतना बोल वह मुस्करा कर वहाँ से चला जाता है ।
     शक्ति सिंह के जाते ही, राजकुमारी पिंजरे के निकट जा शावक को स्नेहिल नजरो से देखने लगती है। तभी वरुण कहता है -
" राजकुमारी जी, आप घबराए नही, निश्चिन्त रहे... इसके भेदक दाँत ( canine tooth ) हम निकाल चुके है , और कुछ ही दिनों में नाखून भी निकालने वाले है । "
        " नहीं......" वरुण की बात सुन राजकुमारी जोर से  बोलती है ।

" लेकिन इसके नाखूनों से आप को चोट लग सकती है "

" हाँ , पर क्या हम इन्हें काट नही सकते हर हफ्ते, जैसे मेरे काटे जाते है । ये पहले ही कितना घबराया हुआ है, मैं इसे और तकलीफ नही देना चाहती ।"

" पहली बात तो राजकुमारी जी, ये आपकी तरह बैठ कर हाथ आगे कर् शांति से अपने नाख़ून नही कटवायेगा, और दूसरी बात कुछ महीनों बाद इसके पंजे और भी घातक हो जाएंगे, इसलिए इन्हें निकालना आवश्यक है ।" वरुण ने जोर देते हुए कहा ।

पर आनंदनी, नाखून निकलवाने को राजी न थी ।

नाखूनों की बात अधूरी छोड़, वरुण पिंजरे के निकट जाता है, अपनी जेब से एक सुनेहरे रंग की चाबी निकाल पिंजरे का ताला खोलता है , और धीरे से बिना आवाज़ किए पिंजरे का एक भाग ऊपर सरकाते  हुए कहता है, " लीजिए पहले आप अपने उपहार से भेंट करिए ।"

लेकिन पिंजरे का दरवाजा खुलने पर भी शावक बहार नही आता, वह एक कोने में ही दुबका बैठा रहता है।

राजकुमारी उसके निकट जा, अपने करीब बुलाने का असफल प्रयास करती है । आनंदनी का मुरझाया हुआ मुख देख वरुण उसे माँस का टुकड़ा पकड़ाते हुए कहता है,
" ऐसे नही , ये लिजिये इसे  दिखा कर बुलाए, वह खाने के लिए आप के पास अवश्य आएगा ।"

राजकुमारी मांस का टुकड़ा अपने हाथ में ले, शावक को अपनी और आकर्षित करने का प्रयास करती है ।

मांस की स्वादिष्ट गंध  शावक को अपनी और खिंचती है, और वह धीरे से सर उठा  राजकुमारी को देखता है, आज उसने इतने दिनों में पहली बार, कोई सौम्य चेहरा देखा था।
वह धीरे धीरे कदम बढ़ा राजकुमारीं के पास आ रुक जाता है । दोनों की आँखे टकराती है, राजकुमारीं शावक की आँखों में प्रेम से देखती है, कुछ ही क्षण में  शावक की गहरे भूरे रंग की आँखों से उसकी समस्त संवेदनाएं, पिघल कर मानो तरणि बन राजकुमारी के हृदय में आ विलय कर लेती है। बिना किसी शब्द संवाद के ही शावक आनंदनी से अपनी सारी वेदनाएँ और दुःख बाँट लेता है, और राजकुमारी अपने सौम्य स्नेहिल चेहरे और व्यवहार से अपने ह्रदय का सारा प्रेम उस पर उड़ेल देती है ।
    शावक हवा में अपनी पूंछ तीन चार बार गोल गोल घुमाता है और बड़ी ही खुशी से राजकुमारीं के हाथ से मांस का टूकड़ा खा लेता है ।

🌿  🌿   🌿 

वहीँ  दूसरी  ओर  राजमहल और राजमहल के प्रकाश से दूर , शक्ति  सिंह  के सर्कस में,  जहाँ जानवरों को और आक्रमक बना, खूनी खेल के लिए तैयार किया जाता है, शेरनी का बड़ा शावक गहन अँधेरे में रखे एक पिंजरे के कोने में आँखे मूंद पड़ा था, उसकी आँखों के पास के रोएं भीगे हुए से थे । वह बार - बार,  रह - रह कर अपने छोटे भाई को याद कर आक्रमक हो जाता और  जोर जोर से दहाड मार कर पिंजरे  को खुरचालता  रहता, उसके आस पास से आने वाली जानवरों और इंसानों की चिंखे और रक्त की बू उसे और भी ज्यादा अक्रमक  और  हिंसक बना रही थी ।

जहाँ छोटे शेर को शाही सुविधाओं में प्रेम से पाला जा रहा है, वहीँ दूसरी ओर बडे शेर को, खूनी माहौल में क्रूर और आक्रामक बनाया जा रहा है ।

क्या दोनों फिर कभी मिल पाएंगे ...?
आखिर क्या लिखा है इनकी किस्मत में ? जानने के लिए पढ़ते रहे, मेरी कहानी....THE TWINS..🦁🦁

क्रमश:


Jyoti

Jyoti

अच्छी कहानी

9 दिसम्बर 2021

9
रचनाएँ
The Twins
5.0
यह कहानी है, शेर के दो जुड़वा शावकों की, जो अपने निवास स्थान जंगल से चुरा लिए जाते है । जहाँ एक शावक को अत्याधिक हिंसक और उतेजक बना कर सरकस में रखा गया था । वही छोटा शावक राजकुमारी को उपहार में दे दिया जाता है। पर एक छोटा सा माजकराजकुमारी के साथ साथ दोनों शावकों के जीवन में भी हलचल मचा देता है ।
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